SaleHardback
Pratinidhi Kahaniyan : Ismat Chugtai (PB)
₹150 ₹149
Save: 1%
Shaadi (PB)
₹299 ₹209
Save: 30%
Shaadi (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Ismat Chugtai
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Ismat Chugtai
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹450 ₹315
Save: 30%
In stock
Ships within:
3-5 days
In stock
ISBN:
SKU
9788126729609
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
इस्मत चुग़ताई उर्दू की सम्पूर्ण गद्यकार हैं। उन्होंने न सिर्फ़ अफ़साने और उपन्यास लिखे, बल्कि अन्य कई विधाओं में भी अपनी क़लम के हुनर का लोहा मनवाया। उनके आत्मकथात्मक लेखन का पैनापन देखते ही बनता है। समाज के साथ अपने ऊपर हँसने की ख़ूबी, गहरा व्यंग्य और सुथरा हास्यबोध उन्हें अपने दौर के बाक़ी कथाकारों से विशिष्ट बनाता है। फिर अपने स्त्री होने का उनका अहसास और सो भी एक ऐसी स्त्री जिसे बनी बनाई लकीरों से अलग हटकर चलने का कुछ चस्का-सा है, उन्हें अपने समय से भी आगे का विजनरी साबित करता है।
आज वे जितनी उर्दू की हैं उतनी ही हिन्दी की भी हो चुकी हैं। उनकी ज़्यादातर रचनाएँ हिन्दी में उपलब्ध हैं। हिन्दी में उनकी उर्दू रचनाओं का आना हमेशा पाठकों को उत्तेजित करता रहा है। ख़ास तौर से उनकी कहानियाँ जो आज भी लोकप्रियता के उसी शिखर पर हैं, जैसी वे उनके ज़माने में थीं। इस किताब में उनकी कुछ चर्चित कहानियों के अलावा उनके कुछ छोटे ड्रामों को भी शामिल किया गया उनका एक लेख भी इसमें रखा गया है जो उनके उत्कृष्ट संस्मरणात्मक गद्य का नमूना है।
Be the first to review “Shaadi (HB)” Cancel reply
Description
इस्मत चुग़ताई उर्दू की सम्पूर्ण गद्यकार हैं। उन्होंने न सिर्फ़ अफ़साने और उपन्यास लिखे, बल्कि अन्य कई विधाओं में भी अपनी क़लम के हुनर का लोहा मनवाया। उनके आत्मकथात्मक लेखन का पैनापन देखते ही बनता है। समाज के साथ अपने ऊपर हँसने की ख़ूबी, गहरा व्यंग्य और सुथरा हास्यबोध उन्हें अपने दौर के बाक़ी कथाकारों से विशिष्ट बनाता है। फिर अपने स्त्री होने का उनका अहसास और सो भी एक ऐसी स्त्री जिसे बनी बनाई लकीरों से अलग हटकर चलने का कुछ चस्का-सा है, उन्हें अपने समय से भी आगे का विजनरी साबित करता है।
आज वे जितनी उर्दू की हैं उतनी ही हिन्दी की भी हो चुकी हैं। उनकी ज़्यादातर रचनाएँ हिन्दी में उपलब्ध हैं। हिन्दी में उनकी उर्दू रचनाओं का आना हमेशा पाठकों को उत्तेजित करता रहा है। ख़ास तौर से उनकी कहानियाँ जो आज भी लोकप्रियता के उसी शिखर पर हैं, जैसी वे उनके ज़माने में थीं। इस किताब में उनकी कुछ चर्चित कहानियों के अलावा उनके कुछ छोटे ड्रामों को भी शामिल किया गया उनका एक लेख भी इसमें रखा गया है जो उनके उत्कृष्ट संस्मरणात्मक गद्य का नमूना है।
About Author
इस्मत चुग़ताई
जन्म : 21 जुलाई, 1915; बदायूँ (उत्तर प्रदेश)।
इस्मत ने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़े की दबी-कुचली-सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है। इस्मत चुग़ताई पर उनकी मशहूर कहानी ‘लिहाफ़’ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में मुक़दमा चला, लेकिन ख़ारिज हो गया। ‘गेन्दा’ उनकी पहली कहानी थी जो 1949 में उर्दू साहित्य की सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक पत्रिका 'साक़ी’ में छपी। उनका पहला उपन्यास ‘जि़द्दी’ 1941 में प्रकाशित हुआ। ‘मासूमा’, ‘सैदाई’, ‘जंगली कबूतर’, ‘टेढ़ी लकीर’, ‘दिल की दुनिया’, ‘अजीब आदमी’, ‘एक क़तरा ख़ून’ और ‘बाँदी’ उनके अन्य उपन्यास हैं। ‘कलियाँ’, ‘चोटें’, ‘एक रात’, ‘छुई-मुई’, ‘दो हाथ’, ‘दोज़ख़ी’, ‘शैतान’ आदि कहानी-संग्रह हैं। हिन्दी में ‘कुँवारी’ व अन्य कई कहानी-संग्रह तथा अंग्रेज़ी में उनकी कहानियों के तीन संग्रह प्रकाशित हैं जिनमें ‘काली’ काफ़ी मशहूर हुआ। कई फ़िल्में लिखीं और ‘जुनून’ में एक रोल भी किया। 1943 में उनकी पहली फ़िल्म ‘छेड़-छाड़’ थी। कुल 13 फ़िल्मों से वे जुड़ी रहीं। उनकी आख़िरी फ़िल्म ‘गर्म हवा’ (1973) को कई अवार्ड मिले।
'साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ के अलावा उन्हें 'इक़बाल सम्मान’, 'मख़दूम अवार्ड’ और 'नेहरू अवार्ड’ भी मिले। अदबी दुनिया में 'इस्मत आपा’ के नाम से विख्यात इस लेखिका का निधन 24 अक्टूबर, 1991 को हुआ। उनकी वसीयत के अनुसार मुम्बई के चन्दनबाड़ी में उन्हें अग्नि को समर्पित किया गया।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Shaadi (HB)” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.