Safai Ganda Kaam Hai

Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Wajahat, Asghar
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Rajpal and Sons
Author:
Wajahat, Asghar
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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204

एक लेखक की दुनिया केवल कविता-कहानी या विधा के दायरे में कैद नहीं होती। लेखक अपने समय का सिपाही है तो समय को पहचानने के सारे उपाय उसे तलाशने होते हैं। असग़र वजाहत ऐसे लेखक हैं जो मानते हैं कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए साहित्य की भूमिका होती है। इसके लिए वे कहानी-उपन्यास और नाटक तक ही नहीं ठहर जाते। उनके निबन्ध गवाही देते हैं कि लेखक असल में संस्कृति का ऐसा पहरेदार है जो खतरों से आगाह ही नहीं करता बल्कि अपने ढंग से संस्कृति को सम्पन्न भी करता है। निबन्ध लिखना असग़र वजाहत के लिए भीतर की गहरी बेचैनी से लड़ना है। वे रोज़मर्रा के जीवन में फैल रही अपसंस्कृति को इन निबन्धों में उनके सामने भारतीय मुस्लिम समाज के चुभते सवाल हैं तो कला-साहित्य से जुड़े प्रसंग भी। पाठकों को यहाँ संस्मरणों सी आत्मीयता मिलेगी और साथ ही विचारों की गहराई भी। कहना न होगा कि जिस ऊष्मा से इन निबन्धों की रचना हुई है वह सुदीर्घ रचना यात्रा से उपजी ऊष्मा है।

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Description

एक लेखक की दुनिया केवल कविता-कहानी या विधा के दायरे में कैद नहीं होती। लेखक अपने समय का सिपाही है तो समय को पहचानने के सारे उपाय उसे तलाशने होते हैं। असग़र वजाहत ऐसे लेखक हैं जो मानते हैं कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए साहित्य की भूमिका होती है। इसके लिए वे कहानी-उपन्यास और नाटक तक ही नहीं ठहर जाते। उनके निबन्ध गवाही देते हैं कि लेखक असल में संस्कृति का ऐसा पहरेदार है जो खतरों से आगाह ही नहीं करता बल्कि अपने ढंग से संस्कृति को सम्पन्न भी करता है। निबन्ध लिखना असग़र वजाहत के लिए भीतर की गहरी बेचैनी से लड़ना है। वे रोज़मर्रा के जीवन में फैल रही अपसंस्कृति को इन निबन्धों में उनके सामने भारतीय मुस्लिम समाज के चुभते सवाल हैं तो कला-साहित्य से जुड़े प्रसंग भी। पाठकों को यहाँ संस्मरणों सी आत्मीयता मिलेगी और साथ ही विचारों की गहराई भी। कहना न होगा कि जिस ऊष्मा से इन निबन्धों की रचना हुई है वह सुदीर्घ रचना यात्रा से उपजी ऊष्मा है।

About Author

असग़र वजाहत हिन्दी कहानीकारों की भीड़ में शामिल एक दो पाया नहीं, बल्कि एक मुक़म्मल शखि़्सयत है। कहानी, उपन्यास, नाटक, सिनेमा, पेंटिंग तक अपने पंख फैलाये वह सिर्फ़ इंसानी फि़तरत की बात सोचता है और उसे रचना में रूपांतरित करता रहता है।

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