Sher O Sukhan (Volume-5)

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
अयोध्या प्रसाद गोयलीय
| Language:
Urdu
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
अयोध्या प्रसाद गोयलीय
Language:
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254

शेर-ओ-सुख़न –
‘शेर-ओ-सुख़न’ के पाँच भागों में प्रारम्भ से 1954 तक की ग़ज़ल का इतिहास, प्रतिष्ठित ग़ज़ल-गो शायरों के परिचय और उनकी श्रेष्ठतम ग़ज़लें संकलित हैं।
पहला भाग
सन् 1900 तक की उर्दू-शायरी का प्रामाणिक इतिहास, विवेचन और इस अवधि के प्रायः सभी ग़ज़ल-गो शायरों की श्रेष्ठ ग़ज़लों का संकलन और परिचय।
दूसरा भाग
उस्ताद शायरों के मशहूर उत्तराधिकारी—आधुनिक लखनवी शायरों का जीवन-परिचय, साहित्यिक विवेचन और उनकी बेहतरीन ग़ज़लों का संग्रह।
तीसरा भाग
देहलवी रंग के प्रतिष्ठित शायरों का परिचय और उनकी श्रेष्ठतम ग़ज़लों का संकलन।
चौथा भाग
मिर्ज़ा ‘दाग़’ के मुख्य-मुख्य शिष्यों तथा ख्याति प्राप्त बुज़ुर्ग शायरों का जीवन परिचय और उनकी सर्वश्रेष्ठ ग़ज़लें।
पाँचवाँ भाग
प्राचीन और वर्तमान ग़ज़लगोई पर तुलनात्मक अध्ययन के साथ ही गुलो-बुलबुल, साक़ी-ओ-मैख़ाना, हुस्न और इश्क़ तथा अन्य कई विषयों पर चुनिन्दा ग़ज़लों का संग्रह।
उर्दू साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान् श्री अयोध्याप्रसाद गोयलीय द्वारा तैयार किये गये इस अनूठे संग्रह को पढ़ना काव्यप्रेमी पाठकों के लिए निस्सन्देह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

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Description

शेर-ओ-सुख़न –
‘शेर-ओ-सुख़न’ के पाँच भागों में प्रारम्भ से 1954 तक की ग़ज़ल का इतिहास, प्रतिष्ठित ग़ज़ल-गो शायरों के परिचय और उनकी श्रेष्ठतम ग़ज़लें संकलित हैं।
पहला भाग
सन् 1900 तक की उर्दू-शायरी का प्रामाणिक इतिहास, विवेचन और इस अवधि के प्रायः सभी ग़ज़ल-गो शायरों की श्रेष्ठ ग़ज़लों का संकलन और परिचय।
दूसरा भाग
उस्ताद शायरों के मशहूर उत्तराधिकारी—आधुनिक लखनवी शायरों का जीवन-परिचय, साहित्यिक विवेचन और उनकी बेहतरीन ग़ज़लों का संग्रह।
तीसरा भाग
देहलवी रंग के प्रतिष्ठित शायरों का परिचय और उनकी श्रेष्ठतम ग़ज़लों का संकलन।
चौथा भाग
मिर्ज़ा ‘दाग़’ के मुख्य-मुख्य शिष्यों तथा ख्याति प्राप्त बुज़ुर्ग शायरों का जीवन परिचय और उनकी सर्वश्रेष्ठ ग़ज़लें।
पाँचवाँ भाग
प्राचीन और वर्तमान ग़ज़लगोई पर तुलनात्मक अध्ययन के साथ ही गुलो-बुलबुल, साक़ी-ओ-मैख़ाना, हुस्न और इश्क़ तथा अन्य कई विषयों पर चुनिन्दा ग़ज़लों का संग्रह।
उर्दू साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान् श्री अयोध्याप्रसाद गोयलीय द्वारा तैयार किये गये इस अनूठे संग्रह को पढ़ना काव्यप्रेमी पाठकों के लिए निस्सन्देह एक बड़ी उपलब्धि होगी।

About Author

अयोध्याप्रसाद गोयलीय - जन्म दिसम्बर 1902 में बादशाहपुर, गुड़गाँव हरियाणा में। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा कोसी-कलाँ, मथुरा (ननिहाल) में। तत्पश्चात् चौरासी-मथुरा में उच्च शिक्षा के दौरान न्याय, व्याकरण और काव्य का अध्ययन। 1919 में रौलट-ऐक्ट आन्दोलन से प्रभावित और विद्यालय परित्याग। 1920 से 1940 तक दिल्ली में निवास और व्यापार, उसी अवधि में उर्दू-साहित्य और इतिहास का गम्भीर अध्ययन। 1930 के नमक-सत्याग्रह में भागीदारी के लिए सवा दो वर्ष का 'सी-क्लास' कारावास। 1941 से 1968 तक डालमिया नगर में साहू-जैन समवाय के श्रम कल्याण अधिकारी रहते हुए उर्दू-शाइरी को हिन्दी में लाने के लिए सदा सक्रिय रहे। 1975 में सहारनपुर (उ.प्र.) देहावसान। प्रमुख कृतियाँ : शेर-ओ-शाइरी, शेर-ओ-सुख़न (5 भाग), शाइरी के नये दौर (5 भाग), शाइरी के नये मोड़ (5 भाग), नग़्मए-हरम, गहरे पानी पैठ, जिन खोजा तिन पाइयाँ आदि।

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