Prem Aur Shanti ka Marg

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dadi Janki
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Dadi Janki
Language:
Hindi
Format:
Hardback

199

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14

एक आध्यात्मिक गुरु या नेता वही होता है, जिसका एक रूपांतरणपरक मान हो। आप उन लोगों को पहचान सकते हैं, क्योंकि वे केवल अपने अस्तित्व द्वारा आपके जीवन में बदलाव ला पाए हैं। दादी जानकी आत्म-ज्ञानी हैं। वे किसी के साथ झगड़ा या विवाद नहीं करतीं; वे तो चलती-फिरती शांति हैं। उनकी विशिष्टता यही है कि वे परम तत्त्व की अवस्था में रहती हैं। उस अवस्था से कोई बाहर नहीं आ सकता है, क्योंकि तब उसके पास कोई विकल्प नहीं रहता है। हम जब इस परम अवस्था में पहुँच जाते हैं, तब सबकुछ बदल जाता है। प्रेम और शांति का मार्ग हमारे सोचने के लिए एक अनूठा रास्ता बताती है, जिसने दादी जानकी को इस लक्ष्य तक पहुँचाया है। यह एक ऐसा दर्पण है, जो हमें यह दिखाता है कि हम क्या हैं और क्या बन सकते हैं। यह सबको आगे बढ़ने में मदद करेगी। जीवन के सत्य को उद्घाटित कर आध्यात्मिक प्रेम और शांति का मार्ग प्रशस्त करती एक विशिष्ट पुस्तक।.

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Description

एक आध्यात्मिक गुरु या नेता वही होता है, जिसका एक रूपांतरणपरक मान हो। आप उन लोगों को पहचान सकते हैं, क्योंकि वे केवल अपने अस्तित्व द्वारा आपके जीवन में बदलाव ला पाए हैं। दादी जानकी आत्म-ज्ञानी हैं। वे किसी के साथ झगड़ा या विवाद नहीं करतीं; वे तो चलती-फिरती शांति हैं। उनकी विशिष्टता यही है कि वे परम तत्त्व की अवस्था में रहती हैं। उस अवस्था से कोई बाहर नहीं आ सकता है, क्योंकि तब उसके पास कोई विकल्प नहीं रहता है। हम जब इस परम अवस्था में पहुँच जाते हैं, तब सबकुछ बदल जाता है। प्रेम और शांति का मार्ग हमारे सोचने के लिए एक अनूठा रास्ता बताती है, जिसने दादी जानकी को इस लक्ष्य तक पहुँचाया है। यह एक ऐसा दर्पण है, जो हमें यह दिखाता है कि हम क्या हैं और क्या बन सकते हैं। यह सबको आगे बढ़ने में मदद करेगी। जीवन के सत्य को उद्घाटित कर आध्यात्मिक प्रेम और शांति का मार्ग प्रशस्त करती एक विशिष्ट पुस्तक।.

About Author

दादी जानकी वर्ष 1937 में 21 वर्ष की आयु में ब्रह्मकुमारी संस्थान की संस्थापक सदस्या बनीं। उन्होंने पूरे भारत में घूम-घूमकर अनेक ब्रह्मकुमारी सेंटर शुरू किए और लाखों लोगों को उससे जोड़ा। वर्ष 1974 में उन्होंने ब्रह्मकुमारी का पहला अंतरराष्ट्रीय सेंटर लंदन (यू.के.) में खोला। उसके बाद उन्होंने सौ से भी अधिक देशों में ब्रह्मकुमारी सेंटर खोले और ‘ब्रह्मकुमारी’ को विश्व की अग्रणी आध्यात्मिक संस्था बना दिया। वर्ष 2007 में दादी प्रकाशमणि के स्वर्गारोहण के बाद दादी जानकी को ब्रह्मकुमारी का प्रमुख नियुक्त किया गया। आज वे 99 वर्ष की अवस्था में भी करोड़ों लोगों का आध्यात्मिक मार्गदर्शन कर रही हैं।.

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