Set Of Two Books : Hey Ram I Modi Vs Khan Market

Publisher:
Jansabha I CMPPR
| Author:
Prakhar Shrivastava I Ashok Shrivastav
| Language:
Hindi
| Format:
Omnibus/Box Set (Paperback)
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Jansabha I CMPPR
Author:
Prakhar Shrivastava I Ashok Shrivastav
Language:
Hindi
Format:
Omnibus/Box Set (Paperback)

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1. हे राम: गांधी हत्याकांड का सच सिर्फ इतना भर नहीं है कि 30 जनवरी 1948 की एक शाम गोडसे बिड़ला भवन आया और उसने गांधी को तीन गोली मार दीं। दरअसल, गांधी हत्याकांड को संपूर्ण रुप से समझने के लिये इसकी पृष्ठभूमि का तथ्यात्मक अध्ययन अति आवश्यक है। इस पुस्तक में गांधी की हत्या से जुड़े एक पूरे काल खंड का बारीकी से अध्ययन किया गया है। आज़ादी के आंदोलन का अंतिम दौर, मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग, सांप्रदायिक दंगे, देश का विनाशकारी विभाजन, लुटे-पिटे शरणार्थियों की समस्या, मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिये गांधी का हठ, हिंदुओं के मन में पैदा हुआ उपेक्षा और क्षोभ का भाव, सत्ता और शक्ति के लिए कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व में पड़ी फूट जैसी कई वजहों से गांधी हत्याकांड की पृष्ठभूमि तैयार होती है। गोडसे की चलाई तीन गोलियों की तरह ये सब मुद्दे भी गांधी की हत्या के लिये बराबरी से जिम्मेदार हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जब-जब गांधी की हत्या की बात होती हैं तो इन मुद्दों पर चुप्पी साध ली जाती है। कभी इस विषय पर भी गंभीर चर्चा नहीं होती है कि “पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा” ये कहने वाले गांधी ने विभाजन के खिलाफ कोई आमरण अनशन या कोई आंदोलन क्यों नहीं किया? इस पुस्तक में इस मुद्दे पर तथ्यों के साथ चर्चा की गई है। साज़िश की तह तक पहुंचने के लिए पुस्तक के लेखक ने पुलिस की तमाम छोटी-बड़ी जांच रिपोर्ट, केस डायरी, गवाहों के बयान और पूरी अदालती कार्यवाही से जुड़े हज़ारों पन्नों का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है। कुल मिलाकर इस पुस्तक को मानक इतिहास लेखन की दृष्टि से देखा जाए तो लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने प्राथमिक स्रोतों का उपयोग बहुत परिश्रम, सावधानी और समझदारी से किया है।

2. मोदी VS खान मार्किट गैंग : 2019 के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने पहली बार “खान मार्किट गैंग” शब्द का प्रयोग किया था और कहा था कि मेरी छवि खान मार्केट गैंग ने नहीं बनाई ये 45 साल की मेहनत और तपस्या से बनी है। इसलिए आप इसे खराब नहीं कर सकते। ये किताब नई दिल्ली से लेकर न्यूयॉर्क तक फैले “खान मार्केट गैंग” की मानसिकता से जुड़े लोगों और उनके फेक नैरेटिव एक्सपोज करती है। वो फेक नैरेटिव जो नरेन्द्र मोदी और भारत को बदनाम करने के लिए लगातार फैलाए जाते हैं।

