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Shuddha Anna Swastha Tan
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Prempal Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Prempal Sharma
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹400 ₹300
Save: 25%
In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
216
‘स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन’ का न होता है। दुनिया में एक से बढ़कर एक बहुमूल्य चीजें हैं, परंतु इनमें एक चीज सबसे अनमोल है, और वह है—उत्तम स्वास्थ्य। मनुष्य जब-जब प्रकृति के विपरीत जाता है; अपना खान-पान तथा दिनचर्या संयमित नहीं रख पाता है, तब-तब बीमारियों की पकड़ में आ जाता है। बीमारियाँ हैं तो उनका इलाज भी है। अनेक चीजों को हम नित्य खाते हैं, उपयोग में लाते हैं, परंतु उनके आरोग्यकारी गुणों के बारे में नहीं जानते। पुराकाल में अधिकतर बीमारियों का इलाज घर में ही कर लिया जाता था, ऐसा अभी भी संभव है। प्रस्तुत पुस्तक में सर्वसुलभ अनाजों, यथा—गेहूँ, चावल, जौ, ज्वार, मक्का, बाजरा; दालें—अरहर, उड़द, मूँग, मसूर, चना, मटर, मोठ, कुलथी; तिलहन—सरसों, सोयाबीन, मूँगफली, तिल, नारियल, महुआ; दुग्ध के उत्पाद—दही, छाछ, मक्खन, घी तथा सिरका, गुड़, फिटकरी, चंदन, बर्फ, कपूर इत्यादि का सांगोपांग वर्णन है। प्रत्येक का आंचलिक नाम, गुणधर्म, सामान्य उपयोगों के साथ-साथ विभिन्न रोगों में उनके औषधीय उपयोग भी बताए हैं। पुस्तक के अंत में उपयोगी परिशिष्ट जोड़े गए हैं। सुधी पाठक इस पुस्तक से भरपूर लाभ उठाकर अपने घर-परिवार को नीरोग कर पाएँगे, साथ ही सदियों पुरानी परंपरागत देसी/घरेलू चिकित्सा को पुनर्जीवित कर ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया’ के मंत्र को सार्थकता प्रदान करेंगे। खान-पान और जीवनशैली को संयमित बनाकर उत्तम स्वास्थ्य का सूत्र देनेवाली लोकोपयोगी पुस्तक।.
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Swastha Tan” Cancel reply
Description
‘स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन’ का न होता है। दुनिया में एक से बढ़कर एक बहुमूल्य चीजें हैं, परंतु इनमें एक चीज सबसे अनमोल है, और वह है—उत्तम स्वास्थ्य। मनुष्य जब-जब प्रकृति के विपरीत जाता है; अपना खान-पान तथा दिनचर्या संयमित नहीं रख पाता है, तब-तब बीमारियों की पकड़ में आ जाता है। बीमारियाँ हैं तो उनका इलाज भी है। अनेक चीजों को हम नित्य खाते हैं, उपयोग में लाते हैं, परंतु उनके आरोग्यकारी गुणों के बारे में नहीं जानते। पुराकाल में अधिकतर बीमारियों का इलाज घर में ही कर लिया जाता था, ऐसा अभी भी संभव है। प्रस्तुत पुस्तक में सर्वसुलभ अनाजों, यथा—गेहूँ, चावल, जौ, ज्वार, मक्का, बाजरा; दालें—अरहर, उड़द, मूँग, मसूर, चना, मटर, मोठ, कुलथी; तिलहन—सरसों, सोयाबीन, मूँगफली, तिल, नारियल, महुआ; दुग्ध के उत्पाद—दही, छाछ, मक्खन, घी तथा सिरका, गुड़, फिटकरी, चंदन, बर्फ, कपूर इत्यादि का सांगोपांग वर्णन है। प्रत्येक का आंचलिक नाम, गुणधर्म, सामान्य उपयोगों के साथ-साथ विभिन्न रोगों में उनके औषधीय उपयोग भी बताए हैं। पुस्तक के अंत में उपयोगी परिशिष्ट जोड़े गए हैं। सुधी पाठक इस पुस्तक से भरपूर लाभ उठाकर अपने घर-परिवार को नीरोग कर पाएँगे, साथ ही सदियों पुरानी परंपरागत देसी/घरेलू चिकित्सा को पुनर्जीवित कर ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया’ के मंत्र को सार्थकता प्रदान करेंगे। खान-पान और जीवनशैली को संयमित बनाकर उत्तम स्वास्थ्य का सूत्र देनेवाली लोकोपयोगी पुस्तक।.
About Author
प्रेमपाल शर्मा जन्म: 5 जुलाई, 1963 को बुलंदशहर (उ.प्र.) के मीरपुर-जरारा गाँव में। शिक्षा: बी.ए. (ऑनर्स), एम.ए. (दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली)। कृतित्व: विश्व-प्रसिद्ध वनस्पतिविद् एवं वन्यजीव विज्ञानी डॉ. रामेश बेदी के सान्निध्य में अनेक वर्षों तक शोध सहायक के रूप में कार्य एवं बेदी वनस्पति कोश (छह खंड) का सफल संपादन। अब तक आयुर्वेद चिकित्सा संबंधी एवं अन्य विधाओं की सैकड़ों पुस्तकों का संपादन। आयुर्वेद एवं घरेलू चिकित्सा पर पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित। ‘सवेरा न्यूज’ साप्ताहिक में स्वास्थ्य कॉलम एवं संपादकीय लेखन के साथ-साथ संपादन कार्य। प्रकाशन: ‘संक्षिप्त हिंदी-अंग्रेजी कोश’, ‘निबंध, पत्र एवं कहानी लेखन’, ‘सुबोध हिंदी व्याकरण’, ‘जीवनोपयोगी जड़ी-बूटियाँ’, ‘स्वास्थ्य के रखवाले, शाक-सब्जी-मसाले’, ‘सचित्र जीवनोपयोगी पेड़-पौधे’, ‘संक्षिप्त रामायण’, ‘स्वस्थ कैसे रहें?’, ‘स्वदेशी चिकित्सा सार’, ‘घर का डॉक्टर’। पुरस्कार-सम्मान: श्रीनाथद्वारा की अग्रणी संस्था साहित्य मंडल द्वारा ‘संपादक-रत्न’ सम्मान। संप्रति: आयुर्वेद पर शोध एवं स्वतंत्र लेखन।.
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