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Rani Laxmibai
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
रेखा श्रीवास्तव , शृंखला सम्पादक लीलाधर मंडलोई
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
रेखा श्रीवास्तव , शृंखला सम्पादक लीलाधर मंडलोई
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
9789357758192
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
64
रानी लक्ष्मीबाई –
रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वाधीनता संग्राम की पहली महिला सेनानी हैं। 1857 के सैनिक विद्रोह के आसपास इन्होंने भी अंग्रेज़ी दासता के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी थी। लक्ष्मीबाई जहाँ एक ओर स्वाधीनता के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर लोगों में जोश भर रही थीं वहीं उनकी ओजस्विता से बालिकाओं, महिलाओं और साधारण जनता को अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा मिल रही थी।
रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता की जो मिसाल पेश की है वह उनके देशप्रेम, अधिकारों के प्रति लड़ने की जिजीविषा और त्याग का प्रतीक है।
रानी लक्ष्मीबाई साधारण परिवार में जनमी थीं लेकिन उन्होंने झाँसी का राज्य बड़ी कुशलता एवं वीरता से सँभाला। उन्होंने अंग्रेज़ों से झाँसी की रक्षा करते-करते अपने प्राणों की आहुति तक दे दी।
इस पुस्तक में रानी लक्ष्मीबाई की जीवन कथा के साथ-साथ तत्कालीन राजनीतिक स्थितियों के अलावा झाँसी के इतिहास के बारे में पर्याप्त सामग्री है। लेखिका ने बड़ी सहज-सरल भाषा में इसे प्रस्तुत किया है ताकि पाठकों को इतिहास के इस अमर चरित्र के बारे में जानने-समझने का मौक़ा मिले।
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Description
रानी लक्ष्मीबाई –
रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वाधीनता संग्राम की पहली महिला सेनानी हैं। 1857 के सैनिक विद्रोह के आसपास इन्होंने भी अंग्रेज़ी दासता के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी थी। लक्ष्मीबाई जहाँ एक ओर स्वाधीनता के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर लोगों में जोश भर रही थीं वहीं उनकी ओजस्विता से बालिकाओं, महिलाओं और साधारण जनता को अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा मिल रही थी।
रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता की जो मिसाल पेश की है वह उनके देशप्रेम, अधिकारों के प्रति लड़ने की जिजीविषा और त्याग का प्रतीक है।
रानी लक्ष्मीबाई साधारण परिवार में जनमी थीं लेकिन उन्होंने झाँसी का राज्य बड़ी कुशलता एवं वीरता से सँभाला। उन्होंने अंग्रेज़ों से झाँसी की रक्षा करते-करते अपने प्राणों की आहुति तक दे दी।
इस पुस्तक में रानी लक्ष्मीबाई की जीवन कथा के साथ-साथ तत्कालीन राजनीतिक स्थितियों के अलावा झाँसी के इतिहास के बारे में पर्याप्त सामग्री है। लेखिका ने बड़ी सहज-सरल भाषा में इसे प्रस्तुत किया है ताकि पाठकों को इतिहास के इस अमर चरित्र के बारे में जानने-समझने का मौक़ा मिले।
About Author
रेखा श्रीवास्तव -
पूर्वी दिल्ली के एक साधारण परिवार में जन्म व प्रारम्भिक शिक्षा ।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, पांडिचेरी यूनिवर्सिटी से क्रमशः स्नातक व एम.ए.। महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक से बी.एड. । दिल्ली विश्वविद्यालय से सिन्धी भाषा-साहित्य और जेएनयू से उर्दू भाषा का अध्ययन । अनुवाद, जनसंचार व पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा । मानव संसाधन विकास मन्त्रालय से कम्प्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा व डोएक सोसाइटी से 'ओ' लेवल प्रमाण-पत्र ।
ज्ञानोदय, गगनांचल, लोकायत, संवेद, साहित्य अमृत, सबलोग, शोध समवाय, अनन्तर, नेशनल दुनिया, डेली न्यूज़, हिन्दुस्तान सहित देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अनुवाद व आलेख प्रकाशित ।
विश्व हिन्दी सम्मेलन, जोहान्सबर्ग की पुस्तक 'भाषाई अस्मिता और हिन्दी का वैश्विक सन्दर्भ', 'रामधारी सिंह दिनकर : समर शेष है' और 'सरहद' पुस्तक में आलेख व शोधपत्र शामिल। बच्चों के लिए लिखी कहानियों का संग्रह पॉली आन्टी की बगिया प्रकाशित ।
लम्बे समय तक दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षण कार्य। सम्प्रति अनुवाद और स्वतन्त्र लेखन के साथ विदेशी बच्चों के हिन्दी भाषा शिक्षण में संलग्न ।
सम्पर्क : rekhaashrivastava@gmail.com
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