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Prakritik Apdayen Aur Bachav (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Harinarayan Shrivastava, Rajendra Prasad
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Harinarayan Shrivastava, Rajendra Prasad
Language:
Hindi
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Hardback

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SKU 9788171194681 Category
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भूकम्प, चक्रवात, बाढ़ और सूखा जैसी विनाशकारी आपदाओं से मनुष्य-समाज आदिकाल से आक्रान्त रहा है। संसार के विभिन्न भागों में समय-समय पर इन आपदाओं के चलते जान-माल की अपूरणीय क्षति होती रही है। इसलिए सिर्फ़ भारत के लिए ही नहीं, विश्व-भर के लिए आज ये गम्भीर चुनौती बनी हुई हैं। पूरी दुनिया में इन आपदाओं के संकट से मनुष्य को मुक्त करने हेतु इनके नियंत्रण, रोकथाम और प्रबन्धन आदि पर व्यापक कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं।
लेकिन इन आपदाओं से बचाव के लिए जनसाधारण को इनके विषय में आधारभूत जानकारियाँ देना भी उतना ही ज़रूरी है। इसीलिए प्रस्तुत पुस्तक में भूकम्प, ज्वालामुखी, चक्रवात, बाढ़, सूखा, टारनेडो और तड़ित झंझा आदि आपदाओं की भौगोलिक स्थिति, कारणों, प्रभावों, चेतावनियों-सावधानियों तथा नियंत्रण व रोकथाम आदि के तरीक़ों पर प्रकाश डाला गया है। प्राकृतिक आपदाएँ हमारी आर्थिक व सामाजिक व्यवस्था को तो नष्ट करती ही हैं, साथ ही इनसे प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों का मनोबल भी भंग होता है, जिसका राष्ट्रों की विकास-प्रक्रिया पर दूरगामी असर पड़ता है। इस परिप्रेक्ष्य में इस पुस्तक का अध्ययन अत्यन्त उपयोगी और प्रकृति के सम्मुख विवश हमारे मन को धैर्य बँधानेवाला होगा, ऐसी हमें उम्मीद है।

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Description

भूकम्प, चक्रवात, बाढ़ और सूखा जैसी विनाशकारी आपदाओं से मनुष्य-समाज आदिकाल से आक्रान्त रहा है। संसार के विभिन्न भागों में समय-समय पर इन आपदाओं के चलते जान-माल की अपूरणीय क्षति होती रही है। इसलिए सिर्फ़ भारत के लिए ही नहीं, विश्व-भर के लिए आज ये गम्भीर चुनौती बनी हुई हैं। पूरी दुनिया में इन आपदाओं के संकट से मनुष्य को मुक्त करने हेतु इनके नियंत्रण, रोकथाम और प्रबन्धन आदि पर व्यापक कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं।
लेकिन इन आपदाओं से बचाव के लिए जनसाधारण को इनके विषय में आधारभूत जानकारियाँ देना भी उतना ही ज़रूरी है। इसीलिए प्रस्तुत पुस्तक में भूकम्प, ज्वालामुखी, चक्रवात, बाढ़, सूखा, टारनेडो और तड़ित झंझा आदि आपदाओं की भौगोलिक स्थिति, कारणों, प्रभावों, चेतावनियों-सावधानियों तथा नियंत्रण व रोकथाम आदि के तरीक़ों पर प्रकाश डाला गया है। प्राकृतिक आपदाएँ हमारी आर्थिक व सामाजिक व्यवस्था को तो नष्ट करती ही हैं, साथ ही इनसे प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों का मनोबल भी भंग होता है, जिसका राष्ट्रों की विकास-प्रक्रिया पर दूरगामी असर पड़ता है। इस परिप्रेक्ष्य में इस पुस्तक का अध्ययन अत्यन्त उपयोगी और प्रकृति के सम्मुख विवश हमारे मन को धैर्य बँधानेवाला होगा, ऐसी हमें उम्मीद है।

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