Sansad mein Vikas Ki Baaten

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Narendra Pathak
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
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Narendra Pathak
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Hindi
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Hardback

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श्री नीतीश कुमार भारतीय राजनीति के उन विरले लोगों में शामिल हैं, जिनकी राजनीति सत्ता के निष्ठुर धरातल से बहुत दूर मानवीय जीवन की संवेदनाओं पर टिकी है। हृदय से निकली उनकी बातें मौलिक और दूरगामी चिंतन से ओत-प्रोत होती हैं। उनकी स्वाभाविक शैली उन्हें Politician से अलग एक Statesman की श्रेणी में शुमार करती है। शराब को दैनिक जीवन का हिस्सा बना चुके लोगों के शराब पीने, शराब बनाने और बेचने पर पाबंदी लगाकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अंधी सुरंग में समाई जिंदगी को नया बिहान दिया, नई रोशनी दी। इस संकलन का उद्देश्य यह प्रकाश में लाना है कि आज के परिवेश में एक नेता अपने संसदीय काल के विमर्शों में जिन विषयों को उठाता है, शासन से माँग करता है, शासन के प्रतिनिधि के रूप में आश्वस्त करता है, और जब वह स्वयं शासन का सूत्रधार बनता है, तब उन विषयों का समाधान करने में कैसे जुट जाता है। संसदीय राजनीति के इस पक्ष से नई पीढ़ी को अवगत कराना और उसे प्रेरित करना कि राजनीति सर्वदा एक Positive Aspect है, उसका काम हर क्षेत्र में सकारात्मकता को मजबूत करना और विध्वंसक तथा नकारात्मक प्रकृतियों को जड़ से नष्ट करना है। इस पूरे परिप्रेक्ष्य में नीतीश कुमार जैसे राजनेता को समझने में यह वादवृत्त कितना लाभकर होगा, यह अध्येता तय करेंगे, पर इतना तो तय है कि कथनी-करनी में एक होने के प्रमाण की आवश्यकता होगी तो भारतीय राजनीति के मूर्धन्य राजनेताओं में नीतीश कुमार की भी गणना होगी।

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श्री नीतीश कुमार भारतीय राजनीति के उन विरले लोगों में शामिल हैं, जिनकी राजनीति सत्ता के निष्ठुर धरातल से बहुत दूर मानवीय जीवन की संवेदनाओं पर टिकी है। हृदय से निकली उनकी बातें मौलिक और दूरगामी चिंतन से ओत-प्रोत होती हैं। उनकी स्वाभाविक शैली उन्हें Politician से अलग एक Statesman की श्रेणी में शुमार करती है। शराब को दैनिक जीवन का हिस्सा बना चुके लोगों के शराब पीने, शराब बनाने और बेचने पर पाबंदी लगाकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अंधी सुरंग में समाई जिंदगी को नया बिहान दिया, नई रोशनी दी। इस संकलन का उद्देश्य यह प्रकाश में लाना है कि आज के परिवेश में एक नेता अपने संसदीय काल के विमर्शों में जिन विषयों को उठाता है, शासन से माँग करता है, शासन के प्रतिनिधि के रूप में आश्वस्त करता है, और जब वह स्वयं शासन का सूत्रधार बनता है, तब उन विषयों का समाधान करने में कैसे जुट जाता है। संसदीय राजनीति के इस पक्ष से नई पीढ़ी को अवगत कराना और उसे प्रेरित करना कि राजनीति सर्वदा एक Positive Aspect है, उसका काम हर क्षेत्र में सकारात्मकता को मजबूत करना और विध्वंसक तथा नकारात्मक प्रकृतियों को जड़ से नष्ट करना है। इस पूरे परिप्रेक्ष्य में नीतीश कुमार जैसे राजनेता को समझने में यह वादवृत्त कितना लाभकर होगा, यह अध्येता तय करेंगे, पर इतना तो तय है कि कथनी-करनी में एक होने के प्रमाण की आवश्यकता होगी तो भारतीय राजनीति के मूर्धन्य राजनेताओं में नीतीश कुमार की भी गणना होगी।

About Author

जन्म : 6 फरवरी, 1965 को बक्सर (बिहार) के कुसुरूपा गाँव में (स्व. श्रीमती चंद्रतारा देवी एवं श्री पारसनाथ पाठक की चौथी संतान)। शिक्षा : बी.एच.यू., वाराणसी से कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद पर शोध उपाधि। गतिविधियाँ: 1981 में (एम.वी. कॉलेज, बक्सर) छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़े। 23 मार्च, 1984 बी.एच.यू. से स्वर्ण मंदिर तक शांति यात्रा। 1993 में ‘बिहार में पंचायत’ पर अध्ययन, ए.एन. सिन्हा स.अ. संस्थान, पटना। 1994 में श्री मुलायम सिंह यादव ने बिहार समाजवादी पार्टी का महासचिव बनाया। 1996 में मधु लिमये के साथ राष्ट्रीय युवा सम्मेलन, फिक्की,दिल्ली। 1997 से ‘आसा’ की गोष्ठियों का प्रारंभ श्री उदय नारायण चौधरी के साथ।

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