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Secular/Sampradayik : Ek Bhartiya Uljhan Ke Kuchh Aayam (CSDS)
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Sharir Aur Aatma (Manto Ab Tak-2)
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Shareephan (Manto Ab Tak-10)
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सआदत हसन मण्टो
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
सआदत हसन मण्टो
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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10-12 Days
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ISBN:
SKU
9789350722879
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
86
मण्टो की ‘शरीफ़न’ ही एक ऐसी कहानी है जो कहानी नहीं एक जीता जागता दुःस्वप्न मालूम होती है। इस कहानी को पढ़ कर मुझे लगा कि मण्टो जो दो लड़कियों का बाप था, फ़सादों के दौरान किस तकलीफ़ में से गुज़रा होगा। एक आम आदमी जब निजी हादसे का शिकार होता है तो किस तरह समझ सोच को भुला कर दरिन्दगी पर उतर आता है और इसीलिए कहानी के अन्त में कासिम के प्रति गुस्सा नहीं आता, वरन उसकी अपार दयनीयता और विवशता के प्रति दुख और दया ही उपजती है। यही कहानी, जो एक साम्प्रदायिक लेखक के हाथों लिखी जा कर लोगों के जज़्बातों को भड़का सकती थी, मण्टो के हाथों से निकल कर बिलकुल उलटा असर डालती है-वह पाठकों को दहशत की ऐसी सर्द हालत में छोड़ जाती है कि वे संजीदा हो कर इस सारी स्थिति पर गौर करने के लिए प्रेरित होते हैं, जब आदमी पशु से बेहतर नहीं होता।
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Description
मण्टो की ‘शरीफ़न’ ही एक ऐसी कहानी है जो कहानी नहीं एक जीता जागता दुःस्वप्न मालूम होती है। इस कहानी को पढ़ कर मुझे लगा कि मण्टो जो दो लड़कियों का बाप था, फ़सादों के दौरान किस तकलीफ़ में से गुज़रा होगा। एक आम आदमी जब निजी हादसे का शिकार होता है तो किस तरह समझ सोच को भुला कर दरिन्दगी पर उतर आता है और इसीलिए कहानी के अन्त में कासिम के प्रति गुस्सा नहीं आता, वरन उसकी अपार दयनीयता और विवशता के प्रति दुख और दया ही उपजती है। यही कहानी, जो एक साम्प्रदायिक लेखक के हाथों लिखी जा कर लोगों के जज़्बातों को भड़का सकती थी, मण्टो के हाथों से निकल कर बिलकुल उलटा असर डालती है-वह पाठकों को दहशत की ऐसी सर्द हालत में छोड़ जाती है कि वे संजीदा हो कर इस सारी स्थिति पर गौर करने के लिए प्रेरित होते हैं, जब आदमी पशु से बेहतर नहीं होता।
About Author
सआदत हसन मण्टो -
सआदत हसन मण्टो उर्दू-हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं महत्त्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। जन्म, 11 मई 1921 को ज़िला लुधियाना में हुआ। आरम्भिक शिक्षा अमृतसर एवं अलीगढ में हुई। विभाजन एवं दंगा संस्कृति पर लिखी समस्त कहानियाँ आज दस्तावेज़ बन चुकी हैं। मण्टो ने मुम्बई की बालीवुड नगरी में भी संवाद लेखक के तौर पर काम किया। एक साप्ताहिक पत्रिका 'मुसव्वर' का सम्पादन भी किया। मुम्बई में फ़िल्मसिटी, फ़िल्म कंपनी और प्रभात टाकीज़ में भी नौकरी की। 1948 में पाकिस्तान चले गये और 1955 में इस महान कथाकार की मृत्यु हो गयी। मण्टो की पहली कहानी तमाशा थी। मण्टो ने बग़ैर उन्वान के नाम से इकलौता उपन्यास लिखा। उनकी अन्तिम कहानी : कबूतर और कबूतरी थी।
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