Rajo Aur Miss Phariya (Manto Ab Tak-12)

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सआदत हसन मंटो
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani Prakashan
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सआदत हसन मंटो
Language:
Hindi
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Paperback

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आम ख़याल में मण्टो की शोहरत हालाँकि उन कहानियों की वजह से है जो उसने बँटवारे और फ़िरक़ावाराना टकराव पर लिखी हैं या फिर समाज के गर्हित पक्ष- • वेश्याओं, भड़वों और दूसरे निचले तबक़ों के लोगों पर, लेकिन मण्टो की कहानियों की एक बहुत बड़ी तादाद ऐसी कहानियों की भी है जिनमें उसने प्रेम और घर-गृहस्थी के दूसरे पहलुओं को चित्रित किया है या फिर ऐसे सहज-सरल लोगों को उकेरा है जो सामान्यतः किसी कहानी के पात्र नहीं जान पड़ते। यह मण्टो की ख़ूबी है कि फ़िरक़ापरस्ती और सामाजिक बुराइयों के सिलसिले में नश्तर की-सी धार से काम लेने वाला मण्टो ऐसे पात्रों और प्रसंगों की तस्वीरकशी क़लम के बेहद कोमल स्पर्शो से करता है।

सुप्रसिद्ध रूसी कथाकार चेखव की तरह मण्टो ने भी कहानियाँ ही लिखी हैं, कभी उपन्यास पर हाथ नहीं आज़माया, लेकिन कुछ रचनाएँ दोनों ही कहानीकारों में ऐसी हैं जो लम्बी कहानियों या कहा जाए लघु उपन्यासों की सरहदें छूती जान पड़ती हैं। चेखव के लघु उपन्यास ‘माई लाइफ़’ की तरह मण्टो की रचना ‘बग़ैर उन्वान के’ भी एक लघु उपन्यास ही है, जिसे यहाँ ‘राजो और मिस फ़ारिया’ के नाम से दिया जा रहा है। इसके साथ ही दो कहानियाँ ‘मेरा और उसका इन्तक़ाम’ और ‘बेगो’ भी इस संग्रह में शामिल हैं।

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Description

आम ख़याल में मण्टो की शोहरत हालाँकि उन कहानियों की वजह से है जो उसने बँटवारे और फ़िरक़ावाराना टकराव पर लिखी हैं या फिर समाज के गर्हित पक्ष- • वेश्याओं, भड़वों और दूसरे निचले तबक़ों के लोगों पर, लेकिन मण्टो की कहानियों की एक बहुत बड़ी तादाद ऐसी कहानियों की भी है जिनमें उसने प्रेम और घर-गृहस्थी के दूसरे पहलुओं को चित्रित किया है या फिर ऐसे सहज-सरल लोगों को उकेरा है जो सामान्यतः किसी कहानी के पात्र नहीं जान पड़ते। यह मण्टो की ख़ूबी है कि फ़िरक़ापरस्ती और सामाजिक बुराइयों के सिलसिले में नश्तर की-सी धार से काम लेने वाला मण्टो ऐसे पात्रों और प्रसंगों की तस्वीरकशी क़लम के बेहद कोमल स्पर्शो से करता है।

सुप्रसिद्ध रूसी कथाकार चेखव की तरह मण्टो ने भी कहानियाँ ही लिखी हैं, कभी उपन्यास पर हाथ नहीं आज़माया, लेकिन कुछ रचनाएँ दोनों ही कहानीकारों में ऐसी हैं जो लम्बी कहानियों या कहा जाए लघु उपन्यासों की सरहदें छूती जान पड़ती हैं। चेखव के लघु उपन्यास ‘माई लाइफ़’ की तरह मण्टो की रचना ‘बग़ैर उन्वान के’ भी एक लघु उपन्यास ही है, जिसे यहाँ ‘राजो और मिस फ़ारिया’ के नाम से दिया जा रहा है। इसके साथ ही दो कहानियाँ ‘मेरा और उसका इन्तक़ाम’ और ‘बेगो’ भी इस संग्रह में शामिल हैं।

About Author

सआदत हसन मंटो कहानीकार और लेखक थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। प्रसिद्ध कहानीकार मंटो का जन्म 11 मई 1912 को पुश्तैनी बैरिस्टरों के परिवार में हुआ था। उनके पिता ग़ुलाम हसन नामी बैरिस्टर और सेशन जज थे। उनकी माता का नाम सरदार बेगम था, और मंटो उन्हें बीबीजान कहते थे। सआदत हसन मंटो की गिनती ऐसे साहित्यकारों में की जाती है जिनकी कलम ने अपने वक़्त से आगे की ऐसी रचनाएँ लिख डालीं जिनकी गहराई को समझने की दुनिया आज भी कोशिश कर रही है। मंटो की कहानियों की बीते दशक में जितनी चर्चा हुई है उतनी शायद उर्दू और हिन्दी और शायद दुनिया के दूसरी भाषाओं के कहानीकारों की कम ही हुई है। आंतोन चेखव के बाद मंटो ही थे जिन्होंने अपनी कहानियों के दम पर अपनी जगह बना ली। मंटो साहित्य जगत के ऐसे लेखक थे जो अपनी लघु कहानियों के काफी चर्चित हुए। वाणी प्रकाशन से मंटो के पच्चीस कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं – ‘रोज़ एक कहानी’, ‘एक प्रेम कहानी’, ‘शरीर और आत्मा’, ‘मेरठ की कैंची’, ‘दौ कौमें’, ‘टेटवाल का कुत्ता’, ‘सन 1919 की एक बात’, ‘मिस टीन वाला’, ‘गर्भ बीज’, ‘गुनहगार मंटो’, ‘शरीफन’, ‘सरकाण्डों के पीछे’, ‘राजो और मिस फ़रिया ‘, ‘फ़ोजा हराम दा’, ‘नया कानून’, ‘मीना बाज़ार’, ‘मैडम डिकॉस्टा’, ‘ख़ुदा की क़सम’, ‘जान मुहम्मद’, ‘गंजे फरिश्ते’, ‘बर्मी लड़की’, ‘बँटवारे के रेखाचित्र’, ‘बादशाह का खात्मा’, ‘तीन मोती औरतें’, ‘तीन गोले’। सआदत हसन मंटो उर्दू-हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। उनकी लिखी हुई उर्दू-हिन्दी की कहानियाँ आज एक दस्तावेज बन गयी हैं।

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