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Set Of 3 Books On Kargil : Kargil Mein Vijyant I Kargil I Kargil
Publisher:
HIND POCKET BOOKS I Rajpal I Prabhat Prakashan
| Author:
V.N. THAPAR I V.P. Malik I Rachna Bisht Rawat
| Language:
Hindi
| Format:
Omnibus/Box Set (Paperback)
Publisher:
HIND POCKET BOOKS I Rajpal I Prabhat Prakashan
Author:
V.N. THAPAR I V.P. Malik I Rachna Bisht Rawat
Language:
Hindi
Format:
Omnibus/Box Set (Paperback)
₹1,149 ₹804
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: Biography & Memoir, Hindi, Omnibus/Box Set-Hindi
Page Extent:
890
1. कारगिल :
पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में ‘कारगिल’ सबसे कठिन और ताजा युद्ध है! जब पाकिस्तान ने धोखे से, छोरी-छिपे कारगिल की दुर्गम पहाडीयो मे से एक के हिस्से पर अपनी चौकियां बना दी थीं, तब कैसे भारत की थलसेना के वीर जवानो और हमारी वायुसेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को वहॉ रने पूरी तरह परास्त किया और फिर से सारी भूमि पर अपना तिरंगा फहराया! युद्धों के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व विजय है! इस पुस्तक का विशेष प्रकरण है, पाकिस्तान के डिक्टेटर परवेज मुशर्रफ की हाल ही से प्रकाशित हुई पुस्तक ‘इन द लाइन आफ फायर’ मेइन किये गये झूठे दावोन का मुँहतोड़ उत्तर, जो इस पुस्तक के लेखक जनरल बीपी मलिक ने दिया है, पूरे प्रमाणों कं साथ! भारत-पाक संबंधो और काश्मीर की समस्या को समझने कं लिए यह पुस्तक एक आवश्यक दस्तावेज़ है!
2.कारगिल
कारगिल युद्ध की बीसवीं वर्षगाँठ पर इसके वीर सैनिकों की कहानियों के जरिए बेहद ठंडे युद्धक्षेत्र का दोबारा अनुभव कीजिए। असहाय पैराट्रूपर के एक समूह ने अपनी ही पोजीशन पर बोफोर्स गनों से फायर करने को क्यों कहा? पालमपुर का एक वृद्ध व्यक्ति अपने शहीद फौजी बेटे को न्याय दिलाने के लिए आखिर क्यों लड़ रहा है? एक शहीद जवान का पिता हर साल एक कश्मीरी युवती के घर क्यों जाता है? ‘कारगिल’ पर लिखी यह पुस्तक आपको ऐसे दुर्गम पर्वत शिखरों पर ले जाती है, जहाँ भारतीय सेना ने कुछ रक्तरंजित लड़ाइयाँ लड़ीं। इस युद्ध को लड़नेवाले जवानों और शहीदों के परिवारवालों से साक्षात्कार के बाद रचना बिष्ट रावत ने अदम्य मानवीय साहस दिखानेवाली ये कहानियाँ लिखी हैं, जिनका सरोकार केवल वर्दीधारियों से नहीं, बल्कि उन्हें सबसे ज्यादा प्यार करनेवाले लोगों से भी है। अप्रतिम साहस की कहानियाँ सुनाती यह पुस्तक हमारे लिए अपने प्राणों की आहुति देनेवाले 527 युवा बहादुरों के अलावा उन शूरवीरों को भी एक श्रद्धांजलि है, जो इस आहुति को देने के लिए तैयार बैठे थे।.
