Sant Ravidas

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
अशोक कुमार
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
अशोक कुमार
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Hindi
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Hardback

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सन्त रविदास –
हमारे देश में आदिकाल से एक धारा चली आ रही है, जो यह मानती है कि ईश्वर नाम की एक सर्वशक्तिमान सत्ता है जिसने इस सृष्टि की रचना की है और उसे संचालित करती है। इस सत्ता के प्रति भक्ति और समर्पण स्वाभाविक है। भक्ति की यह धारा दक्षिण भारत से 14वीं-15वीं शताब्दी में उत्तर भारत पहुँची और एक आन्दोलन के रूप में फैल गयी। विदेशी आक्रमणों से त्रस्त समाज को इस आन्दोलन में एक सुकून जैसा मिला और इसमें से स्वामी रामानन्द, कबीर, सन्त रविदास, सेन नाई, पीपाजी, धन्ना भगत सरीखे कई सन्त उभरे। इनके पदों, भजनों, दोहों आदि ने पूरे समाज को भक्ति रस में सराबोर किये रखा। उनका जीवन पूरे समाज के लिए एक सन्देश बन गया।

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Description

सन्त रविदास –
हमारे देश में आदिकाल से एक धारा चली आ रही है, जो यह मानती है कि ईश्वर नाम की एक सर्वशक्तिमान सत्ता है जिसने इस सृष्टि की रचना की है और उसे संचालित करती है। इस सत्ता के प्रति भक्ति और समर्पण स्वाभाविक है। भक्ति की यह धारा दक्षिण भारत से 14वीं-15वीं शताब्दी में उत्तर भारत पहुँची और एक आन्दोलन के रूप में फैल गयी। विदेशी आक्रमणों से त्रस्त समाज को इस आन्दोलन में एक सुकून जैसा मिला और इसमें से स्वामी रामानन्द, कबीर, सन्त रविदास, सेन नाई, पीपाजी, धन्ना भगत सरीखे कई सन्त उभरे। इनके पदों, भजनों, दोहों आदि ने पूरे समाज को भक्ति रस में सराबोर किये रखा। उनका जीवन पूरे समाज के लिए एक सन्देश बन गया।

About Author

अशोक कुमार - बिहार में 1974 के जन आन्दोलन की पत्रिका 'तरुण क्रान्ति' और 'समग्रता' में पत्रकारिता का प्रारम्भिक पाठ पढ़ने के बाद दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता का डिप्लोमा। पत्रिका 'धर्मयुग', दैनिक ‘जनसत्ता', पत्रिका 'इंडिया टुडे हिन्दी', 'इंडिया टुडे साहित्य वार्षिकी' और 'शुक्रवार' के सम्पादक मण्डल में उपसम्पादक से लेकर डिप्टी एडिटर तक विभिन्न पदों पर काम करने के बाद सम्प्रति गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान से जुड़ाव। क़रीब आधा दर्जन महत्त्वपूर्ण अंग्रेज़ी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद और सम्पादन।

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