SalePaperback
Premchand Ke Phate Joote
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
हरिशंकर परसाई
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
हरिशंकर परसाई
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹495 ₹347
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789355183811
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
324
प्रेमचन्द के फटे जूते –
हिन्दी के प्रख्यात व्यंग्यकार, कथाकार एवं लेखक हरिशंकर परसाई (1924-1995) की व्यंग्य-रचनाएँ स्वतन्त्र भारत का असली चेहरा हैं। उनकी रचनाओं को देखने पर पता चलेगा कि वे स्वतन्त्रता के बाद भारतीय समाज को गढ़ने और तोड़ने वाली सारी घटनाओं को तीव्रता से देख-परख रहे थे। वे भीतरी पोल को समझ रहे थे और साथ ही उन सभी मामलातों में सजग और स्फूर्त थे। उनके लेखन ने कभी धोखा नहीं खाया। उनके जैसा रचनात्मक जोख़िम उठाने वाले लेखक समकालीन समाज में विरले थे।
‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ परसाई का प्रतिनिधि संचयन है। इन रचनाओं में परसाई ने अपने युग के समाज का, उसकी बहुविध विसंगतियों, अन्तर्विरोधों और मिथ्याचारों का उद्घाटन किया है। उनकी रचनाओं में हँसी से बढ़कर जीवन की तीखी आलोचना है।
हरिशंकर परसाई को दिवंगत हुए अब जबकि काफ़ी समय गुज़र गया है, स्पष्ट रूप से उनकी रचनाओं पर बहुत गम्भीर विमर्श हो सकता है।
भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनके अन्य दो व्यंग्य-संग्रह हैं— ‘सदाचार का तावीज़’ और ‘जैसे उनके दिन फिरे’। दोनों अद्वितीय।
Be the first to review “Premchand Ke Phate Joote” Cancel reply
Description
प्रेमचन्द के फटे जूते –
हिन्दी के प्रख्यात व्यंग्यकार, कथाकार एवं लेखक हरिशंकर परसाई (1924-1995) की व्यंग्य-रचनाएँ स्वतन्त्र भारत का असली चेहरा हैं। उनकी रचनाओं को देखने पर पता चलेगा कि वे स्वतन्त्रता के बाद भारतीय समाज को गढ़ने और तोड़ने वाली सारी घटनाओं को तीव्रता से देख-परख रहे थे। वे भीतरी पोल को समझ रहे थे और साथ ही उन सभी मामलातों में सजग और स्फूर्त थे। उनके लेखन ने कभी धोखा नहीं खाया। उनके जैसा रचनात्मक जोख़िम उठाने वाले लेखक समकालीन समाज में विरले थे।
‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ परसाई का प्रतिनिधि संचयन है। इन रचनाओं में परसाई ने अपने युग के समाज का, उसकी बहुविध विसंगतियों, अन्तर्विरोधों और मिथ्याचारों का उद्घाटन किया है। उनकी रचनाओं में हँसी से बढ़कर जीवन की तीखी आलोचना है।
हरिशंकर परसाई को दिवंगत हुए अब जबकि काफ़ी समय गुज़र गया है, स्पष्ट रूप से उनकी रचनाओं पर बहुत गम्भीर विमर्श हो सकता है।
भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनके अन्य दो व्यंग्य-संग्रह हैं— ‘सदाचार का तावीज़’ और ‘जैसे उनके दिन फिरे’। दोनों अद्वितीय।
About Author
हरिशंकर परसाई -
(सन् 1924-1995)
हिन्दी जगत के प्रख्यात व्यंग्यकार-कथाकार।
शिक्षा: एम.ए. तक। कुछ वर्ष अध्यापन कार्य किया मगर 'मुदर्रिसी' में मन रमा नहीं। और तब लम्बे समय तक अनवरत स्वतन्त्र लेखन।
लेखन: जैसे उनके दिन फिरे, हँसते हैं रोते हैं, तब की बात (कथा-संग्रह); तट की खोज, ज्वाला और जल (लघु उपन्यास); रानी नागफनी की कहानी (व्यंग्य उपन्यास); भूत के पाँव पीछे (निबन्ध संग्रह); सदाचार का तावीज़ (व्यंग्य कथाएँ) इत्यादि।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Premchand Ke Phate Joote” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.