Pragya Parmita

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Rangnath Tiwari
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Rangnath Tiwari
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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काली माता बेतहाशा हँसने लगीं। ‘‘हँस क्यों रही हो?’’ ‘‘वो हँसा रही है, तो मैं क्या करूँ?’’ ‘‘वो कौन?’’ ‘‘वो तुम्हारी काली माता।’’ ‘‘वो तुम्हें हँसा रही हैं?’’ ‘‘और नहीं तो क्या? तुम देखो न!’’ केशव मूर्ति की ओर देखने लगा, मूर्ति तो जैसी थी वैसी ही है। ‘‘कहाँ हँस रही हैं?’’ ‘‘मुझे देखकर हँसती हैं, तुम्हें देखकर कैसे हँसेंगी? हम हँसे तो वो हँसती हैं। तुम तो ऐसे हो…’’ ‘‘जैसा हूँ, ठीक हूँ; रहने दो।’’ केशव कालीमाता को हाथ जोड़कर मंदिर के बाहर घाट पर आ गया। अॅना उसके पीछे-पीछे थी। ‘‘अब कहाँ जाओगी?’’ ‘‘मणिकर्णिका घाट पर’’ ‘‘वहाँ…?’’ ‘‘वहीं तो रहती हूँ…’’ ‘‘वहाँ श्मशान भूमि में डर नहीं लगता?’’ —इसी संग्रह से.

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Description

काली माता बेतहाशा हँसने लगीं। ‘‘हँस क्यों रही हो?’’ ‘‘वो हँसा रही है, तो मैं क्या करूँ?’’ ‘‘वो कौन?’’ ‘‘वो तुम्हारी काली माता।’’ ‘‘वो तुम्हें हँसा रही हैं?’’ ‘‘और नहीं तो क्या? तुम देखो न!’’ केशव मूर्ति की ओर देखने लगा, मूर्ति तो जैसी थी वैसी ही है। ‘‘कहाँ हँस रही हैं?’’ ‘‘मुझे देखकर हँसती हैं, तुम्हें देखकर कैसे हँसेंगी? हम हँसे तो वो हँसती हैं। तुम तो ऐसे हो…’’ ‘‘जैसा हूँ, ठीक हूँ; रहने दो।’’ केशव कालीमाता को हाथ जोड़कर मंदिर के बाहर घाट पर आ गया। अॅना उसके पीछे-पीछे थी। ‘‘अब कहाँ जाओगी?’’ ‘‘मणिकर्णिका घाट पर’’ ‘‘वहाँ…?’’ ‘‘वहीं तो रहती हूँ…’’ ‘‘वहाँ श्मशान भूमि में डर नहीं लगता?’’ —इसी संग्रह से.

About Author

जन्म: 21 जनवरी, 1933 को महाराष्ट्र के शोलापुर में। शिक्षा: एम.ए. तक; फिर हिंदी साहित्य का अध्यापन कार्य। रचना-संसार: संपल्या सुरावटी, उत्तम पुरुष: एक वचन, देवगिरी बिलावल, बेगम समरू, निशिगंधा, अनन्वय, गुरुदेव, प्रज्ञा पारमिता (मराठी उपन्यास); देवगिरी बिलावल, सरधना की बेगम, उत्तरायण (हिंदी उपन्यास); संगीत देवगिरी बिलावल, काया परकाया (मराठी नाटक); आज बधाई माई, अयमात्मा (हिंदी नाटक); मौनाची महासमाधी (मराठी कहानी-संग्रह); सृजन विमर्श, आस्वाद तरंग (मराठी लेख-संग्रह); शुन नलिनी (मराठी एकांकी नाटक)। अनुवाद: बिढार (मराठी से हिंदी)। पुरस्कार-सम्मान: महाराष्ट्र शासन द्वारा ‘हरिनारायण आप्टे पुरस्कार’, वि.स. खांडेकर पुरस्कार उपन्यासों के लिए, ‘लोटू पाटिल नाट्य पुरस्कार’, राज्य हिंदी अकादमी द्वारा ‘छत्रपति शिवाजी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार’, केंद्रीय हिंदी निदेशालय का ‘सर्वोत्तम अनुवादक पुरस्कार’, हिंदी भवन द्वारा ‘हिंदी रत्न सम्मान’, केंद्र शासन के ष्टढ्ढढ्ढरु द्वारा ‘भाषा भारती सम्मान’। संप्रति: अंबाजोगाई स्थित अपने निवास में नित्य नूतन साहित्य सृजन में रत।

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