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Premchand Ke Aayam (HB)
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
A. Arvindakshan
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
A. Arvindakshan
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹750 ₹600
Save: 20%
In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788183610827
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
प्रायः प्रेमचन्द के पाठक उन्हें यथार्थवाद के प्रवर्तक और किसानी जीवन के चितेरा मानते हैं। सही भी है। यह प्रेमचन्द का एक आयाम है। किन्तु प्रेमचन्द द्वारा प्रवर्तित यथार्थवाद सिर्फ़ एक साहित्यिक प्रवृत्ति नहीं है। उनका यथार्थवाद भारतीय इतिहास के यथार्थ से उद् भूत एक विराट पहचान है, जिसको सरसरी दृष्टि से देखकर साहित्यिक प्रवृत्ति के रूप में परिभाषित करना इतिहास को अनदेखा करना है। अतः यह आवश्यक है कि उनकी यथार्थ-दृष्टि के मूल में स्थित इतिहास के विस्तृत फलक को देखें और परखें। प्रेमचन्द सम्बन्धी इस अध्ययन का मूल उद्देश्य यही है, जिसमें सिर्फ़ प्रेमचन्द को ही नहीं पहचाना गया है बल्कि उनके समय ने भी मूर्तरूप ले लिया है। इस अर्थ में प्रेमचन्द का आस्वादन समान्तरतः संस्कृति का गम्भीर विश्लेषण भी है।
प्रेमचन्द की विपुल सम्भावनाओं को दृष्टि में रखकर ही इस ग्रन्थ का शीर्षक ‘प्रेमचन्द के आयाम’ रखा गया है। इस ग्रन्थ की विशेषता यह है कि इसमें भारत के विभिन्न गाँवों, क़स्बों, शहरों और महानगरों के लेखकों के आलेख हैं। इसमें हिन्दी के प्रतिष्ठित समीक्षकों के साथ-साथ उभरते लेखकों के विचार भी शामिल हैं। प्रेमचन्द के बहाने अपने समय का पुनर्मूल्यांकन इन आलेखों का अभीष्ट है।
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Description
प्रायः प्रेमचन्द के पाठक उन्हें यथार्थवाद के प्रवर्तक और किसानी जीवन के चितेरा मानते हैं। सही भी है। यह प्रेमचन्द का एक आयाम है। किन्तु प्रेमचन्द द्वारा प्रवर्तित यथार्थवाद सिर्फ़ एक साहित्यिक प्रवृत्ति नहीं है। उनका यथार्थवाद भारतीय इतिहास के यथार्थ से उद् भूत एक विराट पहचान है, जिसको सरसरी दृष्टि से देखकर साहित्यिक प्रवृत्ति के रूप में परिभाषित करना इतिहास को अनदेखा करना है। अतः यह आवश्यक है कि उनकी यथार्थ-दृष्टि के मूल में स्थित इतिहास के विस्तृत फलक को देखें और परखें। प्रेमचन्द सम्बन्धी इस अध्ययन का मूल उद्देश्य यही है, जिसमें सिर्फ़ प्रेमचन्द को ही नहीं पहचाना गया है बल्कि उनके समय ने भी मूर्तरूप ले लिया है। इस अर्थ में प्रेमचन्द का आस्वादन समान्तरतः संस्कृति का गम्भीर विश्लेषण भी है।
प्रेमचन्द की विपुल सम्भावनाओं को दृष्टि में रखकर ही इस ग्रन्थ का शीर्षक ‘प्रेमचन्द के आयाम’ रखा गया है। इस ग्रन्थ की विशेषता यह है कि इसमें भारत के विभिन्न गाँवों, क़स्बों, शहरों और महानगरों के लेखकों के आलेख हैं। इसमें हिन्दी के प्रतिष्ठित समीक्षकों के साथ-साथ उभरते लेखकों के विचार भी शामिल हैं। प्रेमचन्द के बहाने अपने समय का पुनर्मूल्यांकन इन आलेखों का अभीष्ट है।
About Author
ए. अरविंदाक्षन
प्रमुख कृतियाँ : ‘बाँस का टुकड़ा’, ‘घोड़ा’, ‘आसपास’, ‘सपने सच होते हैं’, ‘राग लीलावती’, ‘असंख्य ध्वनियों के बीच’, ‘भरा-पूरा घर’, ‘पतझड़ का इतिहास’, ‘राम की यात्रा’, ‘जंगल नज़दीक आ रहा है’ (कविता-संग्रह); ‘महादेवी वर्मा के रेखाचित्र’, ‘अज्ञेय की उपन्यास-यात्रा’, ‘आधारशिला’, ‘समकालीन हिन्दी कविता’, ‘कविता का थल और काल’, ‘कविता सबसे सुन्दर सपना है’, ‘रचना के विकल्प’, ‘साहित्य’, ‘संस्कृति और भारतीयता’, ‘समकालीन कविता की भारतीयता’, ‘प्रेमचन्द : भारतीय कथाकार’, ‘कविता की संस्कृति’, ‘शब्द की यात्रा’ (आलोचना); ‘आधुनिक मलयालम कविता’, ‘आकलन’, ‘कमपेरेटिव इंडियन लिटरेचर’, ‘कथाशिल्पी गिरिराज किशोर’, ‘कवितयुटे पुतिय मुखम’, ‘बहुरंगी कविताएँ’, ‘कविता का यथार्थ’, ‘निराला : एक पुनर्मूल्यांकन’, ‘प्रेमचन्द के आयाम’, ‘महादेवी वर्मा’, ‘नागार्जुन’, ‘कविता अज्ञेय’, ‘हमारे समय में मुक्तिबोध’, ‘साइंस कम्युनिकेशन’, ‘कविता आज’, आलोचना और संस्कृति’, ‘बुनियादी तालीम’, ‘विवेकतिन्टे’, ‘सौन्दर्यम्’, ‘एम.के. सानुविन्टे क्रिटिकल’ (सम्पादन); ‘भारत पर्यटनम’, ‘एवम् इन्द्रजीत्’, ‘कोमल गांधार’, ‘प्रेम एक एलबम’, ‘कोच्ची के दरख़्त’, ‘अक्षर’, ‘सर्वेश्वरदयाल सक्सेनयुटे कवितकल’, ‘अमेरिका : एक अद् भुत दुनिया’, ‘मलयालम की स्त्री-कविता’, ‘एकीलुम चिलतु वकियाकुम’, ‘आधुनिक हिन्दी कविता’, ‘असमिया कथकल’, ‘नाटक जारी है’ आदि (अनुवाद)।
सम्मान : बीस से अधिक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार; साहित्य सम्मलेन, प्रयाग का सर्वोच्च सम्मान ‘साहित्य वाचस्पति’ से विभूषित। महात्मा गांधी अं.हिं.वि.वि., वर्धा के प्रति-उपकुलपति रहे हैं।
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