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Sanskar (HB)
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
U. R. Ananthamurthy, Tr. Chandrakant Kusnoor
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
U. R. Ananthamurthy, Tr. Chandrakant Kusnoor
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9788183613064
Category Hindi
Category: Hindi
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यू.आर. अनन्तमूर्ति के इस कन्नड़ उपन्यास को युगान्तरकारी उपन्यास माना गया है। ब्राह्मणवाद, अन्धविश्वासों और रूढ़िगत संस्कारों पर अप्रत्यक्ष लेकिन इतनी पैनी चोट की गई है कि उसे सहना सनातन मान्यताओं के समर्थकों के लिए कहीं–कहीं दूभर होने लगता है।
‘संस्कार’ शब्द से अभिप्राय केवल ब्राह्मणवाद की रूढ़ियों से विद्रोह करनेवाले नारणप्पा के दाह–संस्कार से ही नहीं है। अपने लिए सुरक्षित निवास–स्थान, अग्रहार आदि के ब्राह्मणों के विभिन्न संस्कारों पर भी रोशनी डाली गई है—स्वर्णाभूषणों और सम्पत्ति–लोलुपता जैसे संस्कारों पर भी! ब्राह्मण–श्रेष्ठ और गुरु प्राणेशाचार्य तथा चन्द्री, बेल्ली और पद्मावती जैसे अलग और विपरीत दिखाई देनेवाले पात्रों की आभ्यन्तरिक उथल–पुथल के सारे संस्कार अपने असली और खरे–खोटेपन समेत हमारे सामने उघड़ आते हैं।
धर्म क्या है? धर्मशास्त्र क्या है? क्या इनमें निहित आदेशों में मनुष्य की स्वतंत्र सत्ता के हरण की सामर्थ्य है, या होनी चाहिए? ऐसे अनेक सवालों पर यू.आर. अनन्तमूर्ति जैसे सामर्थ्यशील लेखक ने अत्यन्त साहसिकता से विचार किया है, और यही वैचारिक निष्ठा इस उपन्यास को विशिष्ट बनाती है।
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Description
यू.आर. अनन्तमूर्ति के इस कन्नड़ उपन्यास को युगान्तरकारी उपन्यास माना गया है। ब्राह्मणवाद, अन्धविश्वासों और रूढ़िगत संस्कारों पर अप्रत्यक्ष लेकिन इतनी पैनी चोट की गई है कि उसे सहना सनातन मान्यताओं के समर्थकों के लिए कहीं–कहीं दूभर होने लगता है।
‘संस्कार’ शब्द से अभिप्राय केवल ब्राह्मणवाद की रूढ़ियों से विद्रोह करनेवाले नारणप्पा के दाह–संस्कार से ही नहीं है। अपने लिए सुरक्षित निवास–स्थान, अग्रहार आदि के ब्राह्मणों के विभिन्न संस्कारों पर भी रोशनी डाली गई है—स्वर्णाभूषणों और सम्पत्ति–लोलुपता जैसे संस्कारों पर भी! ब्राह्मण–श्रेष्ठ और गुरु प्राणेशाचार्य तथा चन्द्री, बेल्ली और पद्मावती जैसे अलग और विपरीत दिखाई देनेवाले पात्रों की आभ्यन्तरिक उथल–पुथल के सारे संस्कार अपने असली और खरे–खोटेपन समेत हमारे सामने उघड़ आते हैं।
धर्म क्या है? धर्मशास्त्र क्या है? क्या इनमें निहित आदेशों में मनुष्य की स्वतंत्र सत्ता के हरण की सामर्थ्य है, या होनी चाहिए? ऐसे अनेक सवालों पर यू.आर. अनन्तमूर्ति जैसे सामर्थ्यशील लेखक ने अत्यन्त साहसिकता से विचार किया है, और यही वैचारिक निष्ठा इस उपन्यास को विशिष्ट बनाती है।
About Author
यू.आर. अनन्तमूर्ति
जन्म : 21 दिसम्बर, 1932; मिलिगे नामक गाँव, जिला—शिमोगा (कर्नाटक) में।
शिक्षा : मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. और बर्मिंघम विश्वविद्यालय (इंग्लैंड) से पीएच.डी.।
कन्नड़ के प्रख्यात उपन्यासकार और कथा-लेखक। यदा-कदा कविताओं की भी रचना।
सन् 1975 में आयोवा विश्वविद्यालय, 1978 में तुफ्त्स विश्वविद्यालय (अमेरिका) में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर और 1985 में आयोवा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अन्तरराष्ट्रीय लेखक सम्मेलन में हिस्सेदारी। सन् 1987 से 1991 तक महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टायम के उप-कुलपति और सन् 1980-1992 के बीच मैसूर विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर-पद पर कार्य। ‘नेशनल बुक ट्रस्ट’, नई दिल्ली के चेयरमैन और ‘साहित्य अकादेमी’ के अध्यक्ष-पद पर भी कार्यरत रहे।
‘भारतीय ज्ञानपीठ’ सहित साहित्य, संस्कृति और फ़िल्म क्षेत्र के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित। देश-विदेश में आयोजित अनेक साहित्य-सम्मेलनों में व्याख्यान और अनेक संस्थाओं की मानद सदस्यता। ‘अवस्था’, ‘संस्कार’ आदि उपन्यासों पर फ़िल्मों का निर्माण। अंग्रेज़ी, रूसी, फ़्रेंच, हंगेरियन, हिन्दी, बांग्ला, मलयालम, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद।
हिन्दी में अनूदित कृतियाँ : ‘संस्कार’, ‘अवस्था’, ‘भारतीपुर’ (उपन्यास); ‘घटश्राद्ध’, ‘आकाश और बिल्ली’ (कहानी-संग्रह); ‘किस प्रकार की है यह भारतीयता’ (निबन्ध)।
निधन: 22 अगस्त, 2014
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