Shesh Panne

Publisher:
Sahitya Vimarsh
| Author:
Anupama Naudiyal
| Language:
HIndi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sahitya Vimarsh
Author:
Anupama Naudiyal
Language:
HIndi
Format:
Paperback

199

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SKU 9789392829499 Category
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153

‘शेष पन्ने’ अनुपमा नौडियाल की कहानियों का संग्रह है। यह आपके हमारे इर्द गिर्द मौजूद लोगों की कहानियाँ हैं। यहाँ टूटते पूर्वग्रह हैं, यहाँ ग्लानि से रिश्तों के बीच आती दूरियाँ हैं, गर्मी के दिनों में नाना-नानी के घर में बिताई छुट्टियों की यादें हैं और ऐसे जान-पहचान वालों और अजनबियों के किस्से हैं जो कि जान-पहचान और अजनबी होने की परिभाषा बदल देते हैं।

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Description

‘शेष पन्ने’ अनुपमा नौडियाल की कहानियों का संग्रह है। यह आपके हमारे इर्द गिर्द मौजूद लोगों की कहानियाँ हैं। यहाँ टूटते पूर्वग्रह हैं, यहाँ ग्लानि से रिश्तों के बीच आती दूरियाँ हैं, गर्मी के दिनों में नाना-नानी के घर में बिताई छुट्टियों की यादें हैं और ऐसे जान-पहचान वालों और अजनबियों के किस्से हैं जो कि जान-पहचान और अजनबी होने की परिभाषा बदल देते हैं।

About Author

सुंदर, सुरम्य, दिव्य देवभूमि उत्तराखंड की दून घाटी में जन्मी, पली-बढ़ी, पढ़ी! इसके साथ-साथ ही हिंदी, अंग्रेजी का अच्छा साहित्य, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को पढ़े जाने का सिलसिला भी निर्बाध गति से चलता रहा। रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर एवं शिक्षण स्नातक की डिग्री के साथ एक लंबे समय तक केमिस्ट्री एवं बायोलॉजी के शिक्षण से जुड़ी रहीं। विज्ञान शिक्षिका होना ही अरसे तक परिचय रहा। बायोलौजी के डायग्राम और केमिस्ट्री के रिएक्शन्स ही लिखती रही कलम। विज्ञान पढ़ते-पढ़ाते कब किस्से कहानियाँ दिमाग में चलने लगे और कब केमिकल रिएक्शन्स की बजाय किन्हीं अनजान-अनदेखे पात्रों के एक्शन-रिएक्शन लिखने लगी आभास तक न हुआ! कहानियों के लिखे जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा …. ये सभी फाइलों के बीच, दराजों में अरसा बंद रहीं ..कहते हैं कि कहानियाँ अपने पाठक स्वयं ढूँढ लेती हैं ..अनुपमा जी की कहानियां भी बंद फाइलों से निकल अपनी जगह और पाठक तलाशने लगीं। आरंभ में दिल्ली प्रेस की पत्रिकाओं में उन्हें ‌स्थान मिला …धीरे-धीरे देश‌ की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगीं। इनकी कहानियों में सामान्य जनजीवन से लिए गए पात्र एवं विषय-वस्तु होते हैं ..हमारे-आपके जैसे . .शायद इसीलिए पाठक एक कनेक्ट का अनुभव करते हैं। कुछ वर्षों पूर्व एक कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ था .. ‘अपने अपने प्रतिबिंब’ …. एक अन्य लघु उपन्यास ‘अज्ञातवास’ को भी पाठकों का बहुत स्नेह मिला है …

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