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Sambodhit

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
नामवर सिंह, संपादन आशीष त्रिपाठी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
नामवर सिंह, संपादन आशीष त्रिपाठी
Language:
Hindi
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Hardback

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Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789355188304 Category
Category:
Page Extent:
190

सम्बोधित –

नामवर सिंह हिन्दी का चेहरा थे। उनमें हिन्दी समाज, साहित्य-परम्परा और सर्जना की संवेदना रूपायित होती थी। वे न सीमित अर्थों में साहित्यकार थे और न आलोचक । वे हिन्दी में मानवतावादी, लोकतान्त्रिक और समाजवादी विचारों की व्यापक स्वीकृति के लिए सतत संघर्षशील प्रगतिशील आन्दोलन के अग्रणी विचारक थे। वे देश में समतावादी समाज का सपना सँजोये रखने वाली सामाजिक शक्तियों के पक्ष में और सामन्तवादी-पुनरुत्थानवादी शक्तियों और पूँजीवादी- फासीवादी शक्तियों से निरन्तर मुठभेड़ करने वाले वैचारिक योद्धा थे ।

बौद्धिक प्रतिभा की कौंध उनके लेखन में हर जगह व्याप्त है, परन्तु यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि परिदृश्य में प्रभावी हस्तक्षेप करने वाली और हिन्दी आलोचना में क्लासिक का दर्जा प्राप्त कर चुकी अनेक महत्त्वपूर्ण किताबों के बावजूद वृहद् हिन्दी समाज में उनकी ख्याति प्रायः उनके व्याख्यानों के कारण रही है। सम्बोधित उनके व्याख्यानों का संग्रह है, जिसमें नामवर जी के विचारों की व्यापकता और गहराई को साथ-साथ देखा जा सकता है।

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Description

सम्बोधित –

नामवर सिंह हिन्दी का चेहरा थे। उनमें हिन्दी समाज, साहित्य-परम्परा और सर्जना की संवेदना रूपायित होती थी। वे न सीमित अर्थों में साहित्यकार थे और न आलोचक । वे हिन्दी में मानवतावादी, लोकतान्त्रिक और समाजवादी विचारों की व्यापक स्वीकृति के लिए सतत संघर्षशील प्रगतिशील आन्दोलन के अग्रणी विचारक थे। वे देश में समतावादी समाज का सपना सँजोये रखने वाली सामाजिक शक्तियों के पक्ष में और सामन्तवादी-पुनरुत्थानवादी शक्तियों और पूँजीवादी- फासीवादी शक्तियों से निरन्तर मुठभेड़ करने वाले वैचारिक योद्धा थे ।

बौद्धिक प्रतिभा की कौंध उनके लेखन में हर जगह व्याप्त है, परन्तु यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि परिदृश्य में प्रभावी हस्तक्षेप करने वाली और हिन्दी आलोचना में क्लासिक का दर्जा प्राप्त कर चुकी अनेक महत्त्वपूर्ण किताबों के बावजूद वृहद् हिन्दी समाज में उनकी ख्याति प्रायः उनके व्याख्यानों के कारण रही है। सम्बोधित उनके व्याख्यानों का संग्रह है, जिसमें नामवर जी के विचारों की व्यापकता और गहराई को साथ-साथ देखा जा सकता है।

