SaleHardback
Pandit Dindyal Upadhya Ideology And Perception 3
₹120 ₹119
Save: 1%
The Revolutionary : Ram Prasad Bismil’s Autobiography From the Death Row
₹145 ₹144
Save: 1%
Saraswati Beh Rahi Hai
Publisher:
Aryan Books International
| Author:
B B Lal
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Aryan Books International
Author:
B B Lal
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹995 ₹746
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Weight | 580 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
SKU
9788173055768
Categories History, PIRecommends
Categories: History, PIRecommends
Page Extent:
NA
यह पुस्तक प्राचीन भारत की दो प्रमुख परस्पर विरोधी मान्यताओं पर विचार करती है।
प्रथम-कुछ भारतीय और अधिकांश पाश्चात्य विद्वानों की मान्यता है कि ऋग्वैदिक सरस्वती नदी अफ़ग़ानिस्तान की हेलमण्ड नदी है। लेखक ने ऋग्वेद के पूरे साक्ष्यों का विश्लेषण किया और यह दिखाने का प्रयास किया है कि पूर्वोक्त मान्यता सर्वथा निराधार है। ये मान्यताएँ ऋग्वैदिक साक्ष्यों के विपरीत जाती हैं। दूसरी ओर ऋग्वेद की ही भौगोलिक सामग्रियाँ स्पष्ट करती हैं कि ऋग्वैदिक सरस्वती और दूसरी कोई नहीं, आज की सरस्वती-घग्गर नदी है और यह दोनों साथ मिल कर हरियाणा और पंजाब से होकर बहती थीं। यद्यपि अब यह सिरसा के पास सूख गयी हैं और इसका सूखा क्षेत्र कहीं कहीं तक़रीबन 8 किलोमीटर चैड़ा है। अन्ततः यह नदी अरब सागर में जाकर मिलती थी।
दूसरा-आर्यो ने भारतवर्ष पर आक्रमण किया जिसके फलस्वरूप हड़प्पा सभ्यता का अस्तित्व मिट गया। लेखक का कहना है कि ऐसे किसी आक्रमण के होने के कोई संकेत नहीं मिलते। हड़प्पा सभ्यता और वैदिक सभ्यता एक ही सिक्के के दो पक्ष हैं। यदि आप 4500 वर्ष पूर्व के हड़प्पा के आवासों मे जाएँ तो यह देख कर आश्चर्यचकित न हों कि स्त्री अपनी माँग मे सिंदूर भर रही है। हरियाणा-राजस्थान के किसान पूर्व की भाँति आज भी अपने खेत जोतते हैं। योगासन, जो आज पाश्चात्य देशों ने भी अपनायें हैं, वह भी हड़प्पा वासियों की ही देन हैं और यदि आप नमस्ते से अभिवादन करना चाहते हैं तो हड़प्पावासी प्रसन्न होकर हाथ जोड़ नमस्ते करते मिल जाएँगे। अतः भारत की आत्मा सदैव जीवित रही है और जीवित रहेगी।
Be the first to review “Saraswati Beh Rahi Hai” Cancel reply
Description
यह पुस्तक प्राचीन भारत की दो प्रमुख परस्पर विरोधी मान्यताओं पर विचार करती है।
प्रथम-कुछ भारतीय और अधिकांश पाश्चात्य विद्वानों की मान्यता है कि ऋग्वैदिक सरस्वती नदी अफ़ग़ानिस्तान की हेलमण्ड नदी है। लेखक ने ऋग्वेद के पूरे साक्ष्यों का विश्लेषण किया और यह दिखाने का प्रयास किया है कि पूर्वोक्त मान्यता सर्वथा निराधार है। ये मान्यताएँ ऋग्वैदिक साक्ष्यों के विपरीत जाती हैं। दूसरी ओर ऋग्वेद की ही भौगोलिक सामग्रियाँ स्पष्ट करती हैं कि ऋग्वैदिक सरस्वती और दूसरी कोई नहीं, आज की सरस्वती-घग्गर नदी है और यह दोनों साथ मिल कर हरियाणा और पंजाब से होकर बहती थीं। यद्यपि अब यह सिरसा के पास सूख गयी हैं और इसका सूखा क्षेत्र कहीं कहीं तक़रीबन 8 किलोमीटर चैड़ा है। अन्ततः यह नदी अरब सागर में जाकर मिलती थी।
दूसरा-आर्यो ने भारतवर्ष पर आक्रमण किया जिसके फलस्वरूप हड़प्पा सभ्यता का अस्तित्व मिट गया। लेखक का कहना है कि ऐसे किसी आक्रमण के होने के कोई संकेत नहीं मिलते। हड़प्पा सभ्यता और वैदिक सभ्यता एक ही सिक्के के दो पक्ष हैं। यदि आप 4500 वर्ष पूर्व के हड़प्पा के आवासों मे जाएँ तो यह देख कर आश्चर्यचकित न हों कि स्त्री अपनी माँग मे सिंदूर भर रही है। हरियाणा-राजस्थान के किसान पूर्व की भाँति आज भी अपने खेत जोतते हैं। योगासन, जो आज पाश्चात्य देशों ने भी अपनायें हैं, वह भी हड़प्पा वासियों की ही देन हैं और यदि आप नमस्ते से अभिवादन करना चाहते हैं तो हड़प्पावासी प्रसन्न होकर हाथ जोड़ नमस्ते करते मिल जाएँगे। अतः भारत की आत्मा सदैव जीवित रही है और जीवित रहेगी।
About Author
A world-renowned archaeologist, Prof. B.B. Lal was the Director General of the Archaeological Survey of India from 1968 to 1972. In the latter year he took voluntary retirement to pursue his research programmes independently. His publications include over 150 seminal research papers, published in scientific journals, both in India and abroad: USA, UK, France, Italy, Russia, Egypt, Afghanistan, Japan, etc. In 1994, Prof. Lal was awarded D. Litt. (Honoris causa) by Institute of Archaeology, St. Petersburg, Russia. The same year he presided over World Archaeological Congress. He has been Chairman and member of several committees of UNESCO. In 1982, Mithila Visvavidyalaya honoured him with the title of Mahamahopadh
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Saraswati Beh Rahi Hai” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
History of the Freedom Movement in India (Set of 3 Volumes)
Save: 5%
The Book Of Emperors: An Illustrated History Of The Mughals
Save: 35%
The Breakup Monologues : The Unexpected Joy Of Heartbreak
Save: 64%
Reviews
There are no reviews yet.