SaleHardback
Sanskriti Ke Prashn Aur Ramvilas Sharma
₹750 ₹525
Save: 30%
Sathottari Hindi Kavita Mein Janvadi Chetna
₹695 ₹487
Save: 30%
Sapnon Ka Bachpan : Rangmanch
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
मो. असलम खान
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
मो. असलम खान
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹595 ₹417
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789355182784
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
256
मैं बचपन में स्कूल के प्रत्येक नाटक में भाग लेता था। फिर कॉलेज के लिए नाटक लिखना शुरू किया और साथ-साथ अभिनय भी करता था। मैंने पाँच कहानियाँ भी लिखीं और मेरी रुचि कहानियाँ लिखने में भी हो गयी। समय-समय पर अपने बच्चों के स्कूल जाता रहा। नाट्य लेखक के रूप में स्कूलों के वार्षिक उत्सव में जूरी की हैसियत से जाने का अवसर भी कई बार मिला। जहाँ बतौर नाट्य लेखक मुझे यह समझ आया कि बाल नाटकों का मंचन करने के लिए नाटकों का संकलन होना चाहिए। सो मैंने आजादी के महापुरुषों, क्रान्तिकारियों, राष्ट्र प्रेम से जुड़ी महत्त्वपूर्ण घटनाओं, आधुनिक भारत के गौरवशाली नेतागण, आन्दोलनकारियों और हास्य नाटकों का प्रयोग कर लिखना शुरू किया। सपनों का बचपन पुस्तक इसी का प्रतिफल है। आशा ही नहीं बल्कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह बाल संस्कार के 50 रंगमंचीय नाटक स्कूलों और छात्रों को यह भूलने नहीं देंगे कि आप सबका बचपन अनमोल है जो जीवन भर आपके सपनों में आता रहेगा। अन्त में, मैं यह कहना चाहूँगा, मेरा अनुभव और विश्वास है कि जिस दिन छात्र को स्वयं पर विश्वास हो जायेगा, तभी से वह समाज और देश की सम्पत्ति बन जायेगा। जिस राष्ट्र के पास रंगमंच और कला का अकूत भण्डार होगा वह राष्ट्र सदैव प्रगति पथ पर बढता रहेगा। उच्च वर्ग के बच्चों को शुल्क देकर सुविधा है कि वो अपनी मनचाही कला को सीखने के लिए विभिन्न संस्थाओं से जुड़ कर नाटक कला और संगीत सीख लेते हैं, लेकिन मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए यह कलाएँ सीखना दूर की कौड़ी है। जबकि नाटक, संगीत और कलाएँ, छात्रों में एक नयी लहर का संचार करती हैं, एक नयी सुगन्ध उनके विचारों में जन्म लेने लगती है, जो छात्रों के भविष्य का मार्गदर्शन करती है। आगे चलकर यही कला विद्यार्थियों को जीविकोपार्जन में सहयोग करती है। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त ज्ञान से ही छात्र राष्ट्रहित के श्रेष्ठ स्थान तक पहुँच सकता है। मैं शिक्षा के नीति निर्माताओं से कहना चाहूँगा कि हर विद्यालय में ‘संगीत अध्यापक’ की नियुक्ति अवश्य हो और प्रतिदिन संगीत, नाटक और कलाओं का छात्र अध्ययन करें। वर्तमान समय में देश में यही कलाएँ एक उद्योग का रूप ले चुकी हैं।
Be the first to review “Sapnon Ka Bachpan : Rangmanch” Cancel reply
Description
मैं बचपन में स्कूल के प्रत्येक नाटक में भाग लेता था। फिर कॉलेज के लिए नाटक लिखना शुरू किया और साथ-साथ अभिनय भी करता था। मैंने पाँच कहानियाँ भी लिखीं और मेरी रुचि कहानियाँ लिखने में भी हो गयी। समय-समय पर अपने बच्चों के स्कूल जाता रहा। नाट्य लेखक के रूप में स्कूलों के वार्षिक उत्सव में जूरी की हैसियत से जाने का अवसर भी कई बार मिला। जहाँ बतौर नाट्य लेखक मुझे यह समझ आया कि बाल नाटकों का मंचन करने के लिए नाटकों का संकलन होना चाहिए। सो मैंने आजादी के महापुरुषों, क्रान्तिकारियों, राष्ट्र प्रेम से जुड़ी महत्त्वपूर्ण घटनाओं, आधुनिक भारत के गौरवशाली नेतागण, आन्दोलनकारियों और हास्य नाटकों का प्रयोग कर