About Author

नामवर सिंह जन्म-तिथि : 28 जुलाई, 1926 1 जन्म-स्थान : बनारस जिले का जीयनपुर नामक गाँव । प्राथमिक शिक्षा बगल के गाँव आवाजांपुर में। कमालपुर से मिडिल। बनारस के हीवेट क्षत्रिय स्कूल से मैट्रिक और उदयप्रताप कालेज से इंटरमीडिएट । 1941 में कविता से लेखक जीवन की शुरुआत। पहली कविता इसी साल ‘क्षत्रियमित्र' पत्रिका (बनास) में प्रकाशित। 1949 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बी.ए. और 1951 में वहीं से हिन्दी में एम.ए.। 1953 में उसी विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में अस्थायी पद पर नियुक्ति। 1956 में पीएच.डी. (पृथ्वीराज रासो की भाषा)। 1959 में चकिया चन्दौली के लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार। चुनाव में असफलता के साथ विश्वविद्यालय से मुक्त। 1959-60 में सागर विश्वविद्यालय (म.प्र.) के हिन्दी विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर। 1960 से 1965 तक बनारस में रहकर स्वतन्त्र लेखन । 1965 में 'जनयुग' साप्ताहिक के सम्पादक के रूप में दिल्ली में। इस दौरान दो वर्षों तक राजकमल प्रकाशन (दिल्ली) के साहित्यिक सलाहकार । 1967 से 'आलोचना' त्रैमासिक के आजीवन प्रधान सम्पादक रहे। 1970 में जोधपुर विश्वविद्यालय (राजस्थान) के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर प्रोफ़ेसर के रूप में नियुक्त। 1971 में 'कविता के नये प्रतिमान' पर साहित्य अकादेमी का पुरस्कार। 1974 में थोड़े समय के लिए क.मा. मुं. हिन्दी विद्यापीठ, आगरा के निदेशक। उसी वर्ष जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (दिल्ली) के भारतीय भाषा केन्द्र में हिन्दी के प्रोफ़ेसर के रूप में योगदान। 1987 में वहीं से सेवा-मुक्त। अगले पाँच वर्षों के लिए वहीं पुनर्नियुक्ति । आजीवन प्रोफ़ेसर एमेरिटस रहे। 1993 से 1996 तक राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन के अध्यक्ष । आठ वर्ष महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलाधिपति भी रहे। 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित । निधन : 19 फ़रवरी, 2019 आशीष त्रिपाठी - 21 सितम्बर, 1973 की मध्य प्रदेश के गाँव जमुनिहाई जिला सतना में जन्म। बी.एससी. के पश्चात हिन्दी में एम.ए., एम.फिल. और पीएच.डी. । इन दिनों काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर । कम उम्र से ही कविता में रुचि। पहली कविता सन् 1986 में प्रकाशित। 1994 से निरन्तर कविताओं का प्रकाशन। पहला कविता संग्रह एक रंग ठहरा हुआ 2010 में प्रकाशित एवं लक्ष्मण प्रसाद मंडलोई स्मृति सम्मान से सम्मानित । कविता के साथ ही आलोचना के क्षेत्र में कार्य । पुस्तक समकालीन हिन्दी रंगमंच और रंगभाषा प्रकाशित। इन दिनों रज़ा फेलोशिप के तहत हबीब तनवीर की जीवनी लिखने के साथ ही समकालीन कविता पर लगातार लेखन । आलोचना के लिए 2016 के स्पन्दन सम्मान से सम्मानित । प्रो. नामवर सिंह की सोलह पुस्तकों ज़माने से दो दो हाथ, प्रेमचन्द और भारतीय समाज, हिन्दी का गद्यपर्व, कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता, आलोचना और विचारधारा, साहित्य की पहचान, सम्मुख, साथ-साथ, आलोचना और संवाद, पूर्वरंग, तुम्हारा नामवर, संग सत्संग, जीवन क्या जिया, किताबनामा, समय से संवाद और यथाप्रसंग का सम्पादन । नामवर सिंह के साथ रामचन्द्र शुक्ल रचनावली के आठ खण्डों का सम्पादन । इनके साथ ही चन्द्रकान्त देवताले के साक्षात्कार संग्रह मेरे साक्षात्कार, काशीनाथ सिंह के दो कथा-चयनों खरोंच व पायल पुरोहित तथा अन्य कहानियाँ, स्वयं प्रकाश के कथा चयन प्रतिनिधि कहानियाँ एवं आषाढ़ का एक दिन: पुनर्मूल्यांकन का सम्पादन ।

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