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Prem Gilhari Dil Akhrot
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
बाबूषा कोहली
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
बाबूषा कोहली
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
9789355180117
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
128
प्रेम गिलहरी दिल अखरोट –
आधुनिक समय और संवेदना के इस दौर में हमारी इन्द्रियाँ हमेशा कुछ नया जानना और पाना चाहती हैं। अनुभव की अगाध गहराई में पहुँचकर हर शब्द हमारे लिए एक नयी प्रतीति की आमद बन जाता है। हिन्दी के वैविध्यपूर्ण संसार में यों तो कवियों की असंख्य तादाद है, पर कुछ ऐसे कवि अवश्य हैं जो कविता का एक नया रूपाकार गढ़ रहे हैं। बाबुषा कोहली ऐसी ही कवयित्री हैं जिनकी कविताओं में नयी प्रतीतियों, नये साँचे, नये भाव-बोध, नयी बिम्ब-रचना, अनुभूति, कथ्य और संवेदना की ताज़गी है जो इधर के युवा कवियों में बहुत कम दीख पड़ती है।
‘प्रेम गिलहरी दिल अखरोट’ की कविताएँ प्रेम के धागे से बुनी हुई लगती हैं किन्तु इनमें जीवन की विविधताओं का संगीत गूँजता है, एक ऐसी सिम्फनी गूँजती है जो सुख से आह्लादित और दुख से विगलित कर देती है। ये कविताएँ सीधी-सपाट और सरल कहे जाने के अभ्यस्त जुमलों और कविताई की किसी भी प्रविधि के संक्रमण से बचना चाहती हैं। उपसर्ग और प्रत्ययों की तरह सात फेरे लेने का अनुरोध करती हुई कवयित्री पुरुष सत्ता को किसी समानार्थी शब्द की तरह जीवन भर सहेजती हुई स्त्री-विमर्श को नये स्वर देती है।
कहना न होगा कि ये कविताएँ माथे पर रखी ठण्डी पट्टियों की मानिन्द हैं जो उस पर मुट्ठी भर चाँद की धुन लीपती हैं और उसकी तपन बुहारती हैं। सान्द्रता, अनुभव की सघनता, भाषाई नवीनता और बाँकपन के गुणसूत्रों से सम्पृक्त बाबुषा कोहली के यहाँ निश्चय ही कविता का एक ऐसा संसार खुलता हुआ दिखाई देगा जो युवा कवयित्रियों में अभी तक अलक्षित रहा है।—ओम निश्चल
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Description
प्रेम गिलहरी दिल अखरोट –
आधुनिक समय और संवेदना के इस दौर में हमारी इन्द्रियाँ हमेशा कुछ नया जानना और पाना चाहती हैं। अनुभव की अगाध गहराई में पहुँचकर हर शब्द हमारे लिए एक नयी प्रतीति की आमद बन जाता है। हिन्दी के वैविध्यपूर्ण संसार में यों तो कवियों की असंख्य तादाद है, पर कुछ ऐसे कवि अवश्य हैं जो कविता का एक नया रूपाकार गढ़ रहे हैं। बाबुषा कोहली ऐसी ही कवयित्री हैं जिनकी कविताओं में नयी प्रतीतियों, नये साँचे, नये भाव-बोध, नयी बिम्ब-रचना, अनुभूति, कथ्य और संवेदना की ताज़गी है जो इधर के युवा कवियों में बहुत कम दीख पड़ती है।
‘प्रेम गिलहरी दिल अखरोट’ की कविताएँ प्रेम के धागे से बुनी हुई लगती हैं किन्तु इनमें जीवन की विविधताओं का संगीत गूँजता है, एक ऐसी सिम्फनी गूँजती है जो सुख से आह्लादित और दुख से विगलित कर देती है। ये कविताएँ सीधी-सपाट और सरल कहे जाने के अभ्यस्त जुमलों और कविताई की किसी भी प्रविधि के संक्रमण से बचना चाहती हैं। उपसर्ग और प्रत्ययों की तरह सात फेरे लेने का अनुरोध करती हुई कवयित्री पुरुष सत्ता को किसी समानार्थी शब्द की तरह जीवन भर सहेजती हुई स्त्री-विमर्श को नये स्वर देती है।
कहना न होगा कि ये कविताएँ माथे पर रखी ठण्डी पट्टियों की मानिन्द हैं जो उस पर मुट्ठी भर चाँद की धुन लीपती हैं और उसकी तपन बुहारती हैं। सान्द्रता, अनुभव की सघनता, भाषाई नवीनता और बाँकपन के गुणसूत्रों से सम्पृक्त बाबुषा कोहली के यहाँ निश्चय ही कविता का एक ऐसा संसार खुलता हुआ दिखाई देगा जो युवा कवयित्रियों में अभी तक अलक्षित रहा है।—ओम निश्चल
About Author
बाबुषा कोहली -
जन्म:6 फरवरी, 1979 कटनी (मध्य प्रदेश)।
शिक्षा: मानकुँवर बाई कॉलेज, जबलपुर से विज्ञापन स्नातक। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से अंग्रेज़ी, हिन्दी व इतिहास में स्नातकोत्तर।
प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ और गद्य प्रकाशित। कविता-संग्रह 'प्रेम गिलहरी दिल अखरोट' भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित।
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