Sahitya, Samaj Aur Jivan-(HB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
RAVI NANDAN SINGH
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
RAVI NANDAN SINGH
Language:
Hindi
Format:
Hardback

400

Save: 20%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 0.346 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789388211833 Category
Category:
Page Extent:

‘साहित्य, समाज और जीवन’ रविनन्दन सिंह का दूसरा निबन्‍ध-संग्रह है। इसमें अधिकतर निबन्ध साहित्यिक हैं। लगभग एक दर्जन निबन्ध समाज के विविध पहलुओं तथा सामाजिक विसंगतियों पर केन्द्रित हैं। कुछ निबन्‍ध मनुष्य की जीवन शैली तथा जीवन-दर्शन से सम्‍बन्धित हैं।
रविनन्दन सिंह जब कोई विषय चुनते हैं तो उस विषय की गहन पड़ताल करते हैं एवं उस विषय की परतों को खोलकर रख देते हैं। वे विषय का विश्लेषण तथा मूल्यांकन बिना किसी आग्रह के, निरपेक्ष होकर करते हैं। उनके निबन्धों को पढ़ने से उस विषय की तस्वीर बिलकुल स्पष्ट हो जाती है। वे विषय को उलझाते नहीं बल्कि उलझे हुए विषय को भी सुलझाकर प्रस्तुत करते हैं। उनके निबन्धों की भाषा सरल, सहज एवं प्रवाहपूर्ण है। उनके निबन्‍ध अत्यन्त सारगर्भित एवं बोधगम्य हैं। भाषा एवं संवेदना से समृद्ध इन निबन्धों से गुज़रना एक रोचक अनुभव की तरह है। स्नातक, स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों एवं शोध-छात्रों के लिए ये निबन्ध अत्यन्‍त उपयोगी सिद्ध होंगे।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Sahitya, Samaj Aur Jivan-(HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

‘साहित्य, समाज और जीवन’ रविनन्दन सिंह का दूसरा निबन्‍ध-संग्रह है। इसमें अधिकतर निबन्ध साहित्यिक हैं। लगभग एक दर्जन निबन्ध समाज के विविध पहलुओं तथा सामाजिक विसंगतियों पर केन्द्रित हैं। कुछ निबन्‍ध मनुष्य की जीवन शैली तथा जीवन-दर्शन से सम्‍बन्धित हैं।
रविनन्दन सिंह जब कोई विषय चुनते हैं तो उस विषय की गहन पड़ताल करते हैं एवं उस विषय की परतों को खोलकर रख देते हैं। वे विषय का विश्लेषण तथा मूल्यांकन बिना किसी आग्रह के, निरपेक्ष होकर करते हैं। उनके निबन्धों को पढ़ने से उस विषय की तस्वीर बिलकुल स्पष्ट हो जाती है। वे विषय को उलझाते नहीं बल्कि उलझे हुए विषय को भी सुलझाकर प्रस्तुत करते हैं। उनके निबन्धों की भाषा सरल, सहज एवं प्रवाहपूर्ण है। उनके निबन्‍ध अत्यन्त सारगर्भित एवं बोधगम्य हैं। भाषा एवं संवेदना से समृद्ध इन निबन्धों से गुज़रना एक रोचक अनुभव की तरह है। स्नातक, स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों एवं शोध-छात्रों के लिए ये निबन्ध अत्यन्‍त उपयोगी सिद्ध होंगे।

About Author

रविनन्दन सिंह

जन्म : ग्राम-पोस्ट—बरुईन, जमानियाँ (रे.स्टे.), गाजीपुर।

शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिन्दी एवं अंग्रेज़ी साहित्य)।

प्रकाशित पुस्तकें : काव्य संग्रह—‘जब मै रिक्त होता हूँ’, ‘मेरे और तुम्हारे बीच’, ‘मैं इतिहास की जेब में हूँ’, ‘सभी रंग एक नहीं हो सकते हैं, ‘लहरों की तरह जीवन’, आलोचना—‘आलोचना और समाज-चिंतन सम्बन्धी-भाषा’, ‘रचना और आलोचना’, ‘हिन्दी, उर्दू और खड़ी बोली की ज़मीन’, ‘भारतीय आर्यभाषा हिन्दी’, ‘भारतीय धार्मिक चेतना के आयाम’, ‘साहित्य, समाज और जीवन’, ‘लहरें टूटती नहीं’, ‘हिन्दुस्तानी एकेडेमी का इतिहास’; सम्‍पादन—‘कर्म-कबीर और कबीर के प्रतिबिम्ब’, ‘तुलसी साहित्य : अभिव्यक्ति के विविध स्वर’, ‘जायसी : आलोचना के निकष पर’, ‘अदब के सुख़नवर और उनका अन्‍दाज़े बयाँ’, ‘रामविलास शर्मा और हिन्दी आलोचना’, ‘काव्य संवेदना और हिन्दी कविता’, ‘हिन्दी, उर्दू और हिन्‍दुस्तानी : एक विमर्श’, ‘लोक साहित्य : अभिव्यक्ति और अनुशीलन’, ‘हिन्दुस्तानी एकेडमी : एक परिचय’, ‘फ़िराक़ : शख्सियत और फ़न’, ‘निराला : काव्य चेतना के अन्‍तर्द्वन्‍द्व’।

सम्मान/पुरस्कार : उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘नरेश मेहता सम्मान’, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान’, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘डॉ. धीरेन्द्र वर्मा सम्मान’, संचेतना का ‘सर्वेश्वरदयाल सक्सेना सम्मान’, समन्वय संस्था का ‘फादर डॉ. कामिल बुल्के सम्मान’, साहित्यकार संघ वाराणसी का ‘सेवक स्मृति सम्मान’, भारतीय वाड़्मय पीठ कोलकाता का ‘साहित्य शिरोमणि सारस्वत सम्मान’, राष्ट्रीय पुस्तक मेला प्रयाग का ‘साहित्य शिरोमणि सम्मान’, भारत लोकरंग महोत्सव का ‘लोक कलाविद् सम्मान’ आदि।

सम्प्रति : सम्पादक—‘हिन्दुस्तानी' शोध त्रैमासिक।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Sahitya, Samaj Aur Jivan-(HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED