SaleSold outHardback
Smriti Mein Jeevan Hard Cover
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Kedarnath Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Kedarnath Singh
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹495 ₹347
Save: 30%
Out of stock
Receive in-stock notifications for this.
Ships within:
3-5 days
Out of stock
ISBN:
SKU
9789392757303
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
स्मृतियाँ शक्ति देती हैं और स्मृतियों के सहारे प्रतिरोध की रचना भी हुई है। आकस्मिक नहीं कि नयी शताब्दी में संस्मरण लेखन में अभूतपूर्व सक्रियता देखी गई है। गद्य की ललित विधाओं में संस्मरण का दुर्निवार आकर्षण पाठकों के साथ लेखकों में भी रहा है। फिर यह गद्य कवि का हो तो इसका आकर्षण और अधिक हो जाता है। विख्यात कवि केदारनाथ सिंह के संस्मरणों की इस कृति की रूपरेखा स्वयं कवि ने तैयार कर दी थी जो अब पाठकों के हाथ में है। यहाँ कवि का अपना जीया-देखा समय-समाज है तो अनेक विभूतियों के अंतरग और हार्दिक चित्र भी। कवि की दृष्टि उन लोगों पर भी गई है जो भले ही बड़े नाम न थे किन्तु कवि के संपर्क में आए और किसी विशिष्ट गुण अथवा गतिविधि ने कवि के मन में स्थाई आवास बना लिया। पिछली पीढ़ी के अनेक लेखकों यथा भिखारी ठाकुर, अज्ञेय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, त्रिलोचन, भीष्म साहनी, रघुवीर सहाय और नामवर सिंह के संस्मरण वरेण्य खंड में दिए गए हैं। कवि के सहचर रहे श्रीकांत वर्मा, सोमदत्त, देवेंद्र कुमार बंगाली, विजय मोहन सिंह और वरयाम सिंह पर लिखे स्मृति आलेखों को दूसरे खंड में रखा गया है। तीसरे खंड में कुछ अनाम लोग हैं जिनका प्रभाव कवि पर पड़ा।
‘स्मृति में जीवन’ की ख़ास बात यह है कि केदारनाथ सिंह की उन कविताओं को भी इन संस्मरणों के साथ दे दिया गया है जिनकी संरचना में स्मृति है अथवा इन संस्मरणों से जुड़ी कोई शख़्सियत। कवि की अनुपस्थिति में ये संस्मरण कवि की नयी उपस्थिति संभव कर रहे हैं जिसके आलोक में हमारा आज और बेहतर दिखाई देता है। सम्पादक द्वय ने कवि के गद्य संसार में से स्मृति के ये ख़ास प्रसंग चुनकर पाठकों के लिए रख दिए हैं, कहना न होगा कि इन संस्मृतियों में जीवन की उष्मा भरी हुई है।
Be the first to review “Smriti Mein Jeevan Hard Cover” Cancel reply
Description
स्मृतियाँ शक्ति देती हैं और स्मृतियों के सहारे प्रतिरोध की रचना भी हुई है। आकस्मिक नहीं कि नयी शताब्दी में संस्मरण लेखन में अभूतपूर्व सक्रियता देखी गई है। गद्य की ललित विधाओं में संस्मरण का दुर्निवार आकर्षण पाठकों के साथ लेखकों में भी रहा है। फिर यह गद्य कवि का हो तो इसका आकर्षण और अधिक हो जाता है। विख्यात कवि केदारनाथ सिंह के संस्मरणों की इस कृति की रूपरेखा स्वयं कवि ने तैयार कर दी थी जो अब पाठकों के हाथ में है। यहाँ कवि का अपना जीया-देखा समय-समाज है तो अनेक विभूतियों के अंतरग और हार्दिक चित्र भी। कवि की दृष्टि उन लोगों पर भी गई है जो भले ही बड़े नाम न थे किन्तु कवि के संपर्क में आए और किसी विशिष्ट गुण अथवा गतिविधि ने कवि के मन में स्थाई आवास बना लिया। पिछली पीढ़ी के अनेक लेखकों यथा भिखारी ठाकुर, अज्ञेय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, त्रिलोचन, भीष्म साहनी, रघुवीर सहाय और नामवर सिंह के संस्मरण वरेण्य खंड में दिए गए हैं। कवि के सहचर रहे श्रीकांत वर्मा, सोमदत्त, देवेंद्र कुमार बंगाली, विजय मोहन सिंह और वरयाम सिंह पर लिखे स्मृति आलेखों को दूसरे खंड में रखा गया है। तीसरे खंड में कुछ अनाम लोग हैं जिनका प्रभाव कवि पर पड़ा।
‘स्मृति में जीवन’ की ख़ास बात यह है कि केदारनाथ सिंह की उन कविताओं को भी इन संस्मरणों के साथ दे दिया गया है जिनकी संरचना में स्मृति है अथवा इन संस्मरणों से जुड़ी कोई शख़्सियत। कवि की अनुपस्थिति में ये संस्मरण कवि की नयी उपस्थिति संभव कर रहे हैं जिसके आलोक में हमारा आज और बेहतर दिखाई देता है। सम्पादक द्वय ने कवि के गद्य संसार में से स्मृति के ये ख़ास प्रसंग चुनकर पाठकों के लिए रख दिए हैं, कहना न होगा कि इन संस्मृतियों में जीवन की उष्मा भरी हुई है।
About Author
केदारनाथ सिंह
केदारनाथ सिंह का जन्म सन् 1934 में बलिया, उत्तर प्रदेश के चकिया गाँव में हुआ। ‘आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्बविधान’ विषय पर सन् 1964 में पीएच.डी.।
सन् 1976 से 1999 तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केन्द्र में अध्यापन।
प्रकाशित कृतियाँ : ‘अभी, बिलकुल अभी’, ‘ज़मीन पक रही है’, ‘यहाँ से देखो’, ‘अकाल में सारस’, ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ’, ‘तालस्ताय और साइकिल’, ‘बाघ’, ‘सृष्टि पर पहरा’, ‘मतदान केन्द्र पर झपकी’, ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (काव्य-संग्रह)। ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्बविधान’, ‘मेरे समय के शब्द’, ‘क़ब्रिस्तान में पंचायत’ (गद्य-कृतियाँ) तथा ‘मेरे साक्षात्कार’ (संवाद)।
प्रमुख सम्मान : ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘व्यास सम्मान’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ (मध्य प्रदेश), ‘कुमारन आशान पुरस्कार’ (केरल), ‘दिनकर पुरस्कार’ (बिहार), ‘जीवन भारती सम्मान’, ‘भारत भारती सम्मान’, ‘गंगाधर मेहर राष्ट्रीय कविता सम्मान’ (उड़ीसा), ‘जाशुआ सम्मान’ (आन्ध्र प्रदेश) आदि।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Smriti Mein Jeevan Hard Cover” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.