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SABKE JEEVAN MEIN SAI (HINDI)
Publisher:
MANJUL
| Author:
SUMEET PONDA
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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MANJUL
Author:
SUMEET PONDA
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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9788183227049
Category Hindi
Category: Hindi
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साईं ने ऐसा जीवन जिया जो केवल दूसरों के लिए था I उनकी हर बात, हर कर्म और प्रत्येक लीला में एक सीख होती थी, जिसे पहचान कर और आत्मसात कर कुछ लोग सही मायनों में जीवन को समझ पाए बाबा को मानाने वाले पूरी दुनिया में फैले है जो उनके चमत्कारों से अभिभूत हैं और खुद को धन्य मानते हैं I बाबा तो निरंतर सबका भला कर रहे है, लेकिन महसूस करने वाली बात यह है कि हम उन्हें कितनी शिद्दत से अपने जीवन में शामिल कर स्वयं साईमय हो पाते हैं I
बाबा के दरवाज़े सभी के लिए सदैव खुले हैं, ये तो आगंतुक पर निर्भर करता है कि वह उनकी कृपा धरा से कितना अनुग्रह पाना चाहता है कोई अंजलि भर ले जाता है और कोई सागर ले जाता है I अपनी इच्छाओं की पूर्ति और अवरोधों से मुक्ति के पार जाकर हम इस दिव्यमान से एकात्म होकर स्वयं को जान सकते हैं, तथा मानव जीवन की गहराई में उत्तर कर अपना जीवन सफल व् पूर्ण बना सकते हैं यही इस पुस्तक एक उद्देश्य व् सार है I
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Description
साईं ने ऐसा जीवन जिया जो केवल दूसरों के लिए था I उनकी हर बात, हर कर्म और प्रत्येक लीला में एक सीख होती थी, जिसे पहचान कर और आत्मसात कर कुछ लोग सही मायनों में जीवन को समझ पाए बाबा को मानाने वाले पूरी दुनिया में फैले है जो उनके चमत्कारों से अभिभूत हैं और खुद को धन्य मानते हैं I बाबा तो निरंतर सबका भला कर रहे है, लेकिन महसूस करने वाली बात यह है कि हम उन्हें कितनी शिद्दत से अपने जीवन में शामिल कर स्वयं साईमय हो पाते हैं I
बाबा के दरवाज़े सभी के लिए सदैव खुले हैं, ये तो आगंतुक पर निर्भर करता है कि वह उनकी कृपा धरा से कितना अनुग्रह पाना चाहता है कोई अंजलि भर ले जाता है और कोई सागर ले जाता है I अपनी इच्छाओं की पूर्ति और अवरोधों से मुक्ति के पार जाकर हम इस दिव्यमान से एकात्म होकर स्वयं को जान सकते हैं, तथा मानव जीवन की गहराई में उत्तर कर अपना जीवन सफल व् पूर्ण बना सकते हैं यही इस पुस्तक एक उद्देश्य व् सार है I
About Author
सुमीत पोन्दा का जन्म 1968 में जबलपुर में स्व. श्री कपिल पोन्दा और शिक्षिका श्रीमती मंजुला पोन्दा के घर में हुआ I आपकी स्कूली शिक्षा भोपाल के प्रतिष्ठित मिशनरी स्कूल में हुई जहाँ आपने पढाई के दौरान ज्वलंत मुद्दों पर कई लेख लिखे, तथा कॉलेज में आप लगातार प्रवीण्य सूची में सर्वोच्च स्थान पर रहे I एम.बी.ए. के दौरान हिंदी सिनेमा पर अपने अनूठे शोध के चलते कई ख्यातनाम फिल्मकारों के साथ काम किया I
एकमात्र संतान होने और पिता के निरंतर गिरते स्वस्थ्य के कारण माँ द्वारा प्रारम्भ किए गए रेड रोज स्कूल से जुड़कर अन्य स्कूलों के साथ ही एम.के. पोन्दा कॉलेजों की स्थापना की I आपका मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को संवेदनशील बनाना होना चाहिए, न कि मशीन I इसी सोच ने आपको शिक्षा के क्षेत्र में न सिर्फ एक नयी पहचान दी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्टार के कई पुरुस्कार भी दिलवाये I वर्त्तमान में वे भोपाल में ही विभिन्न शिक्षा संस्थानों का सफल संचालन कर रहे हैं I
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