Sadhu Ojha Sant (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Sudhir Kakkar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Sudhir Kakkar
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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आधुनिक चिकित्सा-पद्धति के विकास तथा शिक्षा के प्रचार-प्रसार के बावजूद आज भी भारतीय जनमानस में साधुओं-ओझाओं आदि के प्रति विश्वास पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ है। इसे आधुनिक विज्ञान और राज्य की अक्षमता कहें या जनसाधारण के मन में बैठा अन्धविश्वास कि आज भी ऐसी-ऐसी ख़बरें सुनाई दे जाती हैं जिन पर सहज ही विश्वास नहीं हो पाता।
प्रतिष्ठित मनोविश्लेषक सुधीर कक्कड़ अपनी इस कृति में उसी अविश्वसनीय लेकिन वास्तविक दुनिया की यात्रा करते हैं। साधुओं, ओझाओं, स्थानीय वैद्यों और सन्तों द्वारा सदियों से जारी परम्परागत मनोचिकित्सा पद्धतियों का विश्लेषण करते हुए वे उनके रहस्यों का उद्घाटन करते हैं। मन्दिरों, मठों आदि पर निरन्तर होनेवाली गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए वे इनकी कार्य-शैली और आस्थावान लोगों की मनोरचना को अपने वैज्ञानिक-नज़रिए से भी देखते चलते हैं।
भारतीय ज्ञान में रुचि रखनेवाले लोगों के लिए उपयोगी इस पुस्तक में लेखक ने भारतीय और पश्चिमी मनोविज्ञान का तुलनात्मक अध्ययन भी किया है।

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Description

आधुनिक चिकित्सा-पद्धति के विकास तथा शिक्षा के प्रचार-प्रसार के बावजूद आज भी भारतीय जनमानस में साधुओं-ओझाओं आदि के प्रति विश्वास पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ है। इसे आधुनिक विज्ञान और राज्य की अक्षमता कहें या जनसाधारण के मन में बैठा अन्धविश्वास कि आज भी ऐसी-ऐसी ख़बरें सुनाई दे जाती हैं जिन पर सहज ही विश्वास नहीं हो पाता।
प्रतिष्ठित मनोविश्लेषक सुधीर कक्कड़ अपनी इस कृति में उसी अविश्वसनीय लेकिन वास्तविक दुनिया की यात्रा करते हैं। साधुओं, ओझाओं, स्थानीय वैद्यों और सन्तों द्वारा सदियों से जारी परम्परागत मनोचिकित्सा पद्धतियों का विश्लेषण करते हुए वे उनके रहस्यों का उद्घाटन करते हैं। मन्दिरों, मठों आदि पर निरन्तर होनेवाली गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए वे इनकी कार्य-शैली और आस्थावान लोगों की मनोरचना को अपने वैज्ञानिक-नज़रिए से भी देखते चलते हैं।
भारतीय ज्ञान में रुचि रखनेवाले लोगों के लिए उपयोगी इस पुस्तक में लेखक ने भारतीय और पश्चिमी मनोविज्ञान का तुलनात्मक अध्ययन भी किया है।

About Author

सुधीर कक्‍कड़

अंग्रेज़ी के महत्त्वपूर्ण भारतीय लेखक और मनोविश्लेषक।

भारत, यूरोप और अमेरिका के अनेक विश्वविद्यालयों में अध्यापन।

प्रमुख कृयिताँ : ‘द इनर वर्ल्ड’ (1978); ‘शमन्स, मिस्टीक्स एंड डॉक्टर्स’ (1982); ‘वेल्स ऑफ़ लव, सेक्स एंड डेंजर’ (1986); ‘इंटीमेट रिलेशंस’  (1990); ‘द एनालिस्ट एवं द मिस्टीक’ (1992); ‘द कलर्स ऑफ़ वायलेंस’ (1996); ‘कल्चर एंड साइके’ (1997); चुनी हुई रचनाओं का संकलन ‘द इंडियन साइके’ (1996) तथा ‘मीरा एंड महात्मा’ (2004)।

‘द एसेटिक ऑफ़ डिजायर’ उनका प्रथम उपन्यास है जिसका हिन्दी में 'कर्मयोगी' शीर्षक से अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। हिन्दी में अनूदित उनकी अन्‍य कृतियाँ हैं—‘आनन्द वर्षा’ (द एक्सटेसी) और ‘मीरा और महात्‍मा’ (मीरा एंड महात्मा)।

देश-विदेश के विभिन्‍न पुरस्‍कारों से सम्‍मानित।

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