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Qayas-(HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Udayan Vajpeyi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Udayan Vajpeyi
Language:
Hindi
Format:
Hardback

385

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SKU 9789388933452 Category
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‘क़यास’ एक असाधारण उपन्यास है जहाँ रोज़मर्रा की साधारण सामग्री से गम्भीर और कलात्मक परिष्कृत कृति ने आकार लिया है। इस सामग्री से कोई भी और लेखक अतिनाटकीय बम्बइया कृति बना डालता है। ‘क़यास’ में अतिनाटकीयता है ज़रूर लेकिन उसे उपन्यासकार ने सहलाने की जगह, उसका मज़ाक बनाया है। इस उपन्यास की भाषा उचित ही ऊँचे स्तर की है, इसमें प्रयुक्त उपमाएँ और रूपक ज़रा भी कृत्रिम हुए बिना काव्यात्मक और नैसर्गिक हैं। पूरे उपन्यास में एक भी शब्द फ़िज़ूल नहीं है। मुझे यह पढ़कर सन्तोष से बहुत अधिक हासिल हुआ। लखना उर्फ़ लखन लाल का चरित्र ठीक ही अविस्मरणीय है, उपन्यास में उसे गौरवमय स्थान दिया गया है। यह उसी के एकालाप से ख़त्म होता है।
Quote – हिन्दी उपन्यास मध्यवर्गीय जीवन और उसके रिश्तों के उत्सव में अपना गौरव मानता रहा है। उदयन वाजपेयी का ‘क़यास’ उन थोड़े-से उपन्यासों में है जो बिना किसी यथार्थवादी फर्नीचर के कोलाहल को मुमकिन कर देता है। इस उपन्यास में काव्यात्मक छरहरापन है।
—कृष्ण बलदेव वैद

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Description

‘क़यास’ एक असाधारण उपन्यास है जहाँ रोज़मर्रा की साधारण सामग्री से गम्भीर और कलात्मक परिष्कृत कृति ने आकार लिया है। इस सामग्री से कोई भी और लेखक अतिनाटकीय बम्बइया कृति बना डालता है। ‘क़यास’ में अतिनाटकीयता है ज़रूर लेकिन उसे उपन्यासकार ने सहलाने की जगह, उसका मज़ाक बनाया है। इस उपन्यास की भाषा उचित ही ऊँचे स्तर की है, इसमें प्रयुक्त उपमाएँ और रूपक ज़रा भी कृत्रिम हुए बिना काव्यात्मक और नैसर्गिक हैं। पूरे उपन्यास में एक भी शब्द फ़िज़ूल नहीं है। मुझे यह पढ़कर सन्तोष से बहुत अधिक हासिल हुआ। लखना उर्फ़ लखन लाल का चरित्र ठीक ही अविस्मरणीय है, उपन्यास में उसे गौरवमय स्थान दिया गया है। यह उसी के एकालाप से ख़त्म होता है।
Quote – हिन्दी उपन्यास मध्यवर्गीय जीवन और उसके रिश्तों के उत्सव में अपना गौरव मानता रहा है। उदयन वाजपेयी का ‘क़यास’ उन थोड़े-से उपन्यासों में है जो बिना किसी यथार्थवादी फर्नीचर के कोलाहल को मुमकिन कर देता है। इस उपन्यास में काव्यात्मक छरहरापन है।
—कृष्ण बलदेव वैद

About Author

जीलानी बानो

जन्म : 1936; बदायूँ (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (उर्दू)।

इनकी कहानियों और उपन्यासों से आज के समय के बदलते जीवन-मूल्यों और समाज में औरत की हैसियत का एहसास होता है। जीलानी बानो अपनी धरती और दुनिया को ही अपनी कहानियों का मज़मून बनाती हैं।

हैदराबाद की तहज़ीबी ज़िन्दगी पर उनका पहला उर्दू उपन्यास ‘ऐवान ग़ज़ल’ काफ़ी चर्चित हुआ। अब तक हिन्दी और गुजराती में इसका अनुवाद हो चुका है। नेशनल बुक ट्रस्ट की योजना इसे हिन्दुस्तान की चौदह भाषाओं में प्रकाशित करने की है। इनके एक अन्य उपन्यास का नाम है—‘बारिश-ए-संग’। इसका हिन्दी अनुवाद ‘पत्थरों की बारिश’ नाम से छपा। इसके अतिरिक्त नौ कहानी-संग्रह प्रकाशित।

इनकी कई कहानियों का अनुवाद विभिन्न देशी और विदेशी भाषाओं में हो चुका है। इन्होंने रेडियो और टी.वी. के लिए कई नाटक लिखे।

सम्मान : ‘ग़ालिब एवार्ड’ (1978), ‘सोवियत लैंड नेहरू एवार्ड’ (1985), ‘महाराष्ट्र उर्दू एकेडमी एवार्ड’ (1988), ‘हरियाणा उर्दू एकेडमी एवार्ड’ (1989), ‘पाकिस्तान का नुकुश एवार्ड’ (1991)। इनके अतिरिक्त कई अन्य पुरस्कार।

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