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Prem-Rog Tatha Anya Kahaniyan
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
कामना चन्द्रा
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
कामना चन्द्रा
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹250 ₹175
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ISBN:
SKU
9789355185785
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
160
कामना चन्द्रा जी ने ये कहानियाँ मेरी फ़िल्मों में लिखने से बहुत पहले लिखी थीं। जीवन को देखने का कामना जी का अपना एक विशिष्ट नज़रिया है जिसमें भावनाएँ हैं, संवेदनशीलता है, रिश्तों की अहमियत है। उनकी ये कहानियाँ जीवन के इन्हीं विविध रंगों को अभिव्यक्त करती हैं। कामना जी के लेखन की यह विशेषता है कि उनका व्यक्तित्व उनकी कहानियों से झलकता है। इस संग्रह की कहानियों में मनुष्य और मनुष्य के बीच के रिश्तों, मनुष्य और समाज के बीच के अन्तर्द्वन्द्वों को जिस गहराई और सूक्ष्मता से अभिव्यक्त किया है वह अद्भुत है। इन कहानियों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और मानवीय सम्बन्धों जैसे जटिल विषयों पर लिखने के बावजूद इन कहानियों में दुरूहता नहीं आने दी गयी है। कहानीकार की यह विशेषता है कि वह कहानियों में पठनीयता, मनोरंजकता और नाटकीयता का निर्वाह भलीभाँति कर पाया है। यही कारण है कि उनकी ये कहानियाँ पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं और लम्बे समय तक याद रह जाती हैं।
-विधु विनोद चोपड़ा
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Description
कामना चन्द्रा जी ने ये कहानियाँ मेरी फ़िल्मों में लिखने से बहुत पहले लिखी थीं। जीवन को देखने का कामना जी का अपना एक विशिष्ट नज़रिया है जिसमें भावनाएँ हैं, संवेदनशीलता है, रिश्तों की अहमियत है। उनकी ये कहानियाँ जीवन के इन्हीं विविध रंगों को अभिव्यक्त करती हैं। कामना जी के लेखन की यह विशेषता है कि उनका व्यक्तित्व उनकी कहानियों से झलकता है। इस संग्रह की कहानियों में मनुष्य और मनुष्य के बीच के रिश्तों, मनुष्य और समाज के बीच के अन्तर्द्वन्द्वों को जिस गहराई और सूक्ष्मता से अभिव्यक्त किया है वह अद्भुत है। इन कहानियों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और मानवीय सम्बन्धों जैसे जटिल विषयों पर लिखने के बावजूद इन कहानियों में दुरूहता नहीं आने दी गयी है। कहानीकार की यह विशेषता है कि वह कहानियों में पठनीयता, मनोरंजकता और नाटकीयता का निर्वाह भलीभाँति कर पाया है। यही कारण है कि उनकी ये कहानियाँ पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं और लम्बे समय तक याद रह जाती हैं।
-विधु विनोद चोपड़ा
About Author
कामना चन्द्रा का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ शिक्षा और पुस्तकों को माँ सरस्वती का आशीर्वाद माना जाता था। उनके अध्यापक पिता और गृहिणी माँ ने अपनी तीन बेटियों और बेटे को सदैव यही सिखाया कि यदि जीवन में कुछ करना है, आगे बढ़ना है तो लक्ष्य प्राप्ति का एकमात्र मार्ग है-शिक्षा, ज्ञान अर्जन के प्रति आस्था, श्रद्धा और विश्वास। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी, अंग्रेज़ी साहित्य में बी.ए. और फिर हिन्दी साहित्य में एम.ए. करने के पश्चात् विवाह और घर-गृहस्थी की ज़िम्मेदारी उठाने के साथ ही, अपने अनुभवों और हृदय की भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए उन्होंने कलम उठा ली और लिखना शुरू कर दिया। 'सरिता', 'सारिका', 'फेमिना', 'धर्मयुग' आदि पत्रिकाओं में लेख, कहानियाँ प्रकाशित हुए। इसके साथ ही ऑल इंडिया रेडियो, नयी दिल्ली के लिए वार्ता, कहानी और नाटक लिखने का सिलसिला भी चलता रहा। जब उनके पति श्री नवीन चन्द्रा का तबादला दिल्ली से मुम्बई हुआ तब जैसे उनके प्रमोशन के साथ कामना के काम को भी नयी दिशा मिल गयी। ऑल इंडिया रेडियो, मुम्बई के लिए नाटक, कहानी, वार्ता, लिखने के अलावा 'विविध भारती' के लोकप्रिय कार्यक्रम 'हवामहल’ के लिए अनेक नाटक लिखे। 'मुम्बई दूरदर्शन' के बहुत-से कार्यक्रमों में भाग लेने का मौक़ा मिला। इसके साथ ही ‘प्राइड एंड प्रेजूडिस' उपन्यास पर आधारित 'तृष्णा' और 'कशिश' धारावाहिक लिखे, जिनका प्रसारण ‘मुम्बई दूरदर्शन’ द्वारा किया गया। इसके बाद ‘कुछ इस तरह', 'औलाद', 'तमन्ना', 'वो रहने वाली महलों की' आदि धारावाहिक टी.वी. पर प्रसारित हुए। कामना को इतना प्रोत्साहन मिला कि सोचने लगी... क्या मेरी कहानी पर फ़िल्म बन सकती है? कहते हैं कभी-कभी सपने सच हो जाते हैं। राज कपूर जी को उनकी एक कहानी इतनी अच्छी लगी कि उस पर फ़िल्म बनाने का निर्णय ले लिया। 'प्रेम रोग' की लोकप्रियता और सफलता के बाद यश चोपड़ा की 'चाँदनी' की धूम ने कामना चन्द्रा के लेखन को पंख दे दिये। विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म '1942 : ए लव स्टोरी' और 'करीब' के लिए कहानी के अलावा पटकथा और संवाद भी लिखे। अरुणा राजे की फ़िल्म 'भैरवी' की कहानी, पटकथा तथा संवाद लिखने का अवसर मिला तथा तनुजा चन्द्रा के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'क़रीब-क़रीब सिंगल' कामना के लिखे एक रेडियो प्ले पर आधारित है।
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