SAHIR KI SHAYRANA JADUGARI (HINDI)

Publisher:
MANJUL
| Author:
ARVIND MANDLOI
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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MANJUL
Author:
ARVIND MANDLOI
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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यह किताब पाठक को साहिर की शख़्सियत और उनके काम से न सिर्फ़ वाक़िफ़ कराएगी, बल्कि साहिर की ज़िन्दगी की कई परतों को उजागर करेगी। इस किताब के ज़रिये आप साहिर की ज़िन्दगी, उसकी शायरी और गीतों से न सिर्फ़ रूबरू होंगे, बल्कि उसके साथ सफ़र भी करेंगे। साहिर ने न सिर्फ़ फ़िल्मी नग़मों के अदबी मै‘यार को बुलंद किया, बल्कि फ़िल्मी दुनिया को नग़मानिगारों और शायरों की अहमियत का अहसास कराकर उन्हें वो इज़्ज़त और मुक़ामो-मरतबा अता किया, जिसका तसव्वुर भी साहिर से पहले मुहाल था। यूँ तो साहिर लुधियानवी पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है और बहुत कुछ मुस्तक़ बिल में भी लिखा जाएगा, लेकिन इस किताब में सिर्फ़ साहिर की शायराना साहिरी ही नहीं, बल्कि उनकी ज़िन्दगी के तमाम पहलू और सभी रंग सिमट आयें हैं। साहिर की शायरी उस धनक की तरह है, जिसके रंग पढ़ने वाले के ज़हन और शऊर के मुताबिक़ खुलते, खिलते और बिखरते हैं। यह शायरी वाक़ई एक तिलिस्म है, एक जादू है, जिसकी गिरफ़्त और हिसार से बाहर निकलना आसान नहीं और अगर इस हिसार से किसी तरह बाहर निकल भी लिया जाये, तो साहिर के कितने ही शे‘र, नज़्में और ग़ज़लें आपकी हमसफ़र हो जाएंगी।

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Description

यह किताब पाठक को साहिर की शख़्सियत और उनके काम से न सिर्फ़ वाक़िफ़ कराएगी, बल्कि साहिर की ज़िन्दगी की कई परतों को उजागर करेगी। इस किताब के ज़रिये आप साहिर की ज़िन्दगी, उसकी शायरी और गीतों से न सिर्फ़ रूबरू होंगे, बल्कि उसके साथ सफ़र भी करेंगे। साहिर ने न सिर्फ़ फ़िल्मी नग़मों के अदबी मै‘यार को बुलंद किया, बल्कि फ़िल्मी दुनिया को नग़मानिगारों और शायरों की अहमियत का अहसास कराकर उन्हें वो इज़्ज़त और मुक़ामो-मरतबा अता किया, जिसका तसव्वुर भी साहिर से पहले मुहाल था। यूँ तो साहिर लुधियानवी पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है और बहुत कुछ मुस्तक़ बिल में भी लिखा जाएगा, लेकिन इस किताब में सिर्फ़ साहिर की शायराना साहिरी ही नहीं, बल्कि उनकी ज़िन्दगी के तमाम पहलू और सभी रंग सिमट आयें हैं। साहिर की शायरी उस धनक की तरह है, जिसके रंग पढ़ने वाले के ज़हन और शऊर के मुताबिक़ खुलते, खिलते और बिखरते हैं। यह शायरी वाक़ई एक तिलिस्म है, एक जादू है, जिसकी गिरफ़्त और हिसार से बाहर निकलना आसान नहीं और अगर इस हिसार से किसी तरह बाहर निकल भी लिया जाये, तो साहिर के कितने ही शे‘र, नज़्में और ग़ज़लें आपकी हमसफ़र हो जाएंगी।

About Author

परिकल्पना व चयन अरविन्द मण्डलोई, संपादन व अनुवाद डॉ तारिक़ क़मर

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