SaleHardback
Sanshay Ke Saaye
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
अशोक वाजपेयी, उदयन वाजपेयी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
अशोक वाजपेयी, उदयन वाजपेयी
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹550 ₹385
Save: 30%
In stock
Ships within:
10-12 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788126314171
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
710
संशय के साये –
(कृष्ण बलदेव वैद संचयन) –
कृष्ण बलदेव वैद हमारे समय के एक ज़रूरी और बड़े लेखक हैं। हर बड़ा लेखक अपनी भाषा, सामाजिक नैतिकता और विधा की सरहदों को तोड़ता या लगभग टूटने तक ठेलता है। वैद साहब की लेखकी में यह तोड़-फोड़ देखी जा सकती है। उनकी हर कृति में शिल्प नया है, कहन का अन्दाज़ नया है और कथ्य भी नया ही। वैद साहब अपनी लेखकीय सचाई जिन युक्तियों से गढ़ते हैं, वे सब नयी और कई बार अप्रत्याशित हैं। वैद साहब का गद्य विनोद और विट से भरपूर है। भाषा में कई बार कविता जैसी लयात्मकता, अनुप्रास आदि होते हैं। कई बार यह यथार्थवादी गम्भीरता का मुँह चिढ़ाता गद्य लगता है। वैद साहब हिन्दी के शायद सबसे बड़े उर्दूदाँ लेखक हैं। उनकी भाषा में उर्दू इतनी रची-बसी और इस क़दर गृहस्थ है कि यह गुण मात्र उन्हें बिल्कुल अलग क़िस्म का लेखक बनाने के लिए पर्याप्त है। मुक्तिबोध की तरह कृष्ण बलदेव वैद एक गोत्रहीन लेखक हैं। उनका हिन्दी की साहित्य परम्परा में न कोई पूर्वज है न वंशज। वे अपनी राह पर अकेले, सब तरह के जोख़िम उठाकर लगातार अपनी निर्भीक प्रयोगधर्मिता को बार-बार पुनराविष्कृत करते हुए चलते रहे हैं। प्रस्तुत संचयन का उद्देश्य है हिन्दी के पाठक वैद साहब की प्रमुख कृतियों का एक साथ आस्वादन करें।
Be the first to review “Sanshay Ke Saaye” Cancel reply
Description
संशय के साये –
(कृष्ण बलदेव वैद संचयन) –
कृष्ण बलदेव वैद हमारे समय के एक ज़रूरी और बड़े लेखक हैं। हर बड़ा लेखक अपनी भाषा, सामाजिक नैतिकता और विधा की सरहदों को तोड़ता या लगभग टूटने तक ठेलता है। वैद साहब की लेखकी में यह तोड़-फोड़ देखी जा सकती है। उनकी हर कृति में शिल्प नया है, कहन का अन्दाज़ नया है और कथ्य भी नया ही। वैद साहब अपनी लेखकीय सचाई जिन युक्तियों से गढ़ते हैं, वे सब नयी और कई बार अप्रत्याशित हैं। वैद साहब का गद्य विनोद और विट से भरपूर है। भाषा में कई बार कविता जैसी लयात्मकता, अनुप्रास आदि होते हैं। कई बार यह यथार्थवादी गम्भीरता का मुँह चिढ़ाता गद्य लगता है। वैद साहब हिन्दी के शायद सबसे बड़े उर्दूदाँ लेखक हैं। उनकी भाषा में उर्दू इतनी रची-बसी और इस क़दर गृहस्थ है कि यह गुण मात्र उन्हें बिल्कुल अलग क़िस्म का लेखक बनाने के लिए पर्याप्त है। मुक्तिबोध की तरह कृष्ण बलदेव वैद एक गोत्रहीन लेखक हैं। उनका हिन्दी की साहित्य परम्परा में न कोई पूर्वज है न वंशज। वे अपनी राह पर अकेले, सब तरह के जोख़िम उठाकर लगातार अपनी निर्भीक प्रयोगधर्मिता को बार-बार पुनराविष्कृत करते हुए चलते रहे हैं। प्रस्तुत संचयन का उद्देश्य है हिन्दी के पाठक वैद साहब की प्रमुख कृतियों का एक साथ आस्वादन करें।
About Author
कृष्ण बलदेव वैद -
जन्म: 27 जुलाई, 1927 डिगा (पंजाब)।
शिक्षा: एम.ए. (अंग्रेज़ी), पंजाब विश्वविद्यालय पोएच.डी. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी।
अध्यापन: हंसराज कॉलिज, दिल्ली विश्वविद्यालय।
(1950-62): पंजाब विश्वविद्यालय (1962 (66); न्यूयार्क स्टेट यूनिवर्सिटी (1966-85); दाइज यूनिवर्सिटी (1968-69)।
प्रकाशित कृतियाँ: उसका बचपन, बिमल उर्फ़ जायें तो जायें कहाँ, तसरीन, दूसरा न कोई दर्द ला देवा, गुज़रा हुआ जमाना, काला कोलाज, नर नारी, माया लोक, एक नौकरानी की डायरी (उपन्यास)। बीच का दरवाज़ा, मेरा दुश्मन, दूसरे किनारे से, लापता, उसके बयान, वह और मैं, ख़ामोशी, आलाप, लीला, पिता की परछाइयाँ, बोधिसत्व की बीवी, बदचलन बीवियों का द्वीप। मेरा दुश्मन, रात की सैर (कहानी संचयन, दो जिल्दों में)। भूख आग है, हमारी बुढ़िया, सवाल और स्वप्न, परिवार अखाड़ा, कहते हैं जिसको प्यार (नाटक)। टेकनीक इन दि टेल्स ऑफ़ हेनरी जेम्ज़ (समीक्षा)। स्टेप्स इन डार्कनेस (उसका बचपन), बिमल इन बाग (विमल उर्फ़ जायें तो जायें कहाँ), डाइंग अलोन (दूसरा न कोई और दस कहानियाँ), द ब्रोकन मिरर (गुज़रा हुआ ज़माना), सायलेंस (चुनी हुई कहानियाँ), इन दि डार्क (मुक्तिबोध अँधेरे में) (अनुवाद)।
- सम्पादक - अशोक वाजपेयी -
कवि-आलोचक और संस्कृतिविद भारत भवन और महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के संस्थापक। हिन्दी और अंग्रेज़ी में कई पुस्तकें प्रकाशित। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान और कबीर सम्मान। फ्रांस और पोलैण्ड की सरकारों द्वारा उच्च नागरिक सम्मानों से विभूषित।
- सम्पादक - उदयन वाजपेयी -
कवि, कथाकार, समालोचक। भोपाल के गाँधी मेडिकल कॉलेज में अध्यापन। हिन्दी में कई पुस्तकें प्रकाशित। रज़ा फ़ाउण्डेशन पुरस्कार से सम्मानित।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Sanshay Ke Saaye” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Reviews
There are no reviews yet.