Pranayam Saadhna Rahasya

Publisher:
MEERA PRAKASHAN
| Author:
S.P. Verma
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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MEERA PRAKASHAN
Author:
S.P. Verma
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9789386845016 Category
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80

ईश्वर ने हमारे शरीर की सुन्दर संरचना की है। शरीर में अवस्थित समस्त अंगों का कार्य सुचारू रूप से चलता रहे इसके लिए श्वांस-प्रश्वांस का प्रकल्प भी मनुष्य को दिया है। नासिका द्वारा श्वांस लेते हैं तो प्राण रूपी जीवनी शक्ति हमारे शरीर में प्रवाहित होती है और हमारे शरीर के कण-कण को व प्रत्येक अंग को व अंगों से होने वाली प्रक्रियाओं को जीवन्त करती है और हम ऊर्जावान महसूस करते हैं। हम अनुभव करते हैं कि शरीर का कोई अंग निष्क्रिय हो जाये तो मनुश्य फिर भी जीवित रहता है। परन्तु श्वांस-प्रश्वांस को संचालित करने वाला अंग फेफड़ा यदि कार्य करना बन्द कर दे तो हमारे श्वांस-प्रश्वांस का प्रकल्प बाधित होने लगता है। हमारे शरीर में श्वांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया बाधित होने लगती है तो ब्रह्मरूपी प्राण शक्ति भी कमजोर पड़ने लगती है। मनुष्य के जीवन का एक ही मूल मंत्रा अपने शरीर को ऊर्जावान, शक्तिवान, निरोग व स्वस्थ रखना है। जीवन को सुखमय, आनंदमय बनाकर जीना है तो वायु के रूप में नासिका द्वारा प्राण शक्ति अनवरत हमारे शरीर को मिलती रहे उसको जानना व समझना अति आवश्यक है।

ईश्वर ने हमारे शरीर की सुन्दर संरचना की है। शरीर में अवस्थित समस्त अंगों का कार्य सुचारू रूप से चलता रहे इसके लिए श्वांस-प्रश्वांस का प्रकल्प भी मनुष्य को दिया है। नासिका द्वारा श्वांस लेते हैं तो प्राण रूपी जीवनी शक्ति हमारे शरीर में प्रवाहित होती है और हमारे शरीर के कण-कण को व प्रत्येक अंग को व अंगों से होने वाली प्रक्रियाओं को जीवन्त करती है और हम ऊर्जावान महसूस करते हैं। हम अनुभव करते हैं कि शरीर का कोई अंग निष्क्रिय हो जाये तो मनुश्य फिर भी जीवित रहता है। परन्तु श्वांस-प्रश्वांस को संचालित करने वाला अंग फेफड़ा यदि कार्य करना बन्द कर दे तो हमारे श्वांस-प्रश्वांस का प्रकल्प बाधित होने लगता है। हमारे शरीर में श्वांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया बाधित होने लगती है तो ब्रह्मरूपी प्राण शक्ति भी कमजोर पड़ने लगती है। मनुष्य के जीवन का एक ही मूल मंत्रा अपने शरीर को ऊर्जावान, शक्तिवान, निरोग व स्वस्थ रखना है। जीवन को सुखमय, आनंदमय बनाकर जीना है तो वायु के रूप में नासिका द्वारा प्राण शक्ति अनवरत हमारे शरीर को मिलती रहे उसको जानना व समझना अति आवश्यक है।

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ईश्वर ने हमारे शरीर की सुन्दर संरचना की है। शरीर में अवस्थित समस्त अंगों का कार्य सुचारू रूप से चलता रहे इसके लिए श्वांस-प्रश्वांस का प्रकल्प भी मनुष्य को दिया है। नासिका द्वारा श्वांस लेते हैं तो प्राण रूपी जीवनी शक्ति हमारे शरीर में प्रवाहित होती है और हमारे शरीर के कण-कण को व प्रत्येक अंग को व अंगों से होने वाली प्रक्रियाओं को जीवन्त करती है और हम ऊर्जावान महसूस करते हैं। हम अनुभव करते हैं कि शरीर का कोई अंग निष्क्रिय हो जाये तो मनुश्य फिर भी जीवित रहता है। परन्तु श्वांस-प्रश्वांस को संचालित करने वाला अंग फेफड़ा यदि कार्य करना बन्द कर दे तो हमारे श्वांस-प्रश्वांस का प्रकल्प बाधित होने लगता है। हमारे शरीर में श्वांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया बाधित होने लगती है तो ब्रह्मरूपी प्राण शक्ति भी कमजोर पड़ने लगती है। मनुष्य के जीवन का एक ही मूल मंत्रा अपने शरीर को ऊर्जावान, शक्तिवान, निरोग व स्वस्थ रखना है। जीवन को सुखमय, आनंदमय बनाकर जीना है तो वायु के रूप में नासिका द्वारा प्राण शक्ति अनवरत हमारे शरीर को मिलती रहे उसको जानना व समझना अति आवश्यक है।

ईश्वर ने हमारे शरीर की सुन्दर संरचना की है। शरीर में अवस्थित समस्त अंगों का कार्य सुचारू रूप से चलता रहे इसके लिए श्वांस-प्रश्वांस का प्रकल्प भी मनुष्य को दिया है। नासिका द्वारा श्वांस लेते हैं तो प्राण रूपी जीवनी शक्ति हमारे शरीर में प्रवाहित होती है और हमारे शरीर के कण-कण को व प्रत्येक अंग को व अंगों से होने वाली प्रक्रियाओं को जीवन्त करती है और हम ऊर्जावान महसूस करते हैं। हम अनुभव करते हैं कि शरीर का कोई अंग निष्क्रिय हो जाये तो मनुश्य फिर भी जीवित रहता है। परन्तु श्वांस-प्रश्वांस को संचालित करने वाला अंग फेफड़ा यदि कार्य करना बन्द कर दे तो हमारे श्वांस-प्रश्वांस का प्रकल्प बाधित होने लगता है। हमारे शरीर में श्वांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया बाधित होने लगती है तो ब्रह्मरूपी प्राण शक्ति भी कमजोर पड़ने लगती है। मनुष्य के जीवन का एक ही मूल मंत्रा अपने शरीर को ऊर्जावान, शक्तिवान, निरोग व स्वस्थ रखना है। जीवन को सुखमय, आनंदमय बनाकर जीना है तो वायु के रूप में नासिका द्वारा प्राण शक्ति अनवरत हमारे शरीर को मिलती रहे उसको जानना व समझना अति आवश्यक है।

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