SaleHardback
Samay Ke Shahar Mein
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
अनामिका
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
अनामिका
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹395 ₹277
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789389012972
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
178
कविता है तो सपने हैं, हौसला है, हिम्मत है और स्पेसवॉक सम्भव है। कभी-कभी लगता है, मैं लिखती हूँ उसी स्पेस के लिए, उस पानी के लिए जिसे पत्थर पी जाता है, उस अग्नि के लिए जो हमारी धमनियों में बहती है। जो ‘कुछ’ भी हो सकता है, मैं उसके लिए लिखती हूँ। सपने ही मेरी स्लेट हैं, स्मृतियाँ मेरी दावात, एक अव्यक्त प्रेम मेरी स्याही…. प्रेम का एक अनन्त गर्भ मुझे हर किसी में दीखता है। एक धाय माँ की तरह बूढ़े गड़ेरिया से धैर्य माँगना चाहती हूँ कि हर जचगी में सहायक होऊँ। कुलम ही तब मुझे नाल काटने में मदद करने वाला एकमात्र औज़ार होगी। फिर वह नाल मैं फेंकूँगी भी नहीं क्योंकि मुझे यह पता है, आत्मा को संपुष्ट करने वाली औषधि, सब क्रॉनिक रोगों का इलाज यही नायाब बन्धन है, नाभिनाल का बन्धन-पर्सनल का पॉलिटिकल से, घर का बाहर से, शरीर का आत्मा से, गाँव का शहर से देश का विश्व से।
यहाँ एक बात जो विशेष जोर देकर कहना चाहूँगी वह यह कि अच्छाई कविता का बाई प्रोडक्ट है। नदियाँ अपनी मौज में बहती हैं सभ्यताओं की नींव सींचने की ख़ातिर नहीं बहतीं, पर उनके बहने में ही कोई बात ऐसे होती है कि तट पर सभ्यताएँ पूरे वैभव में चटककर खिल जाती हैं। सूरज फसलें उगाने के गम्भीर उद्देश्य से नहीं जगता, वह अपनी बेखुदी में जगता है, पर उसके जगने से फसलें पक जाती हैं।
विश्व कविता का इतिहास ध्यान से पढ़ते हुए यह सूत्र तो मन में कौंधता ही है कि उत्पादन के साधन जब-जब बदले, या ज़मीन से आदमी का नाता जब-जब बदला, उसकी सोच का आकाश भी। कृषि, उद्योग और कम्प्यूटर शासित तीन अलग युगों के दहराकाश में अलग-अलग रंगों में बादल घुमड़े और आदमी का औरत से, स्वामी का मातहत से, बाप-माँ से जो भी नाता होता है, उसके रंग-रूप का यह टेक्सचर भी बदल गया। इसके साथ ही धर्म आचार-संहिताएँ और राजनीति के छन्द भी बदले। कविता ने चुपचाप सब आत्मसात किया और युग को समझने की कुछ कुंजियाँ तकिए के नीचे रख छोड़ीं- आने वाली नस्लों के लिए।
Be the first to review “Samay Ke Shahar Mein” Cancel reply
Description
कविता है तो सपने हैं, हौसला है, हिम्मत है और स्पेसवॉक सम्भव है। कभी-कभी लगता है, मैं लिखती हूँ उसी स्पेस के लिए, उस पानी के लिए जिसे पत्थर पी जाता है, उस अग्नि के लिए जो हमारी धमनियों में बहती है। जो ‘कुछ’ भी हो सकता है, मैं उसके लिए लिखती हूँ। सपने ही मेरी स्लेट हैं, स्मृतियाँ मेरी दावात, एक अव्यक्त प्रेम मेरी स्याही…. प्रेम का एक अनन्त गर्भ मुझे हर किसी में दीखता है। एक धाय माँ की तरह बूढ़े गड़ेरिया से धैर्य माँगना चाहती हूँ कि हर जचगी में सहायक होऊँ। कुलम ही तब मुझे नाल काटने में मदद करने वाला एकमात्र औज़ार होगी। फिर वह नाल मैं फेंकूँगी भी नहीं क्योंकि मुझे यह पता है, आत्मा को संपुष्ट करने वाली औषधि, सब क्रॉनिक रोगों का इलाज यही नायाब बन्धन है, नाभिनाल का बन्धन-पर्सनल का पॉलिटिकल से, घर का बाहर से, शरीर का आत्मा से, गाँव का शहर से देश का विश्व से।
