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Ramjanmabhoomi Andolan Ki Sanghrashgatha | “रामजन्मभूमि आंदोलन की संघर्षगाथा”

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Arun Anand & Vinay Nalwa
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Arun Anand & Vinay Nalwa
Language:
Hindi
Format:
Paperback

225

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In stock

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1-4 Days

In stock

Weight 250 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789355215918 Categories ,
Page Extent:
176

रामजन्मभूमि’ का अर्थ है, भगवान् राम का जन्मस्थान, जो भगवान् विष्णु के अवतार हैं। भगवान् राम का जन्मस्थान उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या में स्थित है, और हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।

1528 में बाबर ने अयोध्या के राम मंदिर को ध्वस्त करवाकर वहाँ एक मसजिद जैसे एक ढाँचे का निर्माण करवा दिया। तब से हिंदू इस स्थान को वापस पाने और इस पर राम मंदिर बनाने के लिए निरंतर संघर्षरत रहे हैं। इसके लिए अनेक हिंदुओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। 1980 के दशक के मध्य में राम मंदिर निर्माण का आंदोलन पुनः प्रारंभ किया गया था। इसने भारत में एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की नींव रखी और भारतीय राजनीति में भी एक परिणामकारी परिवर्तन का काल प्रारंभ हुआ ।

रामजन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के मामले को दुनिया के इतिहास में सबसे लंबी चलनेवाली कानूनी लड़ाई होने का गौरव भी प्राप्त है। इस मामले पर आखिरकार 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय और रामजन्मभूमि पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। यह पुस्तक ‘रामजन्मभूमि’ के इन सभी पहलुओं की पड़ताल करती हुई भव्य, उथल-पुथल भरी ऐतिहासिक गाथा के सभी महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को एक स्थान पर लाती है।

‘रामजन्मभूमि’ विषय पर ऐतिहासिक दस्तावेजों, धर्मग्रंथों, उपाख्यानों और दस्तावेजी बहसों से समर्थित यह पुस्तक आपको हजारों वर्षों से अधिक की यात्रा पर ले जाएगी और रामजन्मभूमि की ऐतिहासिकता के साथ-साथ इसके माहात्म्य और गौरव को समझने की दृष्टि भी विकसित करेगी।

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Description

रामजन्मभूमि’ का अर्थ है, भगवान् राम का जन्मस्थान, जो भगवान् विष्णु के अवतार हैं। भगवान् राम का जन्मस्थान उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या में स्थित है, और हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।

1528 में बाबर ने अयोध्या के राम मंदिर को ध्वस्त करवाकर वहाँ एक मसजिद जैसे एक ढाँचे का निर्माण करवा दिया। तब से हिंदू इस स्थान को वापस पाने और इस पर राम मंदिर बनाने के लिए निरंतर संघर्षरत रहे हैं। इसके लिए अनेक हिंदुओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। 1980 के दशक के मध्य में राम मंदिर निर्माण का आंदोलन पुनः प्रारंभ किया गया था। इसने भारत में एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की नींव रखी और भारतीय राजनीति में भी एक परिणामकारी परिवर्तन का काल प्रारंभ हुआ ।

रामजन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के मामले को दुनिया के इतिहास में सबसे लंबी चलनेवाली कानूनी लड़ाई होने का गौरव भी प्राप्त है। इस मामले पर आखिरकार 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय और रामजन्मभूमि पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। यह पुस्तक ‘रामजन्मभूमि’ के इन सभी पहलुओं की पड़ताल करती हुई भव्य, उथल-पुथल भरी ऐतिहासिक गाथा के सभी महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को एक स्थान पर लाती है।

‘रामजन्मभूमि’ विषय पर ऐतिहासिक दस्तावेजों, धर्मग्रंथों, उपाख्यानों और दस्तावेजी बहसों से समर्थित यह पुस्तक आपको हजारों वर्षों से अधिक की यात्रा पर ले जाएगी और रामजन्मभूमि की ऐतिहासिकता के साथ-साथ इसके माहात्म्य और गौरव को समझने की दृष्टि भी विकसित करेगी।

About Author

अरुण आनंद वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं। उन्होंने छह पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें दो बेस्टसेलर - 'नो अबाउट आरएसएस' और 'द सैफ्रन सर्ज : अनटोल्ड स्टोरी ऑफ आरएसएस लीडरशिप' हुई हैं। डॉ. विनय नलवा एक लेखक और शोधकर्ता हैं। वह महत्त्वपूर्ण सामाजिक- राजनीतिक मुद्दों पर प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए नियमित लिखती हैं। समाजशास्त्र और इतिहास में विशेष अभिरुचि ।

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