Shatabdi Se Shesh (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Pankaj Bisht
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Pankaj Bisht
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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‘शताब्दी से शेष’ विशिष्ट कथाकार पंकज बिष्ट की चर्चित कहानियों का संग्रह है। पंकज बिष्ट व्यापक सामाजिक सरोकारों से सम्पन्न एक ऐसे रचनाकार हैं जो यथार्थ की भीतरी तहों का उत्खनन करते हैं। संग्रह की भूमिका के अनुसार, ‘…इन कहानियों में अपने दौर के विभिन्न बदलावों और उनकी चुनौतियों को लगातार अभिव्यक्त करने की कोशिश है। इस पर भी ये कहानियाँ इतिहास या किसी तरह का दस्तावेज़ नहीं हैं; बल्कि गुज़री सदी का ऐसा कोलाज हैं जिसका निर्माण निजी वृत्तान्त से हुआ है।’
प्रस्तुत कहानियों में घटनाएँ तो हैं, लेकिन वे किसी विस्मृत होते जीवन-मूल्य को रेखांकित करती हुई आती हैं। निजता तो है, लेकिन उसके आयतन में असंख्य जनों का सुख-दु:ख समाहित है। विमर्श तो है, लेकिन वह आवरण नहीं, आत्मा का हिस्सा है।
पंकज बिष्ट की भाषा बेहद रचनात्मक है। जैसे, ‘पर उन दिनों न तो शून्य ही इतना अन्तहीन था, न ही एकरसता इतनी यांत्रिक। अपनी सारी प्रारम्भिक उदासी और अनमनेपन के बावजूद उसकी आँखें एक किशोर कौतुक से जगमगाती रहती थीं।’
प्रस्तुत संग्रह पाठकों को संवेदना और विचार के नए आयामों से परिचित कराता है।

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Description

‘शताब्दी से शेष’ विशिष्ट कथाकार पंकज बिष्ट की चर्चित कहानियों का संग्रह है। पंकज बिष्ट व्यापक सामाजिक सरोकारों से सम्पन्न एक ऐसे रचनाकार हैं जो यथार्थ की भीतरी तहों का उत्खनन करते हैं। संग्रह की भूमिका के अनुसार, ‘…इन कहानियों में अपने दौर के विभिन्न बदलावों और उनकी चुनौतियों को लगातार अभिव्यक्त करने की कोशिश है। इस पर भी ये कहानियाँ इतिहास या किसी तरह का दस्तावेज़ नहीं हैं; बल्कि गुज़री सदी का ऐसा कोलाज हैं जिसका निर्माण निजी वृत्तान्त से हुआ है।’
प्रस्तुत कहानियों में घटनाएँ तो हैं, लेकिन वे किसी विस्मृत होते जीवन-मूल्य को रेखांकित करती हुई आती हैं। निजता तो है, लेकिन उसके आयतन में असंख्य जनों का सुख-दु:ख समाहित है। विमर्श तो है, लेकिन वह आवरण नहीं, आत्मा का हिस्सा है।
पंकज बिष्ट की भाषा बेहद रचनात्मक है। जैसे, ‘पर उन दिनों न तो शून्य ही इतना अन्तहीन था, न ही एकरसता इतनी यांत्रिक। अपनी सारी प्रारम्भिक उदासी और अनमनेपन के बावजूद उसकी आँखें एक किशोर कौतुक से जगमगाती रहती थीं।’
प्रस्तुत संग्रह पाठकों को संवेदना और विचार के नए आयामों से परिचित कराता है।

About Author

पंकज बिष्ट

जन्म : 20 फरवरी, 1946

भारत सरकार की सूचना सेवा के दौरान ‘योजना’ अंग्रेज़ी में सहायक सम्पादक, आकाशवाणी के अंग्रेज़ी समाचार प्रभाग में समाचार सम्पादक व संवाददाता, फ़िल्म प्रभाग में पटकथा लेखक तथा आजकल का सम्पादन।

1998 में स्वैच्छिक अवकाश।

पहली कहानी 1967 में ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में छपी।

कहानी-संग्रह : ‘पन्द्रह जमा पच्चीस’, ‘बच्चे गवाह नहीं हो सकते?’, ‘टुंड्रा प्रदेश तथा अन्य कहानियाँ’, चर्चित कहानियाँ, ‘शताब्दी से शेष’ आदि।

उपन्यास : ‘लेकिन दरवाज़ा’, ‘उस चिड़िया का नाम’ और ‘पंखवाली नाव’।

बाल उपन्यास : ‘गोलू और भोलू’।

लेख संग्रह : हिन्दी का पक्ष, कुछ सवाल कुछ जवाब।

भारत की लगभग सभी मुख्य भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी तथा कुछ यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद। साहित्य, संस्कृति व मीडिया के अलावा राजनीतिक विषयों पर लगातार लेखन।

1999 से समयांतर का मासिक रूप में पुनर्प्रकाशन और सम्पादन।

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