Rokar Jo Mili Nahin (PB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
VIMAL MITRA
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Lokbharti
Author:
VIMAL MITRA
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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रोकड़ जो मिली नहीं’ वस्तुत: मनुष्य के भाग्य का इतिहास है। आज के युग में मनुष्य टेक्‍नोलॉजी के तर्क से पैसे को ही सब कुछ मानकर किस प्रकार के अनैतिक कार्य करता है और अन्तत: सुख उसे समृद्धि से नहीं मिलता है। इस उपन्यास में ‘सोने के हार की चोरी’ की खोज के माध्यम से मानव की कमज़ोरियों का रहस्य समझने का प्रयत्न किया गया है। ब्लैक प्रिंस का इतिहास पैसे के पीछे पागल लोगों का इतिहास है। जासूसी कथा शिल्प के माध्यम से रचनाकार ने कलकत्ता महानगर के काले पक्ष को उजागर करने का आश्चर्यजनक प्रयत्न किया है। कौतूहल मनोरंजन आदि तत्त्वों से युक्त होने के बावजूद यह ‘रहस्य रोमांच’ से भिन्न एक साहित्यिक रचना है, यही इसका रहस्य है। सुनीति मित्र, झगड़ू और ब्लैक प्रिंस तो सामाजिक व्यवस्था के उस पक्ष के परिणाम हैं जो रोटी के लिए पूँजी की भूख पैदा करता है। अपराधों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण क्या हैं, यह पुस्तक पढ़कर समझा जा सकता है, क्योंकि अपराध इसमें स्वयं प्रतीक के रूप में प्रयुक्त है। वस्तुत: इन्हीं कारणों से पुस्तक रोचक और कौतूहलपरक ही नहीं, शैली की दृष्टि से भी आकर्षक है।

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रोकड़ जो मिली नहीं’ वस्तुत: मनुष्य के भाग्य का इतिहास है। आज के युग में मनुष्य टेक्‍नोलॉजी के तर्क से पैसे को ही सब कुछ मानकर किस प्रकार के अनैतिक कार्य करता है और अन्तत: सुख उसे समृद्धि से नहीं मिलता है। इस उपन्यास में ‘सोने के हार की चोरी’ की खोज के माध्यम से मानव की कमज़ोरियों का रहस्य समझने का प्रयत्न किया गया है। ब्लैक प्रिंस का इतिहास पैसे के पीछे पागल लोगों का इतिहास है। जासूसी कथा शिल्प के माध्यम से रचनाकार ने कलकत्ता महानगर के काले पक्ष को उजागर करने का आश्चर्यजनक प्रयत्न किया है। कौतूहल मनोरंजन आदि तत्त्वों से युक्त होने के बावजूद यह ‘रहस्य रोमांच’ से भिन्न एक साहित्यिक रचना है, यही इसका रहस्य है। सुनीति मित्र, झगड़ू और ब्लैक प्रिंस तो सामाजिक व्यवस्था के उस पक्ष के परिणाम हैं जो रोटी के लिए पूँजी की भूख पैदा करता है। अपराधों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण क्या हैं, यह पुस्तक पढ़कर समझा जा सकता है, क्योंकि अपराध इसमें स्वयं प्रतीक के रूप में प्रयुक्त है। वस्तुत: इन्हीं कारणों से पुस्तक रोचक और कौतूहलपरक ही नहीं, शैली की दृष्टि से भी आकर्षक है।

About Author

बिमल मित्र

बांग्ला के प्रसिद्ध लेखक।

जन्म : 18 मार्च, 1912 को कोलकाता में।

शिक्षा : कोलकाता विश्वविद्यालय से एम.ए.।

अनेक कहानियों और लगभग 70 उपन्यासों के रचयिता बिमल मित्र बांग्लाभाषी समाज के अलावा हिन्दी व तमिल समाज में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं।

प्रमुख कृतियाँ : ‘अन्यरूप’, ‘साहब बीबी गुलाम’, ‘मैं’, ‘राजाबदल’, ‘परस्त्री’, ‘इकाई दहाई सैकड़ा’, ‘खरीदी कौड़ियों के मोल’, ‘मुजरिम हाजिर’, ‘पति परम गुरु’, ‘बेगम मेरी विश्वास’, ‘चलो कलकत्ता’ (उपन्यास); ‘पुतुल दीदी’, ‘रानी साहिबा’ (कहानी-संग्रह); ‘कन्यापक्ष’ (रेखाचित्र)।

निधन : 2 दिसम्बर, 1991

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