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Resha-Resha Resham Sa

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Khurrum Shahzad Noor
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Khurrum Shahzad Noor
Language:
Hindi
Format:
Hardback

188

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1-4 Days

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Book Type

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Page Extent:
144

‘रेशा-रेशा रेशम सा काव्य संग्रह अपने नाम को सार्थक करता है। इस संकलन की हर रचना उन रेशमी धागों के समान हैं जिनसे मिलकर बनने वाली इस कोमल कृति का मन से किया गया स्पर्श और अवलोकन दोनों ही एक रेशमी आनंद और शालीनता की अनुभूति देते हैं। जिस प्रकार रेशम की उत्पत्ति में छिपा कष्ट, दुःख और परिश्रम अपरोक्ष रहकर, उसे अद्वितीय कांति देता है, यह मार्मिक संग्रह कवि के अनुभवों, विचारों और सपनों से बनी एक ऐसी रेशमी चादर के समान है जिसे आप छू लें तो ओढ़े बिना रह नहीं सकेंगे। ‘ख्वाब, ़ख्याल और ख्वाहिशें’ के बाद ़गज़लों, नज़्मों और र की ़खुर्रम शहज़ाद नूर की यह दूसरी काव्य कृति है। भारतीय नौसेना में कमोडोर नूर के नाम से प्रसिद्ध ़खुर्रम शहज़ाद नूर नौसेना की शिक्षा शाखा में रहते हुए पनडुब्बी-रोधी युद्ध शैली के महाप्रशिक्षक हैं। सैनिक स्कूल भुवनेश्वर में प्राचार्य रहने के बाद संप्रति नौसेना मुख्यालय में निदेशक हैं।.

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Description

‘रेशा-रेशा रेशम सा काव्य संग्रह अपने नाम को सार्थक करता है। इस संकलन की हर रचना उन रेशमी धागों के समान हैं जिनसे मिलकर बनने वाली इस कोमल कृति का मन से किया गया स्पर्श और अवलोकन दोनों ही एक रेशमी आनंद और शालीनता की अनुभूति देते हैं। जिस प्रकार रेशम की उत्पत्ति में छिपा कष्ट, दुःख और परिश्रम अपरोक्ष रहकर, उसे अद्वितीय कांति देता है, यह मार्मिक संग्रह कवि के अनुभवों, विचारों और सपनों से बनी एक ऐसी रेशमी चादर के समान है जिसे आप छू लें तो ओढ़े बिना रह नहीं सकेंगे। ‘ख्वाब, ़ख्याल और ख्वाहिशें’ के बाद ़गज़लों, नज़्मों और र की ़खुर्रम शहज़ाद नूर की यह दूसरी काव्य कृति है। भारतीय नौसेना में कमोडोर नूर के नाम से प्रसिद्ध ़खुर्रम शहज़ाद नूर नौसेना की शिक्षा शाखा में रहते हुए पनडुब्बी-रोधी युद्ध शैली के महाप्रशिक्षक हैं। सैनिक स्कूल भुवनेश्वर में प्राचार्य रहने के बाद संप्रति नौसेना मुख्यालय में निदेशक हैं।.

About Author

भारतीय नौसेना में कैप्टन नूर के नाम से प्रसिद्ध ख़ुर्रम शहज़ाद नूर नौसेना की शिक्षा शाखा में रहते हुए पनडुब्बी-रोधी युद्ध शैली के महाप्रशिक्षक हैं। नौसेना मुख्यालय में निदेशक रहने के बाद संप्रति सैनिक स्कूल, भुवनेश्‍वर में प्राचार्य हैं। बचपन से ही साहित्य सृजन में रुचि रही; हिंदी-अंग्रेजी में कविता तथा हिंदी में कहानियाँ लिखते रहे हैं। अंग्रेजी कविताओं का संकलन ‘Nostalgia’ शीर्षक से प्रकाशित। शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उड़ीसा राज्य सरकार द्वारा ‘राजीव गांधी सद‍्भावना पुरस्कार’ से सम्मानित। नौसेना अध्यक्ष एवं कमांडर इन चीफ दोनों से ही नौसेना में अपनी सेवाओं के लिए प्रशंसा मेडल प्राप्‍त कर चुके हैं। ‘सोलह आने सच’ इनका पहला कहानी संग्रह है। हिंदी/उर्दू की गजलों और नज्मों का एक संकलन शीघ्र प्रकाश्य। संप्रति: कैप्टन ख़ुर्रम शहज़ाद नूर अपनी आत्मकथा पर आधारित अंग्रेजी उपन्यास ‘32 Kilometers’ पर कार्य कर रहे हैं।

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