3.कारगिल में विजयंत :
जब तक आपको यह पत्र मिलेगा, मैं आकाश से आप सभी को देख रहा होऊंगा। मुझे कोई पछतावा नहीं है, असल में अगर मैं फिर से इंसान बन गया तो भी मैं सेना में शामिल होऊंगा और अपने देश के लिए लड़ूंगा।’
यह कैप्टन विजयंत थापर द्वारा अपने परिवार को लिखा गया आखिरी पत्र था। जब वह कारगिल युद्ध में शहीद हुए तब वह बाईस वर्ष के थे, उन्होंने टोलोलिंग और नोल की महत्वपूर्ण लड़ाइयों में बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी। चौथी पीढ़ी के सेना अधिकारी, विजयंत ने एक युवा लड़के के रूप में भी अपने देश की सेवा करने का सपना देखा था। इस पहली जीवनी में, हम भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल होने की उनकी यात्रा और उन अनुभवों के बारे में सीखते हैं जिन्होंने उन्हें एक अच्छा अधिकारी बनाया।
उनके पिता और खुद शहीद की बेटी नेहा द्विवेदी द्वारा बताए गए, उनके परिवार और करीबी दोस्तों के किस्से जीवंत हो उठते हैं, और हमें विजयंत के असाधारण युवा व्यक्ति को जानने का मौका मिलता है। उनकी प्रेरणादायक कहानी एक बहादुर सैनिक के दिल में एक दुर्लभ झलक प्रदान करती है। उनकी विरासत इन सुखद यादों और देश के प्रति उनकी सेवा के माध्यम से जीवित है।
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Description
1. कारगिल :
पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में ‘कारगिल’ सबसे कठिन और ताजा युद्ध है! जब पाकिस्तान ने धोखे से, छोरी-छिपे कारगिल की दुर्गम पहाडीयो मे से एक के हिस्से पर अपनी चौकियां बना दी थीं, तब कैसे भारत की थलसेना के वीर जवानो और हमारी वायुसेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को वहॉ रने पूरी तरह परास्त किया और फिर से सारी भूमि पर अपना तिरंगा फहराया! युद्धों के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व विजय है! इस पुस्तक का विशेष प्रकरण है, पाकिस्तान के डिक्टेटर परवेज मुशर्रफ की हाल ही से प्रकाशित हुई पुस्तक ‘इन द लाइन आफ फायर’ मेइन किये गये झूठे दावोन का मुँहतोड़ उत्तर, जो इस पुस्तक के लेखक जनरल बीपी मलिक ने दिया है, पूरे प्रमाणों कं साथ! भारत-पाक संबंधो और काश्मीर की समस्या को समझने कं लिए यह पुस्तक एक आवश्यक दस्तावेज़ है!
2.कारगिल
कारगिल युद्ध की बीसवीं वर्षगाँठ पर इसके वीर सैनिकों की कहानियों के जरिए बेहद ठंडे युद्धक्षेत्र का दोबारा अनुभव कीजिए। असहाय पैराट्रूपर के एक समूह ने अपनी ही पोजीशन पर बोफोर्स गनों से फायर करने को क्यों कहा? पालमपुर का एक वृद्ध व्यक्ति अपने शहीद फौजी बेटे को न्याय दिलाने के लिए आखिर क्यों लड़ रहा है? एक शहीद जवान का पिता हर साल एक कश्मीरी युवती के घर क्यों जाता है? ‘कारगिल’ पर लिखी यह पुस्तक आपको ऐसे दुर्गम पर्वत शिखरों पर ले जाती है, जहाँ भारतीय सेना ने कुछ रक्तरंजित लड़ाइयाँ लड़ीं। इस युद्ध को लड़नेवाले जवानों और शहीदों के परिवारवालों से साक्षात्कार के बाद रचना बिष्ट रावत ने अदम्य मानवीय साहस दिखानेवाली ये कहानियाँ लिखी हैं, जिनका सरोकार केवल वर्दीधारियों से नहीं, बल्कि उन्हें सबसे ज्यादा प्यार करनेवाले लोगों से भी है। अप्रतिम साहस की कहानियाँ सुनाती यह पुस्तक हमारे लिए अपने प्राणों की आहुति देनेवाले 527 युवा बहादुरों के अलावा उन शूरवीरों को भी एक श्रद्धांजलि है, जो इस आहुति को देने के लिए तैयार बैठे थे।.
3.कारगिल में विजयंत :
जब तक आपको यह पत्र मिलेगा, मैं आकाश से आप सभी को देख रहा होऊंगा। मुझे कोई पछतावा नहीं है, असल में अगर मैं फिर से इंसान बन गया तो भी मैं सेना में शामिल होऊंगा और अपने देश के लिए लड़ूंगा।’
यह कैप्टन विजयंत थापर द्वारा अपने परिवार को लिखा गया आखिरी पत्र था। जब वह कारगिल युद्ध में शहीद हुए तब वह बाईस वर्ष के थे, उन्होंने टोलोलिंग और नोल की महत्वपूर्ण लड़ाइयों में बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी। चौथी पीढ़ी के सेना अधिकारी, विजयंत ने एक युवा लड़के के रूप में भी अपने देश की सेवा करने का सपना देखा था। इस पहली जीवनी में, हम भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल होने की उनकी यात्रा और उन अनुभवों के बारे में सीखते हैं जिन्होंने उन्हें एक अच्छा अधिकारी बनाया।
उनके पिता और खुद शहीद की बेटी नेहा द्विवेदी द्वारा बताए गए, उनके परिवार और करीबी दोस्तों के किस्से जीवंत हो उठते हैं, और हमें विजयंत के असाधारण युवा व्यक्ति को जानने का मौका मिलता है। उनकी प्रेरणादायक कहानी एक बहादुर सैनिक के दिल में एक दुर्लभ झलक प्रदान करती है। उनकी विरासत इन सुखद यादों और देश के प्रति उनकी सेवा के माध्यम से जीवित है।
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