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Shahar Ke naam
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
मृदुला गर्ग
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
मृदुला गर्ग
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹100 ₹99
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In stock
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10-12 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788126316595
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
112
शहर के नाम –
व्यक्ति समाज में ही नहीं जीता, समाज को भी जीता है। एक की पीड़ा दूसरे की बने तभी मानवीय संवेदना जन्म लेती है जो लेखक को पाठक से इस तरह जोड़ती है कि सृजन का अधिकार दोनों का साझा हो जाता है। फिर समाज केवल नारी और पुरुष का समूह ही नहीं होता वरन् गाँव, शहर, देश व सारा-का-सारा परिवेश भी उसका अभिन्न अंग होता है। और व्यक्ति का इनसे रिश्ता समाज के व्यक्तित्व को बनाता-बिगाड़ता है। इस संग्रह की कहानियाँ इसी रिश्ते और संवेदना से रँगी हैं। इनके पात्र बाहरी जन नहीं बने रहते। शहर के साथ उनका सम्बन्ध अनेक रंगों में खिलता है, फूलता-फलता और मुरझाता है और हर हाल में पाठक को बाध्य करता है कि वह जो घट चुका, उसके आगे बार-बार चिन्तन करे।
प्रतिष्ठित कथाकार मृदुला गर्ग की बहुचर्चित कहानियों के संग्रह ‘शहर के नाम’ का प्रस्तुत है नया संस्करण।
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Description
शहर के नाम –
व्यक्ति समाज में ही नहीं जीता, समाज को भी जीता है। एक की पीड़ा दूसरे की बने तभी मानवीय संवेदना जन्म लेती है जो लेखक को पाठक से इस तरह जोड़ती है कि सृजन का अधिकार दोनों का साझा हो जाता है। फिर समाज केवल नारी और पुरुष का समूह ही नहीं होता वरन् गाँव, शहर, देश व सारा-का-सारा परिवेश भी उसका अभिन्न अंग होता है। और व्यक्ति का इनसे रिश्ता समाज के व्यक्तित्व को बनाता-बिगाड़ता है। इस संग्रह की कहानियाँ इसी रिश्ते और संवेदना से रँगी हैं। इनके पात्र बाहरी जन नहीं बने रहते। शहर के साथ उनका सम्बन्ध अनेक रंगों में खिलता है, फूलता-फलता और मुरझाता है और हर हाल में पाठक को बाध्य करता है कि वह जो घट चुका, उसके आगे बार-बार चिन्तन करे।
प्रतिष्ठित कथाकार मृदुला गर्ग की बहुचर्चित कहानियों के संग्रह ‘शहर के नाम’ का प्रस्तुत है नया संस्करण।
About Author
मृदुला गर्ग -
जन्म: 25 अक्तूबर, 1938 (कोलकाता)।
शिक्षा: एम.ए. (अर्थशास्त्र)।
तीन वर्ष कॉलेज में अध्यापन। 1971 से रचनारत। कथा साहित्य में कथ्य और शिल्प के अनूठे प्रयोग के लिए सुपरिचित।
प्रकाशित कृतियाँ: 'उसके हिस्से की धूप', 'वंशज', 'चित्तकोबरा', 'अनित्य', 'मैं और मैं', 'कठगुलाब', 'मिलजुल मन' (उपन्यास)। क़रीब 11 संग्रहों में अस्सी कहानियाँ प्रकाशित। 1973-2003 तक की सम्पूर्ण कहानियाँ 'संगति-विसंगति' नाम से दो खण्डों में संगृहीत। 'एक और अजनबी', 'जादू का कालीन', 'कितनी क़ैदें', 'साम दाम दण्ड भेद' (नाटक)। 'रंग ढंग', 'चुकते नहीं सवाल' (निबन्ध-संग्रह)। 'कुछ अटके कुछ भटके' (यात्रा संस्मरण)। 'कर लेंगे सब हज़म' (लेख)।
अनूदित पुस्तकें: 'कंट्री ऑफ़ गुडबाइज़' (कठगुलाब का अंग्रेज़ी अनुवाद), 'डैफ़ोडिल्स ऑन फ़ायर' (अनूदित कहानियों का संग्रह), 'चित्तकोबरा' उपन्यास जर्मन तथा अंग्रेज़ी में अनूदित; 'एक और अजनबी', 'कितनी क़ैदें' और 'जादू का कालीन' केजस नाम से अंग्रेज़ी में अनूदित; अनेक कहानियाँ भारतीय भाषाओं सहित चैक, जर्मन, अंग्रेज़ी व जापानी में अनूदित।
सम्मान: साहित्यकार सम्मान (दिल्ली हिन्दी अकादमी); साहित्यभूषण (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान); हैलमन हैमट ग्रांट (न्यूयॉर्क ह्यूमन राइट्स वाच); व्यास सम्मान (के.के. बिरला फ़ाउंडेशन)।
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