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Punjabi Ki Samkaleen Kahaniyan

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
फूलचन्द मानव
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
फूलचन्द मानव
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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SKU 9789357750257 Category
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199

पंजाबी की समकालीन कहानियाँ –
कहानी की उम्र मनुष्य के, मानव सभ्यता के जन्म और विकास के साथ ही शुरू होती है। प्रत्येक इतिहास एक कहानी ही तो कह रहा है। संसार, देश, प्रान्त से सिमटकर मानव मन समाज या घर परिवार की बात करता है तो वह कहानी का सहारा लेता है। विश्व कथा पर भारतीय कहानी की तरह पंजाबी कहानी की भी रोचक दास्तान है। और फिर समकालीन पंजाबी ने तो देश-देशान्तर में अपने नाट्य रूपान्तर, धारावाही सीरियलों के रूप में भी धाक जमायी है। कथा-कहानी, लघुकथा अथवा लम्बी कहानी या उपन्यासिका के रूप में हमारे कथाकारों ने भारतीय समकालीन कहानी से टक्कर ली है और बड़े या छोटे, पुराने या नये रचनाकारों की कहानियाँ उर्दू, अंग्रेज़ी से आगे, विश्व की अन्यान्य भाषाओं में भी गूँज पैदा करती रही हैं।
अनूदित, रूपान्तरित होकर विश्व कथा, भारतीय कहानियाँ पंजाबी में उभरने से हमारे लेखकों-सम्पादकों-आलोचकों की चेतना विकसित हुई तो उन्होंने अपनी भाषा, माँ-बोली पंजाबी के लिए भी बदलाव की रचना दिखाई, परिणामतः लोकप्रिय, श्रेष्ठ, मनपसन्द कथाएँ, यादगारी चुनिन्दा कहानियों के संकलन भी तैयार होने लगे।
समकालीनता का पैमाना सामने आया तो स्थिति, समाज, वातावरण, मानव-मन के साथ शिल्प, शैली का विकास भी हमने देखा। भाषा के तेवर, मुहावरे की चमक और वाक्य-विन्यास तक चौंकाने लगे।
मात्र सौ—सवा सौ साल के पंजाबी कहानी के इतिहास में विविधता ही नहीं चार-पाँच पीढ़ियों का कथा संवाद भी उभरने लगता है।
भारतीय कहानी के सामने आज पंजाबी कहानी, मात्र कथ्य के आधार पर ही नहीं, शिल्प, शैली, मुहावरे अथवा संरचना के हर पड़ाव पर सशक्त और सार्थक सिद्ध हुई है। साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली के अधिकाधिक पुरस्कार, विगत वर्षों में कथा-संग्रहों के लिए ही घोषित हुए हैं। पंजाबी का सबसे बड़ा विदेशी (प्रवासी) साहित्यिक पुरस्कार जतिन्दर हान्स के कथा संग्रह के लिए घोषित हुआ है, यह सन्तोष का विषय है।—पुस्तक की भूमिका से…

