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Rani Padmini : Chittorh Ka Pratham Jauhar
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Sahitya Ka Aatm-Satya
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Rut
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
राहत इन्दौरी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
राहत इन्दौरी
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹295 ₹207
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In stock
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1-4 Days
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ISBN:
SKU
9789386799074
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
126
“आग के फूलने-फलने का हुनर जानते हैं
ना बुझा हमको के जलने का हुनर जानते हैं
हर नये रंग में ढलने का हुनर जानते हैं,
लोग मौसम में बदलने का हुनर जानते हैं“
इन्दौर की शायरी एक खूबसूरत कानन है, जहाँ मिठास की नदी लहराकर चलती है। विचारों का, संकल्पों का पहाड़ है जो हर अदा से टकराने का हुनर रखता है। फूलों की नाजुकता है जो हर दिल को लुभाने का हुनर रखती है और खाइयों की सी गहराई है जो हर दिल को अपने में छुपाने का हुनर रखती है। वे हर रंग की शायरी करते हैं जिसमें प्यार का, नफरत का, गुस्से का, मेल-मिलाप के रंग बिखरे पड़े है।
“मेरी आँखों में कैद थी बारिश
तुम ना आये तो हो गई बारिश
आसमानों में ठहर गया सूरज
नदियों में ठहर गई बारिश”
राहत अपनी शायरी में दो तरह से मिलते हैं – एक दर्शन में और एक प्रदर्शन में। जब आप उन्हें हल्के से पढ़ते हैं तो केवल आनन्द आता है, लेकिन जब आप राहत के दर्शन में, विचारों में डूबकर पढ़ते हैं तो एक दर्शन का अहसास हो जाता है। और जब आप दिल से पढ़ते हैं तो वह आपके दिलो-दिमाग पर हावी हो जाएँगे और शायरी की मिठास में इतने खो जाएँगे कि बरबस ही शायरी आपके होंठों पर कब्जा कर लेगी और आप उसके स्वप्निल संसार में गोते लगाए बिना नहीं रह पाएँगे।
“तेरी आँखों की हद से बढ़कर हूँ,
दश्त मैं आग का समन्दर हूँ।
कोई तो मेरी बात समझेगा,
एक कतरा हूँ और समन्दर हूँ।”
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Description
“आग के फूलने-फलने का हुनर जानते हैं
ना बुझा हमको के जलने का हुनर जानते हैं
हर नये रंग में ढलने का हुनर जानते हैं,
लोग मौसम में बदलने का हुनर जानते हैं“
इन्दौर की शायरी एक खूबसूरत कानन है, जहाँ मिठास की नदी लहराकर चलती है। विचारों का, संकल्पों का पहाड़ है जो हर अदा से टकराने का हुनर रखता है। फूलों की नाजुकता है जो हर दिल को लुभाने का हुनर रखती है और खाइयों की सी गहराई है जो हर दिल को अपने में छुपाने का हुनर रखती है। वे हर रंग की शायरी करते हैं जिसमें प्यार का, नफरत का, गुस्से का, मेल-मिलाप के रंग बिखरे पड़े है।
“मेरी आँखों में कैद थी बारिश
तुम ना आये तो हो गई बारिश
आसमानों में ठहर गया सूरज
नदियों में ठहर गई बारिश”
राहत अपनी शायरी में दो तरह से मिलते हैं – एक दर्शन में और एक प्रदर्शन में। जब आप उन्हें हल्के से पढ़ते हैं तो केवल आनन्द आता है, लेकिन जब आप राहत के दर्शन में, विचारों में डूबकर पढ़ते हैं तो एक दर्शन का अहसास हो जाता है। और जब आप दिल से पढ़ते हैं तो वह आपके दिलो-दिमाग पर हावी हो जाएँगे और शायरी की मिठास में इतने खो जाएँगे कि बरबस ही शायरी आपके होंठों पर कब्जा कर लेगी और आप उसके स्वप्निल संसार में गोते लगाए बिना नहीं रह पाएँगे।
“तेरी आँखों की हद से बढ़कर हूँ,
दश्त मैं आग का समन्दर हूँ।
कोई तो मेरी बात समझेगा,
एक कतरा हूँ और समन्दर हूँ।”
About Author
राहत इन्दौरी -
उर्दू के विख्यात शायर डॉ. राहत इन्दौरी का जन्म इन्दौर में 1 जनवरी 1950 को हुआ था। उन्होंने इन्दौर विश्वविद्यालय में सोलह वर्षों तक उर्दू साहित्य पढ़ाया तथा उर्दू की त्रैमासिक पत्रिका 'शाखें' का दस वर्षों तक सम्पादन किया। अबतक उनके छह कविता संग्रह प्रकाशित और समादृत हो चुके हैं। उन्होंने पचास से अधिक लोकप्रिय हिन्दी फ़िल्मों एवं म्यूज़िक एलबमों के लिए गीत-लेखन भी किया है।
राहत इन्दौरी मुशायरों में भाग लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, मॉरिशस, सऊदी अरब, पाकिस्तान, बांगलादेश, नेपाल आदि अनेक देशों की यात्रा कर चुके हैं तथा देश-विदेश के दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित हैं ।
निधन : 11 अगस्त 2020 ।
ई-मेल : rahatindoripost@gmail.com
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