यहाँ एक बात जो विशेष जोर देकर कहना चाहूँगी वह यह कि अच्छाई कविता का बाई प्रोडक्ट है। नदियाँ अपनी मौज में बहती हैं सभ्यताओं की नींव सींचने की ख़ातिर नहीं बहतीं, पर उनके बहने में ही कोई बात ऐसे होती है कि तट पर सभ्यताएँ पूरे वैभव में चटककर खिल जाती हैं। सूरज फसलें उगाने के गम्भीर उद्देश्य से नहीं जगता, वह अपनी बेखुदी में जगता है, पर उसके जगने से फसलें पक जाती हैं।
विश्व कविता का इतिहास ध्यान से पढ़ते हुए यह सूत्र तो मन में कौंधता ही है कि उत्पादन के साधन जब-जब बदले, या ज़मीन से आदमी का नाता जब-जब बदला, उसकी सोच का आकाश भी। कृषि, उद्योग और कम्प्यूटर शासित तीन अलग युगों के दहराकाश में अलग-अलग रंगों में बादल घुमड़े और आदमी का औरत से, स्वामी का मातहत से, बाप-माँ से जो भी नाता होता है, उसके रंग-रूप का यह टेक्सचर भी बदल गया। इसके साथ ही धर्म आचार-संहिताएँ और राजनीति के छन्द भी बदले। कविता ने चुपचाप सब आत्मसात किया और युग को समझने की कुछ कुंजियाँ तकिए के नीचे रख छोड़ीं- आने वाली नस्लों के लिए।
About Author
अनामिका निबन्ध लिखती हैं, अख़बारों और पत्रिकाओं में स्तम्भ लिखती हैं, कहानियाँ और उपन्यास रचती हैं, कविताओं और उपन्यासों का अनुवाद सम्पादन करती हैं, और अंग्रेज़ी साहित्य का अध्यापन करती हैं। एक पब्लिक इंटेलेक्चुअल के रूप में व्याख्यान देने से लेकर स्त्रीवादी पब्लिक स्फियर में सक्रिय रहने तक वे और भी बहुत कुछ करती हैं। पर, सबसे पहले और सबसे बाद में, वे एक कवि हैं। 1961 के उत्तरार्द्ध में मुजफ़्फ़रपुर, बिहार में जन्मी और अंग्रेज़ी साहित्य से पीएच.डी. अनामिका राजभाषा परिषद् पुरस्कार (1987), भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (1995), साहित्यकार सम्मान (1997), गिरिजाकुमार माथुर सम्मान (1993), परम्परा सम्मान (2001) और साहित्य सेतु सम्मान (2004), केदार सम्मान (2008), शमशेर सम्मान (2014), मुक्तिबोध सम्मान (2015), वाणी फाउंडेशन डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड (2017) से विभूषित हो चुकी हैं। प्रकाशित कृतियाँ :
आलोचना : पोस्ट एलिएट पोएट्री : अ वॉएज फ्रॉम कंफ्लिक्ट टु आइसोलेशन, डन क्रिटिसिज़्म डाउन दि एजेज़, ट्रीटमेंट ऑव लव ऐंड डेथ इन पोस्ट वार अमेरिकन विमेन पोएट्स, ट्रांसलेटिंग रेशियल मेमरी ।
विमर्श: स्त्रीत्व का मानचित्र, मन माँजने की ज़रूरत, पानी जो पत्थर पीता है, स्त्री-विमर्श का लोकपक्ष, त्रियाचरित्रं : उत्तरकाण्ड, स्वाधीनता का स्त्री-पक्ष ।
कविता : गलत पते की चिट्ठी, बीजाक्षर, समय के शहर में, अनुष्टुप, कविता में औरत, खुरदरी हथेलियाँ, दूब-धान, थेरी गाथा : टोकरी में दिगन्त, पानी को सब याद था ।
कहानी: प्रतिनायक ।
संस्मरण: एक ठो शहर था, एक थे शेक्सपियर, एक थे चार्ल्स डिकेंस ।
उपन्यास : अवान्तर कथा, दस द्वारे का पींजरा, तिनका तिनके पास, आईका साज़ ।
अनुवाद : नागमंडल (गिरीश कार्नाड), रिल्के की कविताएँ, एफ्रो इंग्लिश पोएम्स, अटलांत के आर-पार (समकालीन अंग्रेज़ी कविता), कहती हैं औरतें (विश्व साहित्य की स्त्रीवादी कविताएँ), भाषिक पुनर्वास ।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Samay Ke Shahar Mein” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.