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Description

पंजाबी की समकालीन कहानियाँ –
कहानी की उम्र मनुष्य के, मानव सभ्यता के जन्म और विकास के साथ ही शुरू होती है। प्रत्येक इतिहास एक कहानी ही तो कह रहा है। संसार, देश, प्रान्त से सिमटकर मानव मन समाज या घर परिवार की बात करता है तो वह कहानी का सहारा लेता है। विश्व कथा पर भारतीय कहानी की तरह पंजाबी कहानी की भी रोचक दास्तान है। और फिर समकालीन पंजाबी ने तो देश-देशान्तर में अपने नाट्य रूपान्तर, धारावाही सीरियलों के रूप में भी धाक जमायी है। कथा-कहानी, लघुकथा अथवा लम्बी कहानी या उपन्यासिका के रूप में हमारे कथाकारों ने भारतीय समकालीन कहानी से टक्कर ली है और बड़े या छोटे, पुराने या नये रचनाकारों की कहानियाँ उर्दू, अंग्रेज़ी से आगे, विश्व की अन्यान्य भाषाओं में भी गूँज पैदा करती रही हैं।
अनूदित, रूपान्तरित होकर विश्व कथा, भारतीय कहानियाँ पंजाबी में उभरने से हमारे लेखकों-सम्पादकों-आलोचकों की चेतना विकसित हुई तो उन्होंने अपनी भाषा, माँ-बोली पंजाबी के लिए भी बदलाव की रचना दिखाई, परिणामतः लोकप्रिय, श्रेष्ठ, मनपसन्द कथाएँ, यादगारी चुनिन्दा कहानियों के संकलन भी तैयार होने लगे।
समकालीनता का पैमाना सामने आया तो स्थिति, समाज, वातावरण, मानव-मन के साथ शिल्प, शैली का विकास भी हमने देखा। भाषा के तेवर, मुहावरे की चमक और वाक्य-विन्यास तक चौंकाने लगे।
मात्र सौ—सवा सौ साल के पंजाबी कहानी के इतिहास में विविधता ही नहीं चार-पाँच पीढ़ियों का कथा संवाद भी उभरने लगता है।
भारतीय कहानी के सामने आज पंजाबी कहानी, मात्र कथ्य के आधार पर ही नहीं, शिल्प, शैली, मुहावरे अथवा संरचना के हर पड़ाव पर सशक्त और सार्थक सिद्ध हुई है। साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली के अधिकाधिक पुरस्कार, विगत वर्षों में कथा-संग्रहों के लिए ही घोषित हुए हैं। पंजाबी का सबसे बड़ा विदेशी (प्रवासी) साहित्यिक पुरस्कार जतिन्दर हान्स के कथा संग्रह के लिए घोषित हुआ है, यह सन्तोष का विषय है।—पुस्तक की भूमिका से…

About Author

चयन व अनुवादक - प्रो. फूलचन्द मानव - शिक्षा: एम.ए. हिन्दी, पंजाबी (स्वर्ण पदक), एम.फिल. सर्वोत्कृष्ट, पीएच.डी. हिन्दी, स्नातकोत्तर पत्रकारिता। प्रकाशित कृतियाँ: कविता संग्रह—एक ही जगह, एक गीत मौसम, कमज़ोर कठोर सपने, आईने इधर भी हैं; कहानी संग्रह- अंजीर (हिन्दी), कथानगर (पंजाबी), कथानगरी (गुजराती); मोहाली से मेलबर्न (यात्रा-वृतान्त)। दुष्यन्त कुमार और साये में धूप। पंजाबी से हिन्दी अनुवाद: बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य और चौथी दिशा (साहित्य अकादेमी), धूप और दरिया, कौरव सभा, अन्नदाता (भारतीय ज्ञानपीठ), किसपहिं खोल्हू गंठडी सन्तोख सिंह धीर की कहानियाँ, एन.बी.टी. और तेरह अन्य कृतियाँ। हिन्दी से पंजाबी अनुवाद : चीक कोरे काग़ज़ विच, सुदामा दे चौल, अमृत दी खोज और सात अन्य कृतियाँ। 1962 से लेखन, प्रकाशन। पुरस्कार सम्मान: उ.प्र. हिन्दी संस्थान से सौहार्द सम्मान (मा.सं.वि. मन्त्रालय, 2001), केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, राष्ट्रीय कविता पुरस्कार, शिरोमणि हिन्दी पुरस्कार, भाषा विभाग, पंजाब सरकार (2006), साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार (2014) इंडियन क्रेसेंट सोसायटी ऑस्ट्रेलिया, सिडनी द्वारा सम्मानित (2019)। कार्यक्षेत्र : प्राथमिक स्कूल अध्यापक, उद्योग निदेशालय पंजाब में (सहायक सम्पादक पंजाबी)। जागृति मासिक का सम्पादन 1976 तक, पूर्व मुख्यमन्त्री ज्ञानी जैल सिंह के साथ पी. आर. ओ. हिन्दी, प्राध्यापक राजकीय कॉलेज, बठिंडा और मोहाली, 2003 में सेवानिवृत्त। यात्रा: आस्ट्रेलिया, सिंगापुर और पाकिस्तान सहित कई देशों में यात्राएँ। आकाशवाणी द्वारा 1967 से, दूरदर्शन पर 1976 से प्रसारण।

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