Shree Ram

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
प्रभाकिरन जैन , शृंखला सम्पादक लीलाधर मंडलोई
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
प्रभाकिरन जैन , शृंखला सम्पादक लीलाधर मंडलोई
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Hindi
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Hardback

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64

श्रीराम –

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, दशरथ के राम, कौशल्या के राम, सीता के राम, लक्ष्मण के राम, भरत के राम, शबरी के राम, केवट के राम, हनुमान के राम, तुलसी के राम, वाल्मीकि के राम, जन-जन के राम, कण- कण के राम, जग उद्धारक राम, प्रजापालक राम, विष्णु के अवतार राम, अच्छाई के प्रकाशक राम, बुराई पर विजय प्राप्त करने वाले राम…और भी कितने रूप हैं राम के, सबको लिखना वास्तव में कठिन है।

आखिर कौन थे राम? भारतवर्ष में हमेशा से महापुरुष हुए हैं। उन्हीं महापुरुषों में एक थे-श्रीराम। सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि ने उनके बारे में लिखा। उनके बाद तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ लिखी। तुलसी के बाद कितनी बार कितने रूपों में श्रीराम की कथा लिखी गयी यह बताना कठिन है।

राजा बनने के बाद उन्होंने अपनी प्रजा का हमेशा ध्यान रखा। उनका राज ‘राम-राज्य’ के रूप में सारे संसार में आज भी जाना जाता है। ऐसे लोकहितकारी राम के बारे में जानने की उत्सुकता सबको रहती है।

लेखिका ने बहुत ही रोचक ढंग से श्रीराम के जीवन को रेखांकित किया है।

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Description

श्रीराम –

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, दशरथ के राम, कौशल्या के राम, सीता के राम, लक्ष्मण के राम, भरत के राम, शबरी के राम, केवट के राम, हनुमान के राम, तुलसी के राम, वाल्मीकि के राम, जन-जन के राम, कण- कण के राम, जग उद्धारक राम, प्रजापालक राम, विष्णु के अवतार राम, अच्छाई के प्रकाशक राम, बुराई पर विजय प्राप्त करने वाले राम…और भी कितने रूप हैं राम के, सबको लिखना वास्तव में कठिन है।

आखिर कौन थे राम? भारतवर्ष में हमेशा से महापुरुष हुए हैं। उन्हीं महापुरुषों में एक थे-श्रीराम। सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि ने उनके बारे में लिखा। उनके बाद तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ लिखी। तुलसी के बाद कितनी बार कितने रूपों में श्रीराम की कथा लिखी गयी यह बताना कठिन है।

राजा बनने के बाद उन्होंने अपनी प्रजा का हमेशा ध्यान रखा। उनका राज ‘राम-राज्य’ के रूप में सारे संसार में आज भी जाना जाता है। ऐसे लोकहितकारी राम के बारे में जानने की उत्सुकता सबको रहती है।

लेखिका ने बहुत ही रोचक ढंग से श्रीराम के जीवन को रेखांकित किया है।

About Author

प्रभाकिरण जैन - 30 अक्टूबर 1963 को हरबर्टपुर, देहरादून (उत्तराखंड) में जन्म । शिक्षा : राजनीतिशास्त्र में एम.ए., डी.फिल. । प्रकाशन : रंग-बिरंगे बैलून (शिशु गीत); वैशाली के महावीर (बाल काव्य हिन्दी, अँग्रेजी); गीत खिलौने (बाल गीत); नागफनी सदाबहार है (कविता संग्रह); दस लक्षण (दस रस वर्षण); अनाथ किसान (कहानी); कथासरिता कथासागर, गोबर बनाम गोवर्धन, जमालो का छुरा (कहानी); मनोनयन (राज्यसभा के मनोनीत सांसदों पर शोध पुस्तक); चहक भी जरूरी महक भी जरूरी (डॉ. शेरजंग गर्ग के साथ); वैशालिक की छाया में (राजेश जैन के साथ सम्पादन); चाणक्य, चैतन्य महाप्रभु, भगवान महावीर, श्रीराम, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, महात्मा गाँधी, सम्राट अशोक (जीवन कथा) । सम्मान/पुरस्कार : हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा बाल साहित्य सम्मान और बाल एवं किशोर साहित्य सम्मान । आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं अन्य चैनलों पर अनेक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों की प्रस्तुति। स्टार टी.वी. द्वारा व्यंग्य कविताओं का कार्यक्रम का धारावाहिक प्रसारण। विदेशों में भी प्रस्तुतियाँ। पता : पन्ना भवन, 4240/2, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली 110002 मो. : 09212251115

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