Pt. Suryanarayan Vyas : Pratinidhi Rachnayen

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Pt. Suryanarayan Vyas; Shri Rajshekhar Vyas
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Pt. Suryanarayan Vyas; Shri Rajshekhar Vyas
Language:
Hindi
Format:
Hardback

525

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 562 g
Book Type

ISBN:
SKU 9789353226213 Categories , Tag
Page Extent:
336

साहित्य, संस्कृत, ज्योतिष, इतिहास, पुरातत्त्व और व्यंग्य के अंतर-राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान् पद्मभूषण पं. सूर्यनारायण व्यास ने उज्जयिनी के गौरवशाली अतीत को पुनर्प्रतिष्ठित करने के लिए अपने जीवन की साँस-साँस समर्पित कर दी। विक्रम के शौर्य और कालिदास की सौंदर्य कल्पना को युग की नई चेतना से संयोजित करने के लिए उन्होंने अपने जीवन का उत्सर्ग कर दिया। विक्रम विश्वविद्यालय, विक्रम कीर्तिमंदिर और कालिदास स्मृतिमंदिर उनके सपनों के साकार ज्योतिर्बिंब हैं। पंडितजी के चुने हुए निबंधों का यह संकलन उनकी साधना, शोध-प्रवृत्ति, संघर्ष, उल्लास और सर्जनात्मक प्रतिभा का संपूर्ण प्रतिनिधित्व करता है। इन निबंधों में एक साधक की सात दशक की सांस्कृतिक यात्रा के पद-चिह्न अंकित हैं। भारतीय संस्कृति, इतिहास, साहित्य, ज्योतिष आदि विभिन्न आयामों का व्यासजी ने मौलिक ढंग से, नई सूझ-बूझ के साथ पर्यवेक्षण किया है। वे एक साथ ज्योतिर्विद् तत्त्व-चिंतक, इतिहास-संशोधक, साहित्यकार, पत्रकार, कर्मठ कार्यकर्ता, उग्र क्रांतिकारी, हिमशीतल मनुष्य और आत्मानुशासित व्यक्ति थे। अखिल भारतीय कालिदास समारोह के जनक और विक्रम विश्वविद्यालय के संस्थापक पं. व्यास अनेक विधाओं के विदग्ध विद्वान् थे। उनकी रचनावली आए तो एक-दो नहीं 25 खंड भी कम पड़ें, मगर गागर में सागर उनकी सभी विधाओं का रसास्वादन है—उनकी प्रतिनिधि रचनाओं का यह संचयन|

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Pt. Suryanarayan Vyas : Pratinidhi Rachnayen”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

साहित्य, संस्कृत, ज्योतिष, इतिहास, पुरातत्त्व और व्यंग्य के अंतर-राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान् पद्मभूषण पं. सूर्यनारायण व्यास ने उज्जयिनी के गौरवशाली अतीत को पुनर्प्रतिष्ठित करने के लिए अपने जीवन की साँस-साँस समर्पित कर दी। विक्रम के शौर्य और कालिदास की सौंदर्य कल्पना को युग की नई चेतना से संयोजित करने के लिए उन्होंने अपने जीवन का उत्सर्ग कर दिया। विक्रम विश्वविद्यालय, विक्रम कीर्तिमंदिर और कालिदास स्मृतिमंदिर उनके सपनों के साकार ज्योतिर्बिंब हैं। पंडितजी के चुने हुए निबंधों का यह संकलन उनकी साधना, शोध-प्रवृत्ति, संघर्ष, उल्लास और सर्जनात्मक प्रतिभा का संपूर्ण प्रतिनिधित्व करता है। इन निबंधों में एक साधक की सात दशक की सांस्कृतिक यात्रा के पद-चिह्न अंकित हैं। भारतीय संस्कृति, इतिहास, साहित्य, ज्योतिष आदि विभिन्न आयामों का व्यासजी ने मौलिक ढंग से, नई सूझ-बूझ के साथ पर्यवेक्षण किया है। वे एक साथ ज्योतिर्विद् तत्त्व-चिंतक, इतिहास-संशोधक, साहित्यकार, पत्रकार, कर्मठ कार्यकर्ता, उग्र क्रांतिकारी, हिमशीतल मनुष्य और आत्मानुशासित व्यक्ति थे। अखिल भारतीय कालिदास समारोह के जनक और विक्रम विश्वविद्यालय के संस्थापक पं. व्यास अनेक विधाओं के विदग्ध विद्वान् थे। उनकी रचनावली आए तो एक-दो नहीं 25 खंड भी कम पड़ें, मगर गागर में सागर उनकी सभी विधाओं का रसास्वादन है—उनकी प्रतिनिधि रचनाओं का यह संचयन|

About Author

भगवान् श्रीकृष्ण व बलराम के विद्यागुरु महर्षि संदीपनि वंशोत्पन्न पं. सूर्यनारायण व्यास (जन्म 2 मार्च, 1902) संस्कृत, ज्योतिष, इतिहास, साहित्य, व पुरातत्त्व के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान् थे। उज्जयिनी के विक्रम विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय कालिदास समारोह, विक्रम कीर्तिमंदिर, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान और कालिदास अकादेमी के संस्थापक पं. व्यास ‘विक्रम’ मासिक के भी वर्षों संचालक-संपादक रहे। राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी. लिट्. और साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा ‘साहित्य वाचस्पति’ की उपाधि से विभूषित, अनेक भाषाओं के मर्मज्ञ पं. व्यास पचास से अधिक ग्रंथों के लेखक-संपादक थे। वे जितने प्रखर चिंतक व मनीषी थे, उतने ही कर्मठ क्रांतिकारी भी। राष्ट्रीय आंदोलन में उन्होंने जेल-यातनाएँ सहीं और नजरबंद भी रहे। स्वतंत्रता उपरांत राष्ट्र से उन्होंने किसी प्रकार की कोई पेंशन या ताम्रपत्र भी नहीं स्वीकार किया। अंग्रेजी को अनंतकाल तक जारी रखने के विधेयक के विरोध में उन्होंने 1958 में प्राप्त अपना पद्मभूषण भी 1967 में लौटा दिया था। इतिहास, पुरातत्त्व, साहित्य, संस्कृति, संस्मरण, कला, व्यंग्य विधा हो या यात्रा-साहित्य, उनके ग्रंथ—विक्रम स्मृति ग्रंथ, सागर-प्रवास, वसीयतनामा, यादें, विश्वकवि कालिदास मानक ग्रंथ माने जाते हैं। अनेक राजा-महाराजाओं, राजनेताओं, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से तथा देश-विदेश में सम्मानित पं. व्यास 22 जून, 1976 को स्वर्गारोहण कर गए|

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Pt. Suryanarayan Vyas : Pratinidhi Rachnayen”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED