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Raat Ab Bhi Maujood Hai
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
लीलाधर जगूड़ी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
लीलाधर जगूड़ी
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹295 ₹207
Save: 30%
In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788181430953
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
116
‘नाटक जारी है’ की समृद्ध मिज़ाजी और ‘इस यात्रा में’ की आत्मीय दुनिया के बाद इस संग्रह में लीलाधर जगूड़ी के अनुभव और शब्द अधिक दुविधारहित हुए हैं। इनमें कतई आत्मनिन्दा नहीं है और निरी आक्रामकता भी नहीं; मगर वह है जो शायद आक्रामक होने का जनवादी विवेक है।
एक तरह से ये कविताएँ समकालीन भारतीय मनुष्य का इतिहास भी हैं । यही वजह है कि जगूड़ी कविता के चालू ढाँचे को उस बड़ी हद तक तोड़ते हैं जो कविता और उसके पाठक के बीच की नक़ली दूरी तोड़ने के लिए जरूरी है।
ये कविताएँ आदमी से लगभग बातचीत हैं और इनमें ज़िन्दगी के मौजूदा अन्धकार में लड़ी जा रही लड़ाई के कथापक्ष हैं। इनमें शब्दों से एक नया काम लिया गया है जो आदमी की पीड़ा को ताक़त तक पहुँचाने की अभीप्सा से अधिक सक्रिय दिखते हैं।
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Description
‘नाटक जारी है’ की समृद्ध मिज़ाजी और ‘इस यात्रा में’ की आत्मीय दुनिया के बाद इस संग्रह में लीलाधर जगूड़ी के अनुभव और शब्द अधिक दुविधारहित हुए हैं। इनमें कतई आत्मनिन्दा नहीं है और निरी आक्रामकता भी नहीं; मगर वह है जो शायद आक्रामक होने का जनवादी विवेक है।
एक तरह से ये कविताएँ समकालीन भारतीय मनुष्य का इतिहास भी हैं । यही वजह है कि जगूड़ी कविता के चालू ढाँचे को उस बड़ी हद तक तोड़ते हैं जो कविता और उसके पाठक के बीच की नक़ली दूरी तोड़ने के लिए जरूरी है।
ये कविताएँ आदमी से लगभग बातचीत हैं और इनमें ज़िन्दगी के मौजूदा अन्धकार में लड़ी जा रही लड़ाई के कथापक्ष हैं। इनमें शब्दों से एक नया काम लिया गया है जो आदमी की पीड़ा को ताक़त तक पहुँचाने की अभीप्सा से अधिक सक्रिय दिखते हैं।
About Author
लीलाधर जगूड़ी
जन्म : 1 जुलाई 1910, धंगण गाँव, टिहरी (उत्तराखंड)। ग्यारह वर्ष की अवस्था में घर से भागकर अनेक शहरों और प्रान्तों में कई प्रकार की जीविकाएं करते हुए शालाग्रस्त शिक्षा के अनियमित क्रम के बाद हिन्दी साहित्य में एम.ए. फौज (गढ़वाल राइफल) में सिपाही लिखने-पढ़ने की उत्कट चाह के कारण तत्कालीन रक्षामन्त्री कृष्ण मेनन को फ़ौज से मुक्ति के लिए प्रार्थनापत्र भेजा, फलतः छुटकारा 1970 के 13 सितम्बर को भयंकर प्राकृतिक प्रासदी में परिवार के सात लोगों की एक साथ मृत्यु। 1966-80 तक शासकीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य और बचे हुए परिवार का पुनर्वास उत्तरकाशी में। यहाँ भी आसंदी में घर तथा बेटे का व्यावसायिक संस्थान 17 जून 2013 को नेस्तनाबूद ।
1980 में पर्वतीय क्षेत्र में प्रीड़ों के लिए लिखी हमारे आखर (प्रवेशिका) तथा कहानी के आखर पाठ्य-पुस्तकें साक्षरता निकेतन, लखनऊ से प्रकाशित राजस्थान के कवियों के संकलन लगभग जीवन का सम्पादन । अखिल भारतीय भाषाओं की नाट्यालेख प्रतियोगिता में 1981 में पाँच बेटे नाटक पर प्रथम पुरस्कार तथा फिल्म निर्माण मराठी, पंजाबी, मलयालम, बांग्ला, उड़िया, उर्दू आदि भारतीय भाषाओं में तथा रूसी, अंग्रेजी, जर्मन, जापानी और पोलिश आदि विदेशी भाषाओं में कविताओं के अनुवाद । यू.पी. पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा उत्तर प्रदेश की सूचना सेवा के लिए चयन।
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ.प्र. की मासिक पत्रिका 'उत्तर प्रदेश' तथा नये राज्य उत्तरांचल की प्रथम पत्रिका 'उत्तरांचल दर्शन' का सम्पादन सेवानिवृत्ति के बाद उत्तरांचल के प्रथम सूचना सलाहकार रहे तथा उत्तराखंड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष ।
प्रकाशित कविता-संग्रह : शंखमुखी शिखरों पर, नाटक जारी है, इस यात्रा में, रात अब भी मौजूद है, बची हुई पृथ्वी, घबराये हुए शब्द, भय भी शक्ति देता है, अनुभव के आकाश में चाँद, महाकाव्य के बिना, ईश्वर की अध्यक्षता में, ख़बर का मुँह विज्ञापन से ढका है, कवि ने कहा, जितने लोग उतने प्रेम, ईश्वर का समकालीन कवि ।
गद्य : मेरे साक्षात्कार, रचना प्रक्रिया से जूझते हुए, प्रश्नव्यूह में प्रज्ञा ।
सम्मान : रघुवीर सहाय सम्मान, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता द्वारा सम्मानित उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के नामित पुरस्कार सहित अन्य सम्मान अनुभव के आकाश में चाँद के लिए 1997 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित 2004 में पद्मश्री से अलंकृत एशिया और यूरोप के कुछेक देशों की यात्राएं भारत की केन्द्रीय साहित्य अकादेमी द्वारा राइटर्स ऐट रेजीडेंस-फेलोशिप से सम्मानित ।
सम्प्रति : पूर्णतः स्वतन्त्र लेखन केन्द्रीय साहित्य अकादेमी की सामान्य सभा के सदस्य ।
सम्पर्क : सीता कुटी, सरस्वती एन्क्लेव, बदरीपुर रोड (जोगीवाला), देहरादून- 248005
फोन : 0135-2666518, मो. 09411733588
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