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Right Time to Kill

Publisher:
Sahitya Vimarsh
| Author:
Santosh Pathak
| Language:
HIndi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sahitya Vimarsh
Author:
Santosh Pathak
Language:
HIndi
Format:
Paperback

254

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In stock

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3-5 Days

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Book Type

ISBN:
SKU PITIMETOKILL Categories ,
Page Extent:
280

अभिनेत्री सोनाली सिंह राजपूत ने पाँच सालों बाद दिल्ली में कदम क्या रखा, जैसे हंगामा बरपा हो गया। बंगले में घुसते ही गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस और मीडिया दोनों को शक था कि सोनाली का कत्ल उसके चाचा उदय सिंह राजपूत ने किया है, क्योंकि पांच साल पहले उसने अपनी भतीजी को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी थी। लिहाजा कहानी परत-दर-परत उलझती जा रही थी। एक तरफ इंस्पेक्टर गरिमा देशपांडे कातिल की तलाश में जी जान से जुटी हुई थी, तो वहीं दूसरी तरफ भारत न्यूज की इंवेस्टिगेशन टीम पुलिस से पहले हत्यारे का पता लगाने के लिए दृढसंकल्प थी। जबकि कातिल था कि एक के बाद एक लाशें बिछाता जा रहा था।

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Description

अभिनेत्री सोनाली सिंह राजपूत ने पाँच सालों बाद दिल्ली में कदम क्या रखा, जैसे हंगामा बरपा हो गया। बंगले में घुसते ही गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस और मीडिया दोनों को शक था कि सोनाली का कत्ल उसके चाचा उदय सिंह राजपूत ने किया है, क्योंकि पांच साल पहले उसने अपनी भतीजी को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी थी। लिहाजा कहानी परत-दर-परत उलझती जा रही थी। एक तरफ इंस्पेक्टर गरिमा देशपांडे कातिल की तलाश में जी जान से जुटी हुई थी, तो वहीं दूसरी तरफ भारत न्यूज की इंवेस्टिगेशन टीम पुलिस से पहले हत्यारे का पता लगाने के लिए दृढसंकल्प थी। जबकि कातिल था कि एक के बाद एक लाशें बिछाता जा रहा था।

About Author

लेखक संतोष पाठक का जन्म 19 जुलाई 1978 को, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के बेटाबर खूर्द गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से पूरी करने के बाद वर्ष 1987 में आप अपने पिता श्री ओमप्रकाश पाठक और माता श्रीमती उर्मिला पाठक के साथ दिल्ली चले गये,। जहाँ से आपने उच्च शिक्षा हासिल की। आपकी पहली रचना वर्ष 1998 में मशहूर हिन्दी अखबार नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुई, जिसके बाद आपने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2004 में आपको हिन्दी अकादमी द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए पुरस्कृत किया गया। आपने सच्चे किस्से, सस्पेंस कहानियाँ, मनोरम कहानियाँ इत्यादि पत्रिकाओं तथा शैक्षिक किताबों का सालों तक सम्पादन किया है। आपने हिन्दी अखबारों के लिए न्यूज रिपोर्टिंग करने के अलावा सैकड़ों की तादाद में सत्यकथाएँ तथा फिक्शन लिखे हैं।

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