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Poorab Khile Palash
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
रवीन्द्रनाथ त्यागी
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
रवीन्द्रनाथ त्यागी
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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Category: Hindi
Page Extent:
410
पूरब खिले पलाश – डगलस एडम्स ने पी.जी. वुडहाउस के बारे में लिखा है कि ‘वे अंग्रेज़ी भाषा के महानतम संगीतकार हैं।’ भाषा की एक लय होती है, उसका एक ताल व संगीत होता है जो बिरले लेखक ही पैदा कर पाते हैं। यदि हिन्दी भाषा के महानतम संगीत का अनुभव करना हो तो आप रवीन्द्रनाथ त्यागी की हास्य-व्यंग्य रचनाओं में से गुज़र जायें। विट, निर्मल हास्य, शिष्टतापूर्ण अशिष्टता, अद्भुत व्यंजनाएँ, बेजोड़ फैण्टेसी, सत्य कहने का अदम्य साहस, भाषा का अद्भुत खेल, ना कुछ से जाने क्या-क्या कुछ नया पैदा करने की बाज़ीगरी, विषय वैविध्य का अटूट सिलसिला, हास्य-व्यंग्य में काव्य का अलौकिक सौन्दर्य और इन सबके ऊपर एक निष्पक्ष व निर्मम विश्लेषण की क्षमता रखनेवाली खाँटी ईमानदार मानवीय जीवन-दृष्टि शायद यह सब-कुछ तथा और भी अनेक शास्त्रीय क़िस्म की लेखन बारीकियाँ, रवीन्द्रनाथ त्यागी को हिन्दी भाषा का ही नहीं, समस्त भारतीय भाषाओं का इस सदी का सर्वाधिक समर्थ हास्य-व्यंग्य लेखक बनाती हैं। उनके कवि होने के कारण व उनके विस्तृत अध्ययन के फलस्वरूप उनके लेखन में जो एक विशिष्ट ‘बाँकपन’ आता है, वह उनका विशिष्ट आकर्षण है। हिन्दी व्यंग्य-लेखन की भविष्य की पीढ़ियाँ शायद यह विश्वास ही न कर पायें कि हिन्दी के इस महान् व्यंग्यकार को उसके अपने जीवन काल में मात्र एक ‘नफ़ीस हास्यकार’ कहकर ही उपेक्षित किया जाता रहा। —ज्ञान चतुर्वेदी
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Description
पूरब खिले पलाश – डगलस एडम्स ने पी.जी. वुडहाउस के बारे में लिखा है कि ‘वे अंग्रेज़ी भाषा के महानतम संगीतकार हैं।’ भाषा की एक लय होती है, उसका एक ताल व संगीत होता है जो बिरले लेखक ही पैदा कर पाते हैं। यदि हिन्दी भाषा के महानतम संगीत का अनुभव करना हो तो आप रवीन्द्रनाथ त्यागी की हास्य-व्यंग्य रचनाओं में से गुज़र जायें। विट, निर्मल हास्य, शिष्टतापूर्ण अशिष्टता, अद्भुत व्यंजनाएँ, बेजोड़ फैण्टेसी, सत्य कहने का अदम्य साहस, भाषा का अद्भुत खेल, ना कुछ से जाने क्या-क्या कुछ नया पैदा करने की बाज़ीगरी, विषय वैविध्य का अटूट सिलसिला, हास्य-व्यंग्य में काव्य का अलौकिक सौन्दर्य और इन सबके ऊपर एक निष्पक्ष व निर्मम विश्लेषण की क्षमता रखनेवाली खाँटी ईमानदार मानवीय जीवन-दृष्टि शायद यह सब-कुछ तथा और भी अनेक शास्त्रीय क़िस्म की लेखन बारीकियाँ, रवीन्द्रनाथ त्यागी को हिन्दी भाषा का ही नहीं, समस्त भारतीय भाषाओं का इस सदी का सर्वाधिक समर्थ हास्य-व्यंग्य लेखक बनाती हैं। उनके कवि होने के कारण व उनके विस्तृत अध्ययन के फलस्वरूप उनके लेखन में जो एक विशिष्ट ‘बाँकपन’ आता है, वह उनका विशिष्ट आकर्षण है। हिन्दी व्यंग्य-लेखन की भविष्य की पीढ़ियाँ शायद यह विश्वास ही न कर पायें कि हिन्दी के इस महान् व्यंग्यकार को उसके अपने जीवन काल में मात्र एक ‘नफ़ीस हास्यकार’ कहकर ही उपेक्षित किया जाता रहा। —ज्ञान चतुर्वेदी
About Author
रवीन्द्रनाथ त्यागी -
जन्म: 9 मई, 1930 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले में स्थित नहटौर नामक क़स्बे में।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए.। देश की सिविल सर्विसेस की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर इंडियन डिफ़ेन्स एकाउंट्स के लिए नियुक्त। नौकरी के सात वर्ष केन्द्रीय सचिवालय में। रक्षा मन्त्रालय में उपसचिव, नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट ऐण्ड एकाउंट्स के निदेशक तथा वायुसेना, थलसेना की उत्तरी कमान के कन्ट्रोलर ऑफ़ डिफ़ेन्स एकाउंट्स रहे। सन् 1989 में सरकारी सेवा से निवृत्त।
लेखन: चौबीस व्यंग्य संग्रह के अतिरिक्त सात कविता-संग्रह, एक उपन्यास, बालकथाओं के चार संग्रह व चुनी हुई रचनाओं के आठ संग्रह प्रकाशित। 'उर्दू हिन्दी हास्य-व्यंग्य' नामक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ का सम्पादन। 'रवीन्द्रनाथ त्यागी : प्रतिनिधि रचनाएँ' बृहद ग्रन्थ डॉ. कमल किशोर गोयनका द्वारा सम्पादित। 'वसन्त से पतझर तक' के अलावा सौ-सौ चुनी हुई विशिष्ट व्यंग्य रचनाओं के दो बृहद् संकलन- 'पूरब खिले पलाश' और 'कबूतर, कौए और तोते' भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित। कुछेक रचनाएँ देश की विभिन्न भाषाओं में अनूदित। अनेक महत्त्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित।
4 सितम्बर, 2004 को देहावसान ।
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