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Sansaar Mein Nirmal Verma
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
गगन गिल द्वारा संपादित
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
गगन गिल द्वारा संपादित
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
9789388434225
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
502
निर्मल वर्मा के ये साक्षात्कार 2 पुस्तकों में पूर्वप्रकाशित हैं। पहली पुस्तक 1998 में किताबघर की श्रृंखला ‘मेरे साक्षात्कार’ के लिए उन्होंने स्वयं तैयार की थी। इसमें उन्होंने हिन्दी और अंग्रेज़ी में दिये अपने साक्षात्कार शामिल किये थे। दूसरी पुस्तक ‘संसार में निर्मल वर्मा’ मैंने 2006 में रेमाधव के लिए सम्पादित की थी, निर्मल जी के जाने के बाद इसमें असंकलित साक्षात्कारों के अतिरिक्त उन पर बनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों को लिपिबद्ध किया था ताकि जो पाठक उन्हें नहीं देख पाये, वे उनका लाभ उठा सकें। इस बीच सूचना-तन्त्र बदला है, यूट्यूब की सुविधा मिली है। और मैंने निर्मलजी पर बनी फ़िल्मों को वहाँ उपलब्ध कराया है। इन वर्षों में और भी कई नयी सामग्री सामने आयी हैं। जिसे संकलित होना अभी बाकी है। आज पहली पुस्तक उपलब्ध है, दूसरी नहीं। अब एक ही जिल्द में दोनों पुस्तकें ‘संसार में निर्मल वर्मा’ के संवर्द्धित संस्करण में प्रस्तुत हैं। इससे पाठकों, शोधार्थियों को सारी सामग्री एक जगह मिल सके, ऐसा मेरा प्रयास है। गगन गिल 3 अप्रैल, 2019
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Description
निर्मल वर्मा के ये साक्षात्कार 2 पुस्तकों में पूर्वप्रकाशित हैं। पहली पुस्तक 1998 में किताबघर की श्रृंखला ‘मेरे साक्षात्कार’ के लिए उन्होंने स्वयं तैयार की थी। इसमें उन्होंने हिन्दी और अंग्रेज़ी में दिये अपने साक्षात्कार शामिल किये थे। दूसरी पुस्तक ‘संसार में निर्मल वर्मा’ मैंने 2006 में रेमाधव के लिए सम्पादित की थी, निर्मल जी के जाने के बाद इसमें असंकलित साक्षात्कारों के अतिरिक्त उन पर बनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों को लिपिबद्ध किया था ताकि जो पाठक उन्हें नहीं देख पाये, वे उनका लाभ उठा सकें। इस बीच सूचना-तन्त्र बदला है, यूट्यूब की सुविधा मिली है। और मैंने निर्मलजी पर बनी फ़िल्मों को वहाँ उपलब्ध कराया है। इन वर्षों में और भी कई नयी सामग्री सामने आयी हैं। जिसे संकलित होना अभी बाकी है। आज पहली पुस्तक उपलब्ध है, दूसरी नहीं। अब एक ही जिल्द में दोनों पुस्तकें ‘संसार में निर्मल वर्मा’ के संवर्द्धित संस्करण में प्रस्तुत हैं। इससे पाठकों, शोधार्थियों को सारी सामग्री एक जगह मिल सके, ऐसा मेरा प्रयास है। गगन गिल 3 अप्रैल, 2019
About Author
गगन गिल सन् 1983 में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता शृंखला के प्रकाशित होते ही गगन गिल (जन्म: 1959, नयी दिल्ली, शिक्षा: एम. ए. अंग्रेज़ी साहित्य) की कविताओं ने तत्कालीन सुधीजनों का ध्यान आकर्षित किया था। तब से अब तक उनकी रचनाशीलता देश-विदेश के हिन्दी साहित्य के अध्येताओं, पाठकों और आलोचकों के विमर्श का हिस्सा रही है। लगभग 35 वर्ष लम्बी इस रचना यात्रा की नौ कृतियाँ हैं- पाँच कविता-संग्रह: एक दिन लौटेगी लड़की (1989), अँधेरे में बुद्ध ( 1996), यह आकांक्षा समय नहीं (1998), थपक थपक दिल थपक थपक (2003), मैं जब तक आयी बाहर (2018) एवं 4 गद्य पुस्तकें: दिल्ली में उनींदे (2000), अवाक् (2008), देह की मुँडेर पर (2018), इत्यादि (2018)। अवाक् की गणना बीबीसी सर्वेक्षण के श्रेष्ठ हिन्दी यात्रा वृत्तान्तों में की गयी है। सन् 1983-93 में टाइम्स ऑफ इण्डिया समूह व सण्डे ऑब्जर्वर में एक दशक से कुछ अधिक समय तक साहित्य सम्पादन करने के बाद सन् 1992-93 में हार्वर्ड युनिवर्सिटी, अमेरिका में पत्रकारिता की नीमेन फैलो। देश वापसी पर पूर्णकालिक लेखन। सन् 1990 में अमेरिका के सुप्रसिद्ध आयोवा इण्टरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम में भारत से आमन्त्रित लेखक। सन् 2000 में गोएटे इन्स्टीट्यूट, जर्मनी व सन् 2005 में पोएट्री ट्रान्सलेशन सेण्टर, लन्दन युनिवर्सिटी के निमन्त्रण पर जर्मनी व इंग्लैण्ड के कई शहरों में कविता पाठ। भारतीय प्रतिनिधि लेखक मण्डल के सदस्य के नाते चीन, फ्रांस, इंग्लैण्ड, मॉरीशस, जर्मनी आदि देशों की एकाधिक यात्राओं के अलावा मेक्सिको, ऑस्ट्रिया, इटली, तुर्की, बुल्गारिया, तिब्बत, कम्बोडिया, लाओस, इण्डोनेशिया की भरपूर यात्राएँ। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (1984), संस्कृति सम्मान (1989), केदार सम्मान (2000), हिन्दी अकादमी साहित्यकार सम्मान (2008) व द्विजदेव सम्मान (2010) से सम्मानित।
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