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1. हे राम: गांधी हत्याकांड का सच सिर्फ इतना भर नहीं है कि 30 जनवरी 1948 की एक शाम गोडसे बिड़ला भवन आया और उसने गांधी को तीन गोली मार दीं। दरअसल, गांधी हत्याकांड को संपूर्ण रुप से समझने के लिये इसकी पृष्ठभूमि का तथ्यात्मक अध्ययन अति आवश्यक है। इस पुस्तक में गांधी की हत्या से जुड़े एक पूरे काल खंड का बारीकी से अध्ययन किया गया है। आज़ादी के आंदोलन का अंतिम दौर, मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग, सांप्रदायिक दंगे, देश का विनाशकारी विभाजन, लुटे-पिटे शरणार्थियों की समस्या, मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिये गांधी का हठ, हिंदुओं के मन में पैदा हुआ उपेक्षा और क्षोभ का भाव, सत्ता और शक्ति के लिए कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व में पड़ी फूट जैसी कई वजहों से गांधी हत्याकांड की पृष्ठभूमि तैयार होती है। गोडसे की चलाई तीन गोलियों की तरह ये सब मुद्दे भी गांधी की हत्या के लिये बराबरी से जिम्मेदार हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जब-जब गांधी की हत्या की बात होती हैं तो इन मुद्दों पर चुप्पी साध ली जाती है। कभी इस विषय पर भी गंभीर चर्चा नहीं होती है कि “पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा” ये कहने वाले गांधी ने विभाजन के खिलाफ कोई आमरण अनशन या कोई आंदोलन क्यों नहीं किया? इस पुस्तक में इस मुद्दे पर तथ्यों के साथ चर्चा की गई है। साज़िश की तह तक पहुंचने के लिए पुस्तक के लेखक ने पुलिस की तमाम छोटी-बड़ी जांच रिपोर्ट, केस डायरी, गवाहों के बयान और पूरी अदालती कार्यवाही से जुड़े हज़ारों पन्नों का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है। कुल मिलाकर इस पुस्तक को मानक इतिहास लेखन की दृष्टि से देखा जाए तो लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने प्राथमिक स्रोतों का उपयोग बहुत परिश्रम, सावधानी और समझदारी से किया है।

2. मोदी VS खान मार्किट गैंग : 2019 के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने पहली बार “खान मार्किट गैंग” शब्द का प्रयोग किया था और कहा था कि मेरी छवि खान मार्केट गैंग ने नहीं बनाई ये 45 साल की मेहनत और तपस्या से बनी है। इसलिए आप इसे खराब नहीं कर सकते। ये किताब नई दिल्ली से लेकर न्यूयॉर्क तक फैले “खान मार्केट गैंग” की मानसिकता से जुड़े लोगों और उनके फेक नैरेटिव एक्सपोज करती है। वो फेक नैरेटिव जो नरेन्द्र मोदी और भारत को बदनाम करने के लिए लगातार फैलाए जाते हैं।

About Author

प्रखर श्रीवास्तव वरिष्ठ टीवी पत्रकार हैं। दो दशक के पत्रकारिता जीवन में उन्होंने इंडिया टीवी, ज़ी न्यूज़, टीवी टुडे नेटवर्क (आजतक), एनडीटीवी इंडिया, न्यूज़ 24, सहारा समय और दूरदर्शन में कार्य किया है। इसके अलावा वह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ‘कैपिटल टीवी’ से भी जुड़े रहे, जहां उन्होंने बेहद लोकप्रिय शो ‘खरी बात प्रखर के साथ’ पेश किया। ऐतिहासिक विषय पर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ये देश का नंबर वन शो है। प्रखर श्रीवास्तव वर्ष 2005 से ही गांधी हत्याकांड से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर कार्य कर रहे हैं। इसी साल उन्होंने ज़ी न्यूज़ के लिए गांधी हत्याकांड पर एक विशेष शो बनाया था। इसी विषय पर वह एनडीटीवी इंडिया, इंडिया न्यूज़, न्यूज़ 24 और कैपिटल टीवी में भी कई शो बना चुके हैं। प्रखर श्रीवास्तव मूलतः मध्यप्रदेश के राजगढ़ (ब्यावरा) जिले के तलेन गांव के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1978 में गुना में हुआ था। प्रखर के पिता स्वर्गीय नरेंद्र ‘अतुल’ वरिष्ठ शासकीय अधिकारी होने के साथ-साथ प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार भी थे। प्रखर की माता श्रीमती मनोरमा श्रीवास्तव एक गृहिणी हैं। प्रखर की शुरुआती शिक्षा भोपाल में हुई और बाद में उन्होंने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। पिछले दो दशक से प्रखर दिल्ली में पत्रकारिता कर रहे हैं।

लेखक अशोक श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार है । और वह दूरदर्शन के दीदी न्यूज से लंबे समय से जुड़े हुए है ।

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