Pratigya

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
प्रेमचंद
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani Prakashan
Author:
प्रेमचंद
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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प्रतिज्ञा स्त्री जीवन की पीड़ा का मार्मिक दस्तावेज है। इस उपन्यास में रूढ़ियों और ढकोसलों, अनमेल ब्याह की गुत्थियों और विधवा की बेचारगी का जैसा हृदयद्रावक चित्रण मिलता है, वैसा अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है।

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Description

प्रतिज्ञा स्त्री जीवन की पीड़ा का मार्मिक दस्तावेज है। इस उपन्यास में रूढ़ियों और ढकोसलों, अनमेल ब्याह की गुत्थियों और विधवा की बेचारगी का जैसा हृदयद्रावक चित्रण मिलता है, वैसा अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है।

About Author

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के निकट लमही गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी से हुआ और जीवनयापन का अध्यापन से। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक बने। नौकरी के साथ ही पढ़ाई जारी रखी 1910 में इंटर पास किया और 1919 में बी.ए. पास करने के बाद स्कूलों के डिप्टी सब-इंस्पेक्टर बन गए।प्रेमचंद नाम से ‘बड़े घर की बेटी’ उनकी पहली कहानी ‘जमाना’ पत्रिका के दिसंबर 1910 के अंक में प्रकाशित हुई। छह साल तक ‘माधुरी’ पत्रिका का संपादन किया; 1930 में बनारस से अपना मासिक पत्र ‘हंस’ शुरू किया और 1932 के आरंभ में ‘जागरण’ साप्‍ताहिक भी निकाला। उनकी कई कृतियों का अंगेजी, रूसी, जर्मन सहित अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। ‘गोदान’ उनकी कालजयी रचना है। उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हजारों पृष्‍‍ठों के लेख, संपादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि लिखे। लेकिन जो यश-प्रतिष्‍‍ठा उन्हें उपन्यास और कहानियों से मिली, वह अन्य विधाओं से नहीं। मरणोपरांत उनकी कहानियाँ मानसरोवर के कई खंडों में प्रकाशित हुई। स्मृतिशेष: 8 अक्‍तूबर, 1936, बनारस में।

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