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Smriti-Shesh : Smaran Ka Samaj-Vigyan (CSDS)
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सम्पादन नरेश गोस्वामी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
सम्पादन नरेश गोस्वामी
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹895 ₹627
Save: 30%
In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789355183590
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
472
आधुनिक काल में प्रिंट-तकनीक, बुर्जुआ समाज के उभार तथा पत्र- पत्रिकाओं के नियमित प्रकाशन के बाद व्यक्ति या घटना का स्मरण आध्यात्मिकता के बजाय एक सेकुलर कर्म बनता गया है। इस दौरान श्रद्धांजलि लेख पढ़ने वाले पाठकों का एक समर्पित वर्ग उभरा है। लेकिन आमतौर पर श्रद्धांजलि- लेखन का अधिकांश संसार मुख्यतः उच्च वर्ग और सामाजिक रूप से गतिशील लोगों तक सीमित रहा है। उसका मौजूदा स्वरूप उच्च वर्गीय या अभिजन संस्कृति के पक्ष में खड़ा नज़र आता है क्योंकि उसमें केवल उपलब्धियों से भरा, महत्त्वपूर्ण और विलक्षण जीवन ही उल्लेख के क़ाबिल माना जाता है। प्रस्तुत पुस्तक श्रद्धांजलि-लेखन के इस रूढ़ साँचे की जगह उसका एक वैकल्पिक प्रारूप पेश करती है। अख़बारों और व्यावसायिक पत्रिकाओं की गुलाबी श्रद्धांजलि के वरअक्स व्यक्ति का यह स्मरण संबंधित व्यक्तित्व को विमर्श के समकालीन लोक में अवस्थित करते हुए विमर्श के क्षेत्र में उसके द्वारा विकसित किये गये नये परिप्रेक्ष्यों तथा सूत्रीकरणों पर ज़्यादा ध्यान देता है। श्रद्धांजलि का यह स्वरूप दिवंगत के कृतित्व और चिंतन को सामूहिक स्मृति की एक समृद्धकारी विरासत के रूप में देखना चाहता है।
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Description
आधुनिक काल में प्रिंट-तकनीक, बुर्जुआ समाज के उभार तथा पत्र- पत्रिकाओं के नियमित प्रकाशन के बाद व्यक्ति या घटना का स्मरण आध्यात्मिकता के बजाय एक सेकुलर कर्म बनता गया है। इस दौरान श्रद्धांजलि लेख पढ़ने वाले पाठकों का एक समर्पित वर्ग उभरा है। लेकिन आमतौर पर श्रद्धांजलि- लेखन का अधिकांश संसार मुख्यतः उच्च वर्ग और सामाजिक रूप से गतिशील लोगों तक सीमित रहा है। उसका मौजूदा स्वरूप उच्च वर्गीय या अभिजन संस्कृति के पक्ष में खड़ा नज़र आता है क्योंकि उसमें केवल उपलब्धियों से भरा, महत्त्वपूर्ण और विलक्षण जीवन ही उल्लेख के क़ाबिल माना जाता है। प्रस्तुत पुस्तक श्रद्धांजलि-लेखन के इस रूढ़ साँचे की जगह उसका एक वैकल्पिक प्रारूप पेश करती है। अख़बारों और व्यावसायिक पत्रिकाओं की गुलाबी श्रद्धांजलि के वरअक्स व्यक्ति का यह स्मरण संबंधित व्यक्तित्व को विमर्श के समकालीन लोक में अवस्थित करते हुए विमर्श के क्षेत्र में उसके द्वारा विकसित किये गये नये परिप्रेक्ष्यों तथा सूत्रीकरणों पर ज़्यादा ध्यान देता है। श्रद्धांजलि का यह स्वरूप दिवंगत के कृतित्व और चिंतन को सामूहिक स्मृति की एक समृद्धकारी विरासत के रूप में देखना चाहता है।
About Author
नरेश गोस्वामी
दिल्ली विश्वविद्यालय से लोकधार्मिकता और सीमांत की राजनीति के अंतःसंबंधों पर शोध ।
प्रकाशन : समाज विज्ञान कोश (सं. अभय कुमार दुबे) में लगभग पैंसठ लेखों का योगदान। ग्रेनविल ऑस्टिन की क्लासिक कति द इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन : कॉर्नरस्टोन ऑफ़ अनेशन तथा निवेदिता मेनन की पुस्तक सीइंग लाइक अफ़ेमिनिस्ट का हिंदी में अनुवाद |
विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस), दिल्ली द्वारा प्रकाशित समाज-विज्ञानों की पूर्व- समीक्षित पत्रिका प्रतिमान समय समाज संस्कृति में आठ वर्षों तक सहायक संपादक।
संप्रति : डॉ. बी. आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली के 'भारतीय भाषा, ज्ञान-प्रणाली एवं अभिलेखागारीय अनुसंधान केंद्र (आरसीए- आइआइएलकेएस) में अकादमिक फ़ेलो।
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