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Sapanpriya

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
विजयदान देथा
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
विजयदान देथा
Language:
Hindi
Format:
Paperback

159

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1-4 Days

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ISBN:
SKU 8126308958 Category
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Page Extent:
296

सपनप्रिया –
‘…हवाई शब्दजाल व विदेशी लेखकों के अपच उच्छिष्ट का वमन करने में मुझे कोई सार नज़र नहीं आता। आकाशगंगा से कोई अजूबा खोजने की बजाय पाँवों के नीचे की धरती से कुछ कण बटोरना ज़्यादा महत्त्वपूर्ण लगता है। अन्यथा इन कहानियों को गढ़नेवाले लेखक की कहानी तो अनकही रह जायेगी। मैं निरन्तर बदलता रहता हूँ। परिष्कृत और संशोधित होता रहता हूँ। जीवित गाछ-बिरछों के उनमान प्रस्फुटित होता रहता हूँ। सघन होता रहता हूँ।’
प्रख्यात कथाकार विजयदान देथा (बिज्जी) के इस वक्तव्य के बाद केवल यह आग्रह ही किया जा सकता है कि हिन्दी के कथा-प्रेमी पाठक इस ‘सपनप्रिया’ संग्रह की अद्भुत और अद्वितीय कहानियाँ अवश्य पढ़ें।

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Description

सपनप्रिया –
‘…हवाई शब्दजाल व विदेशी लेखकों के अपच उच्छिष्ट का वमन करने में मुझे कोई सार नज़र नहीं आता। आकाशगंगा से कोई अजूबा खोजने की बजाय पाँवों के नीचे की धरती से कुछ कण बटोरना ज़्यादा महत्त्वपूर्ण लगता है। अन्यथा इन कहानियों को गढ़नेवाले लेखक की कहानी तो अनकही रह जायेगी। मैं निरन्तर बदलता रहता हूँ। परिष्कृत और संशोधित होता रहता हूँ। जीवित गाछ-बिरछों के उनमान प्रस्फुटित होता रहता हूँ। सघन होता रहता हूँ।’
प्रख्यात कथाकार विजयदान देथा (बिज्जी) के इस वक्तव्य के बाद केवल यह आग्रह ही किया जा सकता है कि हिन्दी के कथा-प्रेमी पाठक इस ‘सपनप्रिया’ संग्रह की अद्भुत और अद्वितीय कहानियाँ अवश्य पढ़ें।

About Author

विजयदान देथा - जन्म: 1 सितम्बर, 1926, बोरुन्दा, जोधपुर में। शिक्षा: जैतारण (पाली) बाड़मेर और जसवन्त कॉलेज, जयपुर में। प्रकाशन: 'वातां री फुलवाड़ी' ( 13 जिल्दों में), 'अलेखूँ हिटलर' (राजस्थानी कहानी-संग्रह), 'दुविधा व अन्य कहानियाँ', 'उलझन', 'सपनप्रिया' (कहानी-संग्रह), 'रूख' (विविधा) आदि। अनेक कहानियाँ हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं में अनूदित। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद् पुरस्कार, नाहर पुरस्कार आदि से सम्मानित।

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