ShreeJi “श्रीजी” | Poems Book | Kamna Singh
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹400 ₹300
Save: 25%
In stock
Ships within:
In stock
ISBN:
Page Extent:
ब्रज से आरंभ हुई लीला क्षितिज तक फैलती चली गई। प्रयोजन प्रेम की गहराई को जतलाना था या ईश्वर – शक्ति के ऐक्य को दिखाना, लीलाधर ही जानें! पर इस प्रीति का निर्वाह भली प्रकार हुआ। ऐसी प्रीति अन्यत्र कहीं देखी न सुनी। संयोगकाल कितना छोटा और वियोग का मानो एक कल्प । फिर भी प्रेम की तीव्रता रंचमात्र भी कम नहीं। अलग-अलग रहते हुए श्रीराधा-कृष्ण दोनों ने आजीवन प्रेम की रीति-नीति का पालन किया।
बूँद-बूँद अनुभूतियों से भरी श्रीराधा-कृष्ण के प्रेम की गागर भावनाओं का सागर बन गई । क्या नहीं है इस सागर में – शृंगार, उत्साह, शोक, आश्चर्य, क्रोध, हास्य, वात्सल्य और फिर एक अनिर्वचनीय शांति । प्रेम का चरम लक्ष्य शांति ही है। सच्चा प्रेम यदि साधना की सर्वोच्च अवस्था तक नहीं पहुँचे, तो अपूर्ण है। प्रेम पूर्ण तभी, जब साधन और साध्य दोनों धर्मयुत् हों । रीति निर्मल, लक्ष्य पवित्र तो उपलब्धि का अतिपावन होना अवश्यंभावी है ।
ब्रज से आरंभ हुई लीला क्षितिज तक फैलती चली गई। प्रयोजन प्रेम की गहराई को जतलाना था या ईश्वर – शक्ति के ऐक्य को दिखाना, लीलाधर ही जानें! पर इस प्रीति का निर्वाह भली प्रकार हुआ। ऐसी प्रीति अन्यत्र कहीं देखी न सुनी। संयोगकाल कितना छोटा और वियोग का मानो एक कल्प । फिर भी प्रेम की तीव्रता रंचमात्र भी कम नहीं। अलग-अलग रहते हुए श्रीराधा-कृष्ण दोनों ने आजीवन प्रेम की रीति-नीति का पालन किया।
बूँद-बूँद अनुभूतियों से भरी श्रीराधा-कृष्ण के प्रेम की गागर भावनाओं का सागर बन गई । क्या नहीं है इस सागर में – शृंगार, उत्साह, शोक, आश्चर्य, क्रोध, हास्य, वात्सल्य और फिर एक अनिर्वचनीय शांति । प्रेम का चरम लक्ष्य शांति ही है। सच्चा प्रेम यदि साधना की सर्वोच्च अवस्था तक नहीं पहुँचे, तो अपूर्ण है। प्रेम पूर्ण तभी, जब साधन और साध्य दोनों धर्मयुत् हों । रीति निर्मल, लक्ष्य पवित्र तो उपलब्धि का अतिपावन होना अवश्यंभावी है ।
About Author
Reviews
There are no reviews yet.
Related products
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
Reviews
There are no reviews yet.