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Prem Kabootar – Hindi
Publisher:
Hind Yugm
| Author:
Manav Kaul
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Hind Yugm
Author:
Manav Kaul
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹199 ₹119
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In stock
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1-4 Days
In stock
Weight | 120 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Categories: PIRecommends, Uncategorized
Page Extent:
160
मैं नास्तिक हूँ। कठिन वक़्त में यह मेरी कहानियाँ ही थी जिन्होंने मुझे सहारा दिया है। मैं बचा रह गया अपने लिखने के कारण। मैं हर बार तेज़ धूप में भागकर इस बरगद की छाँव में अपना आसरा पा लेता। इसे भगोड़ापन भी कह सकते हैं, पर यह एक अजीब दुनिया है जो मुझे बेहद आकर्षित करती रही है। इस दुनिया में मुझे अधिकतर हारे हुए पात्र बहुत आकर्षित करते रहे हैं। हारे हुए पात्रों के भीतर एक नाटकीय संसार छिपा हुआ होता जबकि जीत की कहानियाँ मुझे हमेशा बहुत उबा देने वाली लगती हैं। जब भी मैंने अपना कोई लिखा पूरा किया है उसकी मस्ती मेरी चाल में बहुत समय तक बनी रही है।
अगर हम प्रेम पर बात करें तो मैंने उसे पाया अपने जीवन में है पर उसे समझा अपने लिखे में है।-मानव कौल
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Description
मैं नास्तिक हूँ। कठिन वक़्त में यह मेरी कहानियाँ ही थी जिन्होंने मुझे सहारा दिया है। मैं बचा रह गया अपने लिखने के कारण। मैं हर बार तेज़ धूप में भागकर इस बरगद की छाँव में अपना आसरा पा लेता। इसे भगोड़ापन भी कह सकते हैं, पर यह एक अजीब दुनिया है जो मुझे बेहद आकर्षित करती रही है। इस दुनिया में मुझे अधिकतर हारे हुए पात्र बहुत आकर्षित करते रहे हैं। हारे हुए पात्रों के भीतर एक नाटकीय संसार छिपा हुआ होता जबकि जीत की कहानियाँ मुझे हमेशा बहुत उबा देने वाली लगती हैं। जब भी मैंने अपना कोई लिखा पूरा किया है उसकी मस्ती मेरी चाल में बहुत समय तक बनी रही है।
अगर हम प्रेम पर बात करें तो मैंने उसे पाया अपने जीवन में है पर उसे समझा अपने लिखे में है।-मानव कौल
About Author
कश्मीर के बारामूला में पैदा हुए मानव कौल की परवरिश मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुई। 2004 में 'अरण्य’ नाम के एक ख़्वाब का जन्म हुआ। मानव के क़ाबिल निर्देशन में 'शक्कर के पाँच दाने’ और 'पार्क’ जैसे नाटकों के साथ 'अरण्य’ ने तेज़ी से देश-विदेश के थिएटर सर्किट में माक़ूल जगह बनाई। 'पीले स्कूटर वाला आदमी’ नाटक में मानव ने अपने लेखन में उस काव्यात्मक लहज़े और अंदाज़ को अपनाया जिसकी तुलना आलोचकों ने निर्मल वर्मा और विनोद कुमार शुक्ल की लेखन-शैली से की। 2003 में 'जजंत्रम ममंत्रम’ से फ़िल्मी करियर की शुरुआत हुई। 2013 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'काई पो चे’ में इनके अभिनय को ख़ूब सराहना मिली। 2016 में 'वज़ीर’ और 'जय गंगाजल’ में बड़े पर्दे पर इनके अभिनय की ख़ूब चर्चा रही। इनकी पहली किताब 'ठीक तुम्हारे पीछे’ साल 2016 की सर्वाधिक पसंद की गई कहानियों की किताब रही। यह इनकी दूसरी किताब है।
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