लिखना शुरू किया। सपनों का बचपन पुस्तक इसी का प्रतिफल है। आशा ही नहीं बल्कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह बाल संस्कार के 50 रंगमंचीय नाटक स्कूलों और छात्रों को यह भूलने नहीं देंगे कि आप सबका बचपन अनमोल है जो जीवन भर आपके सपनों में आता रहेगा। अन्त में, मैं यह कहना चाहूँगा, मेरा अनुभव और विश्वास है कि जिस दिन छात्र को स्वयं पर विश्वास हो जायेगा, तभी से वह समाज और देश की सम्पत्ति बन जायेगा। जिस राष्ट्र के पास रंगमंच और कला का अकूत भण्डार होगा वह राष्ट्र सदैव प्रगति पथ पर बढता रहेगा। उच्च वर्ग के बच्चों को शुल्क देकर सुविधा है कि वो अपनी मनचाही कला को सीखने के लिए विभिन्न संस्थाओं से जुड़ कर नाटक कला और संगीत सीख लेते हैं, लेकिन मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए यह कलाएँ सीखना दूर की कौड़ी है। जबकि नाटक, संगीत और कलाएँ, छात्रों में एक नयी लहर का संचार करती हैं, एक नयी सुगन्ध उनके विचारों में जन्म लेने लगती है, जो छात्रों के भविष्य का मार्गदर्शन करती है। आगे चलकर यही कला विद्यार्थियों को जीविकोपार्जन में सहयोग करती है। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त ज्ञान से ही छात्र राष्ट्रहित के श्रेष्ठ स्थान तक पहुँच सकता है। मैं शिक्षा के नीति निर्माताओं से कहना चाहूँगा कि हर विद्यालय में ‘संगीत अध्यापक’ की नियुक्ति अवश्य हो और प्रतिदिन संगीत, नाटक और कलाओं का छात्र अध्ययन करें। वर्तमान समय में देश में यही कलाएँ एक उद्योग का रूप ले चुकी हैं।
About Author
मो. असलम खान
जन्म : नवम्बर 14, 1960, दिल्ली।
शिक्षा : स्नातक।
साहित्य रचना : 12 नाटक।
सम्मान : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सम्मान-2013 (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ) (नाटक : गुलाम रिश्ते)।
स्व. पिता मोहम्मद रफीक खान से हमेशा प्रभावित रहा हूँ। 1947 में थल सेना लाहौर में तैनात थे। उन्होंने पाकिस्तान का विरोध किया, तब भारत आ गये।
मैं 1979 से राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त निर्देशक सलीम आरिफ, दिनेश खन्ना, शाखा बन्द्योपाध्याय, सन्तराम आदि के द्वारा रंगमंच और आकाशवाणी के लिए नाटक करता रहा। मेरे लिखे पाँच चर्चित नाटक खिलौनों की बारात, नवाब झुमर-2, अन्तिम प्रजा, कँटीले तार और गुलाम रिश्ते हैं। वर्तमान में जो मैं ऐसा जानती नाटक का लेखन। समाज की कुरीतियाँ ही मुझे लिखने को बाध्य करती हैं। के.वी. स्कूल की संगीत टीचर भट्टाचार्य मैम की शिक्षा से मेरे नैतिक विकास पर गहरा असर पड़ा, क्योंकि वो मेरे लिए सरस्वती समान थीं व विलियम शेक्सपियर और प्रेमचन्द मेरे आदर्श रहे हैं। बच्चों से इतना लगाव है कि आज भी मैं उनकी यूनीफॉर्म देखकर रोमांचित हो जाता हूँ। मैंने कोरोना काल से ही बच्चों पर 50 नाटक लिखने की योजना बनाई जो बच्चों को रोचक लगे और उनका मार्गदर्शन करे तथा वर्तमान के साथ देश का इतिहास भी मालूम हो। संगीत और कला किसी भी देश की उन्नति का माध्यम होता है। मैं 'वाणी प्रकाशन ग्रुप' का आभारी हूँ, जिन्होंने मेरे संग्रह सपनों का बचपन की योग्यता को समझा और प्रकाशित कर सामाजिक हित में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। अगर आपको पुस्तक पसन्द आयी हो तो कृपया सूचित करें।
सम्पर्क: : ए-37, सना विला, कमला नेहरू नगर, साँई मन्दिर के पास, विकास नगर, सेक्टर-9, लखनऊ-226022
मोबाइल : 9839164688, 7007248013,
ई-मेल: adaab.aslamkhan@gmail.com
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Sapnon Ka Bachpan : Rangmanch” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.